बियां तो जेठारामजी सत्तर पार करग्या हा पण आजकाल सत्तर बरस कित्ताक हुवै। इत्ता उंतावळा तो दर जावता को लागै हा नीं। सेहत-पाणी ठीक ही। बजां सिर रौ काम-धंधौ करता। बीमार- सीमार कोई हा कोनी। खांसी-झुकाम तो हुंवतौ रवै। खांसी- झुकाम अर थोड़ी भोत ताप-सिरवा सूं कुण मर्‌यौ सुण्यौ ? पण झुकाम रै पांचवै दिन जेठारामजी रा तो मोरिया बोलग्या। दो-तीन दिन तो घरे दवाई-पाणी ली पण जद पार कोनी पड़ती दिसी तो अस्पताळ कानी भाज्या। डॉक्टरां नै कोरोना रौ सक हो इण वास्तै भरती करतां कोरोना रौ सम्पैल लेयनै आथण बीकानेर भेज दियौ पण संपैल री रिपोर्ट आवै उण सूं पहली जेठारामजी तो बूचकी मनाग्या। अब कांई कर्‌यौ जावै? जिला अस्पताळ अधीक्षक रै तो माला मंडग्या। जे घरवाळा नै जेठाराम जी री लास सूंप देवै अर रजा-कजा रिपोर्ट पोजीटिव आया तो? गांव -कस्बां वाळा पत्रकारां नै थे जाणौ हो बाळ री खाल काढै। सुख महानगर रै मोटै पत्रकारां रौ। इसी छोटी-मोटी बातां पर ध्यान कोनी देवै। बियां वां लाइयां रौ कसूर कोनी। वां नै इत्ती बेह्ल कठै कै वै जेठाराम जेड़ै अलियै-छालियै माथै खबर बणावै? कोई प्रधानमंत्री थोड़ो है जिकौ इण रै लारै-लारै कैमरौ चक्यां फिरै। आं बापड़ां नै तो आज काल बिड़द बखाणण अर लपोसा लगावण सूं फुरसत कोनी। फेर सुशांत राजपूत है,न भारत-पाकिस्तान, मंदिर-मस्जिद तो जम्मू- कश्मीर। छेकड़ हो तो जेठियो टांडी ई। पण फेर जेठाराम री मौत पत्रकारां सारू खबर बणगी। कारण कै जेठारामजी री मौत महानगर मांय नीं,राजस्थान रै उत्तराधै सिंवाड़ै रै एक छोटै सै सैहर हनुमानगढ़ मांय हुयी ही। दिल्ली का बंबई तो है कोनी। अठै रै पत्रकारां कन्नै तो अे खबर। कुण नहर मांय सटकौ नाख पाणी चोर लियौ।कुण कीं रै बटोड़ै सूं थेपड़ी चक लेग्यौ। कुणसै गाम रौ झोटौ चोरीजग्यौ। कठै लट्ठ-सौटौ हुयग्यौ। कठै छोरी भाजगी।कठै हथकढ अर चिट्टो पकड़ीजग्यौ। कठै हुयगी, कठै बा हुयगी। अठै तो अे समाचार। सलेब्रेटी अठै लाधै कुण, जिकै री स्टोरी चलाई जा सकै। पण जेठारामजी मरतां पांण सलीब्रेटी बणग्या। पण इण मांय जेठारामजी जी रौ कीं लेणौ देणौ नीं है।जेठारामजी रौ नीं लूण है, नीं हळदी अर नीं फिटकड़ी पण फेर रंग चोखौ आयौ तो आयौ। फकत एक कारण। जेठारामजी री मौत कोरोना सूं हुवण रौ सक।

खैर...तो बात वा सागण कै कोरोना री रिपोर्ट आवण सूं पहली जेठारामजी सौ साल करग्या। अब कांई कर्‌यौ जावै? प्रशासन सलाह- सूत करनै तैय कर्‌यौ कै जद तांई जेठारामजी रै संपैल री रिपोर्ट नीं आवै तद तांई “डैड बॉडी नै मोर्चरी मांय रखवा दी जावै। अब डैड बॉडी नै कुण,कियां मोर्चरी तांई ल्यावै? इण बात रौ फेर सेकौ मंडग्यौ। इण बाबत अस्पताळ नै घंटा खंड माथा फोड़ी करणी पड़ी जणा जायनै बात घड़ बैठी। न्यारी बात है कै डॉक्टर,कम्पाउडर अर सफाई कमर्चारी तकात इण बहस मांय उळझेड़ा हा कै इण केश मांय म्हारी ड्यूटी कियां लगाई? कोई कूढीजतौ अस्पताळ अधीक्षक नै गाळ काढै हो तो कोई देख लेवण री धमकी देवै हा तो कोई सराप देवै हो। पण कीं हुवौ भलांई जिकां री इण काम मांय ड्यूटी ही वै ड्यूटी तो बजावै हा।

अस्पताळ मांय जेठारामजी री डैड बॉडी नै पैकिंग करण रौ दरसाव बखाणण जोग नीं है। बस इतै मांय समझ जावौ कै जेठारामजी री मिरत देह नै थैली मांय पैक करणौ, ऊँट नै पजामौ पैराणै बरोबर हो। अब आप स्याणा हो, हाथ लगायां बिना ,फकत लक्कड़ डंडा सूं कदे मिनख थैलां मांय घल्या करै कांई?घणौ बखाणूं कोनी। केई भाइयां नै चक्कर सकै तो कइयां नै रीस। इण वास्तै माफी मांगतां थकां इण दरसाव री रील माथै कतरणी चलाऊं। फिल्म सेंसर बार्ड दांई लेखक नै इत्तौ हक तो हुवणौ चाहीजै,आ बात तो थे हंकारौ? तो सौ बातां री एक बात कै जियां - तियां जड़ाजंत करनै जेठाराम री डैड बॉडी अस्पताळ रै लारलै गेट सूं बारै काढी तो ठाह नीं पड़ै हो कै इण बैग मांय जेठारामजी रौ खोळियौ है कै इयां पनसूरौ भर नाख्यौ है। जेठारामजी रै मोटोड़ै छोरै जगदीश रौ जीय तो करै हो कै बापू जी रौ छेहलौ मुंडो तो देखल्यूं। पण देखण कुण केवै? जे रिपोर्ट नेगटिव आई तो एक बार कोनी हजार बार सगळा घर रा देखियौ अर जे आयगी पोजीटिव तो ईं जल्म मांय बापूजी रौ मुंडौ देखणौ तो दूर नेड़ै को फटकण देवै नीं।

स्टेचर माथै जेठाराम री डैड बॉडी'' अस्पताळ रै लारलै गेट निसरी तो स्यापौ पड़ेड़ौ हो। एक तो प्रशासन अर डॉक्टरां वां नै भोळावण देय दी ही अर दूजौ पुलिसवाळां भायड़ा हाथ मांय डांग इयां पकड़ राखी कै बिन्नै जावण री कीं री हिम्मत नीं हुय सकै ही।जेठाराम जी रा बेटा-पौता न्यात बारै कोढड़ा- सा गेट सूं आंतरै खड्या टुगर-टुगर देख्यां बगै हा।

मोर्चरी वाळौ गार्ड जेठारामजी री स्टेचर नै देखतां चिमक्यौ। एक तो पीपीई किट पैरेड़ा भूत सा सफाई कर्मचारी अर सागै जेठारामजी री जड़ाजंत काया अर माहौल! मोटां-मोटां रौ काळजौ जिंग्या छोडज्या। गार्ड इण भांत पासै हुयौ जाणै मुर्‌दौ नीं काळौ विसधर हुवै।

बियां तो पांचवै-सातवै दिन कर्मचारी कोई नै कोई मुर्‌दौ अठै ल्यावै ल्यावै पण इस्सौ मुर्‌दौ तो कर्मचारी पहली दफा ल्या हा अर गार्ड हिसाब-किताब पहली बारी देख्यौ हो। गार्ड तो पहलां सूं दूर जायनै खड्यौ हुयग्यौ हो।हिफाजत रै तौर पर कर्मचारियां पीपीई किट पैर राखी ही, पण तो वां रै भीतर गादड़ौ बड़ेड़ौ हो।हाल जिलै मांय कोरोना रोगी तो सैंकड़ै नेड़ै आयग्या पण स्सै ठीक हुय-हुय नै आप आपरै घरे गया -गुवाया। पण जेठारामजी तो रिपोर्ट आवण सूं पहली पग पाधरा कर दिया। खुदा नै खास्ता जे आयगी रिपोर्ट पोजिटिव तो सेकौ मंड जासी।

रात नै जेठारामजी री लाश तो मोर्चरी मांय मजै सूं सूती रैयी पण अर घरआळा नै समक रात नींद कोनी आई। कणां कोई पसवाड़ौ फोरै तो कणां कोई। लागै हो समूचौ घर जागतौ पसवाड़ौ फोरै हो। मोर्चरी रै गार्ड री हालत तो और माड़ी। थम -थमनै घ्यान मोर्चरी कानी उठज्या। बियां जेठारामजी लाई सपत्ता मिनख। जींवता जीय कीड़ी नै को सेधी नीं,मर्‌यै पछै तो किणनै सेधता कियां। पण तो गार्ड साहब रै घरळ-मरळ माचेड़ी ही।बियां समूळी रात कियां मास्क राखीजै,पण डरता स्सै गूगौ धोकै। दिन निसरणौ महाभारत हुयग्यौ। कैया करै है नीं जिकी चीज रौ भय हुवै नीं, वो हुयां सरै। दिनूगै जेठाराम जी री रिपोर्ट तो पोजीटिव। अस्पताळ सूं लेयनै कलेक्ट्रेट तांई रा कान ऊभा हुयग्या। अबै के कर्‌यौ जावै?डैड बॉडी तो घरवाळा नै देवणी कोनी। जेठाराम जी रौ छेहलौ संस्कार प्रशासन रै गळ मांय घलग्यौ।देखौ कांई बगत आयौ है जिकै मिनख नै साह्ब लोगां कदे आपरै नेड़ै कोनी फटकण दियौ , फगत उणरै दाग रौ सरजाम नीं करणौ, उणनै छेहली लकड़ी देवणी। जेठारामजी नै जीवता जीव भलांई बास गळी रा लोग नीं जाणता हुवौ पण मरे पछै तो आखै स्हैर रा, फगत स्हैर रा क्यूं, आखै जिलै रा बाजीन्दा मिनख बणग्या। बणै क्यूं नीं,आ जिलै मांय कोरोना री पहली मौत ही। पहलौ तो पहलौ हुवै।भलांई वो कीं हुवै।

जित्तौ कूकारोळौ जेठाराम री मौत माथै रात, वां रै घरे कोनी माच्यौ उण सूं सवायौ अब माचग्यौ। तो बेजां करी नीं करतार।ना घर रै आंगणै जेठाराम जी री अर्थी उतरसी अर नीं जेठारामजी री जोड़ायत उण री छाती माथै चूड़ी झाड़ सी। न्हुवा- धुवाई अर कांमळ-चादर उढावणी तो गई कठै री कठै।

जेठारामजी री जोड़ायत तो बुसबुसियां पाटनै इमरस करै ही, जग्गू रा बापूजी थे के करी?

पण लाई जेठाराम रै बस मांय हुंवतौ तो वै मरता नीं। अर जे मरता तो कोरोना काल मांय तो दर नीं मरता। दाग मांय फकत पांच मिनखां। वै तो चावै हा कै वां री बैंकुठी नीसरै अर लारै 'राम नाम सत है' बोलतै लोगां रौ तांतौ नीं टूटै। बैंकूठी नीं सही, अर्थी माथै राम नाम री चादर ओढ्यां सूत्यौ बेटां रै मोढै चढ़नै कुटम्ब-कबीलै अर प्यारै-परसगियां नै लारै रूड़ावतौ श्मशान घाट तो जावै। पोता उभाणै पगां अर्थी आगै दंडोत करता बगै, झालर अर संख सूं आभौ गारणावै , पण लाई जेठारामजी री हूंस मन री मन मांय रैयगी।

आथण कोई पांचेक बजे जेठारामजी नै जमदूत दिस्या हा। वां नै देखतांई जेठारामजी एकर तो डर्‌या। पण भळै याद आयौ कै मिरतु री बगत जमदूत तो मिनख रै सिरहाणै ऊभा हुवै। सिरहाणै तो दूर कमरै रै मांय कोनी बड़ै हा।

पण डाक्टरां तो जेठारामजी नै मिरत बतायनै आगली त्यारी मांय लागग्या। पण तो जमदूत तो बारणै आगै ऊभा। जेठारामजी नै थोड़ौ सक हुयौ कै जणा डाक्टरां म्हैंनै मर्‌यौ बतानै गाभौ उढा दियौ तो जमदूत लेवण नै क्यूं कोनी आवै ? पण जेठाराम जेड़ै भोळै-ढाळै मिनख कन्नै इण जबर सवाल रौ पड़ूत्तर कठै? पण तो जेठारामजी तो ताड़ग्या हा कै जमदूत मांय नै आंवता झिझकै। कारण चाहे कोई रैयौ हुवै पण अे मांयनै तो कोनी बड़ै। जेठारामजी सोच्यौ कै जमदूत कठै दूर ऊभा -ऊभा फेंकनै गळ मांय फांसरड़ौ नीं घात नाखै। चेतै आंवता वै उंतावळा सा आपरी मिरत देह सूं बारै आया अर सावचेत हुयनै देह रै ऊपर जाय बैठ्या अर जमदूतां री 'एक्टीवीटी' रौ लेखौ लेवण लाग्या। जेठाराम नै इण बात रौ इचरज हो कै अस्पताळ सूं निसरनै उण री देह नै मोर्चरी मांय ल्या पटकी पण जमदूत नेड़ै नीं आया।वै लोगां री भांत दो गज री दूरी रै सिद्धान्त नै अपणाय राख्यौ हो।

जमदूतां धरमराज नै आथण बता दियौ हो, म्हाराज बगत लागसी।म्हे तो म्हारा रास-जेवड़ा लेयनै त्यार हा। कै इन्नै सूं जीव नीसरै अर बिन्नै म्हे उडतै जीव रै फांसरड़ौ घालनै काबू करां।पण म्हाराज जीव तो कुजरबो।डाक्टर जद जेठाराम नै मिरत घोसित करै हा ,म्हे बारणै मांय ऊभा हा। डॉक्टरां रै मिरत घोसित कर्‌यां रै कोई दस मिनट पछै जेठाराम रौ जीव बारै आयौ,पण कांई? आभै कानी जावण री बजाय वो तो आपरी मिरत देही माथै चिपनै बैठग्यौ। अब म्हाराज कोरोना रौ डर तो म्हांनै लागै।

“तो पछै? धरमराज जमदूतां सूं पड़ूत्तर चायौ।

“म्हाराज, जे जीव देह सूं उतरनै बारै आसी तो पकायत झप लेस्यां।अबार रौ मोर्चरी आगै ऊभा हां

“ओ तो खेतीखड़ियौ भोळौ-ढाळौ जीव। आखी उमर धूड़ मांय सिर राखनै गधियै तांई पच्यौ।करजौ ईं सूं उतर्‌यौ कोनी। दाणां ईं नै बेचणा आया कोनी। औढण-पैरण बोलण रौ ईं नै स्हूर कोनी। ईं रौ च्यारजरबी रौ खातौ तो कोरौ पङ्यौ है। चित्रगुप्त इचरज करता जमदूतां नै कैयौ।

“ओ म्हाराज आप नूंवौ खातौ संभाळौ। बेटा राज रा नौकर है दोनूं। खेती करणी तो कणां छोडी इण। दस सालां सूं स्हैर मांय रैवै। कुजरविद्या अठै सूं सिखी है स्यात। जमदूतां हाल करेड़ी तफ्तीस चित्रगुप्त जी रै साम्हीं मेल दी।

“ठीक है, ठीक है। वो तो चित्रगुप्त आपी दे लेसी। थे तो जीव रौ ध्यान राखौ। धरमराज जमदूतां नै हिदायत दी।

“म्हाराज म्हांनै तो लागै कै ईं रै स्हैर री हवा लागगी। कोरोना रौ डर कांई हुवै लखग्यौ। म्हांनै तो लागै चिता रै लांपौ लाग्यां पछै हाथ आसी। जमदूतां सार काढ लियौ हो।

जमदूत समची रात मोर्चरी आगै ऊभा रैया पण जेठारामजी किसा बारै जावै? आं दस बरसां मांय जेठारामजी इत्ती दुनिया तो देख ली ही।

दिनूगै मोर्चरी आगै रैण-गैण।सनेटाइजर करणियां ढोलकी चक्यां दे गेड़ै माथै गेड़ा। मास्क बिना कोई बंदौ को दिखै नीं। आज रौ माहौल तो न्यारौ। टीवी चैनळवाळा दूर सूं मोर्चरी नै दिखावै हा। वां री खबर रौ स्टाइल वौ ईज हो अभी थोड़ी देर में निकलेगा इसी मोर्चरी से कोरोना का जिन।

जेठारामजी रा दोनूं बेटा डरूं-फरूं हुयोड़ा उभा हा। प्रशासन मुस्तैद हो। एम्बूलेस न्यारी,पुलिस री गाडी न्यारी,एसडीएम री गाडी न्यारी, नगरपरिषद री जीप न्यारी। मतलब काल तांई रौ' कुण जेठाराम' आज हनुमानगढ़ रौ बाजीन्दौ जेठाराम हो।

दिनूगै दसेक बजे रै आसै-पासै मोर्चरी आगै अस्पताळ री एम्बूलेस ऊभी हुयी। अर देखतां देखतां एम्बूलेस मांय जेठारामजी री डैड बॉडी नै कर्मचारियां इयां पटकी जाणै लूण रौ कट्टो पटक्यौ हुवै। जीवता हुंवता तो पकायत आपरी आदत मुजब कर्मचारियां नै टोकता, इयां के नालायको! सावळ छोडौ नीं! पण मर्योड़ा जेठारामजी कांई तो बोलता अर कांई कैवता। बस चिप्या पड़्या रैया देह रै। एम्बूलेस चाली तो टीवी चैनळवाळै पत्रकारां रै साथै जमदूत लारै- लारै हो लिया।

जमदूत जे पत्रकारां नै दिसता तो पकायत वांरै मुंडै माथै माइक घाल नै पूछता, कोरोना के इस पहले जीव को यमलोक ले जाते हुए कैसा महसूस कर रहे हैं?

कोई साहसी पत्रकार सवाल कर सकै हो, सुना है कोरोना से हुई मौत में सरकार और आपके आंकड़े मेल नहीं खा रहे हैं। क्या कहना चाहेंगे आप?

कई पत्रकार भाइयां रौ तो जीय करै हो कै जांवता-जांवता जेठारामजी एक बाईट देय जावै अर आपरा अनुभव साझा कर जावै। पण संभव कोनी हो।तो वै जेठारामजी री एम्बूलेस नै तो फिल्मावै हा।जेठारामजी टिरहांटै सी आंख्यां कढता एम्बूलेस सूं बारै रौ दरसाव जोवै हा। समूचौ स्हैर वां री मौत माथै बंतळ करै हो। कांई कांई बंतळ करै हो बतावण री दरकार कोनी। जमदूत एम्बूलेस रै लारै लारै थब्बा चढ्यां आवै हा।

जेठारामजी रै एकर तो मन मांय आई कै जायनै चिप जाऊं जमदूतां रै अर कर नाखूं कोरोना पोजीटिव। स्सौ टंटौ मेट द्यूं।पछै तुरन्त चेतै आयौ, 'रे भोळा ! जीवआत्मा रै क्यां रौ कोरोना। कोरोना तो फगत थारी देही तांई। तूं वां कन्नै गयौ नीं अर थारौ कारण कुंडौ कर्यौ नीं।ईं वास्तै छेहली दुनिया देखणी चावै तो चिप्यौ पङ्यौ रैय देही रे

आधइंटै हांडी फोड़णवाळी जिग्यां एम्बूलेस रूकी तो जेठारामजी रै जीव सोच्यौ , ले रे जीवड़ा! एक क्रिया तो हुसी।

जेठाराम जी आपरै बेटा-पोता, कुटुम्ब- कबीलै, यार-बेलियां, आड़ोसियां- पड़ोसियां , प्यारै-प्रसंगियां नै जोया, पण उठै कुण? काग पड़ै कुत्ता भूंसै। मोर्चरी सूं एम्बूलेस में घालती बगतै जेठारामजी आपरै दोनूं बेटा अर दोनूं पोतां नै ऊभा जरूर देख्या हा पण अठै तो वै दिस्या नीं।

जेठारामजी रै एक उतरै अर एक चढै पण कांई जोर।

“इण वेळा किन्नै मर्‌या है नालायक। इयां नीं भई कै छेकड़ली बगत तो कन्नै रैय जावां। पण आं नालायकां नै कांई मतलब?आज समझ मांय आई है कै आं नालायक बेटां-पोतां वास्तै बेमतलब कंठ मौस- मौस नै माया जोड़ी।ढंग सूं खांवतौ-पींवतौ तो स्यात इत्तौ उंतावळौ जांवतौ नीं। पण अब पछतायां हुवै के जद चीड़ी चुगगी खेत। जेठाराम जी एम्बूलेस मांय पङ्या कीरड़ीजै हा।

जीवता हुवता तो ललकर मारता, अरै नालायको!किन्नै मरग्या! लारै कांई थांरी मां ..नै रोवौ, इन्नै म्हारै कन्नै क्यूं बळ आवौ नीं? वां स्यात बोलण री आफळ करी पण कंठ अर जीभ तो देह मांय रैयग्या हा। अर देह नै ठाह नीं कित्ता थैलां मांय भर नाखी ही। जे देह सूं थैली उतारण ढूकै तो थैली मांय थैली, थैली मांय थैली …….प्याजीए रा छूंतका ज्यूं उतार बोकरौ भलांई।

जेठारामजी देख्यौ कै एम्बूलेस री लारली गाडी सूं तीन जणां उतर्‌या।

“तो कांई हांडी फोड़सी? जेठारामजी नै अणूती झाळ आई।

छोरा कन्नै हुवता तो पकायत कान पकड़ नै कैवता,अरै नालायको!हांडी तो कम सूं कम थे फोड़ द्यौ। न्ह्यात थांरौ बाप हूं।

पण वै कर्मचारी क्यां वास्तै हांडी फोड़ै हा। वां नै तो एम्बूलेस नै सैनेटाइज करणी ही।पीठ लारै चकी ढोलकी सूं पांच-सात फंवरा मार्‌या अर मुसाणां मांय ल्या बाङ्या। जेठाराम जी देह माथै चिप्या सगळौ खिलकौ देखै पण करै तो करै कांई?

एम्बूलेस सूं जेठाराम जी री डैड बॉडी उतारी कोनी ही कै मुक्तिधाम विकास कमेटी रा पदाधिकारियां रोळो घाल दियौ।वां रौ कैवणौ हो के कोरोना रै मरीज रौ अठै दाग कोनी हुय सकै।

जेठारामजी रै जीय मांय आई कै एम्बूलेस सूं फदाक मारनै सीधौ कमेटी रै खरड़पंचा कन्नै जाय नै कैवै, मुसाण थांरै बाप रा है,जिकौ म्हारौ अठै दाग कोनी हुवण देवौ। अरै नालायको! मुर्‌दै रौ दाग तो मुसाणां मांय हुया करै। कदे मुरदै नै घरां दाग देंवता देख्यौ है ? पण जेठारामजी आपरी देह नै छोड़ कियां जा सकै हा। देह छोडी नीं अर जमदूतां जफ्यौ नीं।पण जेठारामजी री सबोधी राखी मोटोड़ै बेटै जगदीश। सबद तो जेठारामजी रा हा ई। बस जगदीश तो मुंडौ-मुंडौ खोल्यौ।

जगदीश री बात सुणनै कमेटी रौ एक खरड़पंच बोल्यौ, भाई म्हे कद कैवां कै मुरदै नै घरे दाग देवौ। बिन्नै परलै पासै घणौ बीड़ पड़्यौ है, बिन्नै दे द्यौ।

“बिन्नै देई तूं तेरै जामणियां नै। म्हनै तो अठै देयसी। अरे नालायको! घरे आंगणै मांय म्हैं सुवाइज्यौ नीं,न्हुवायौ मन्नै नीं। शंख-झालर मेरा बाज्या नीं, पिंडदान मेरौ हुयौ नीं। हांडी मेरी फूटी नीं, पाणी मेरै लारै ढोळीज्यौ नीं अर अब मुसाणा सूं बेदखल करणा चावौ। जेठारामजी देह माथै पङ्या-पङ्या आकरा हुया बगै हा।

“बिन्नै कोनी द्यां, दाग तो अठै मुसाणां मांय हुसी। अबकै जेठारामजी रै छोटियै बेटै ओम हिम्मत करी।

“अठै तो म्हे कोनी हुवण द्यां। खरड़पंचजी फैसलौ सुणा दियौ।

“थे कुण हो भई नीं हुंवण देंवण वाळा? बाप रौ राज है? देखां तो कियां कोनी हुवण द्यो। कुणसौ रोकै आओ दिखां। ओम साम्हीं अड़ग्यौ।

“वा मेरा शेर! हुयी नीं बात। मार साळां रै तुळवै में। जेठाराम जी उबक्या।

जमदूतां नै उमर गाळदी मिरत आत्मा नै धरमराज कन्नै लेय जावता पण वां इसौ खलकौ तो आज तांई देख्यौ कोनी हो।

बिन्नै धरमराजजी जमदूतां नै फोन माथै फोन करै, “कै बगत टिप्यां बगै, जेठारामजी री आत्मा नै लेयनै बेगा सा हाजर हुवौ।

कैया करै नीं कै दूध रौ बळेड़ौ छाछ नै फूंक मार-मारनै पीवै।

धरमराजजी भोळाराम रै जीव नै भुल्या कोनी हा। तो भलो हुवै नारदजी रौ जिका वीणा सट्टै जीवात्मा ल्या नाखी। आज तो वीणा नै पूछै कुण है।

पण कांई जोर? जमदूत साफ कैय दियौ,म्हाराज म्हारै कन्नै इलाज नीं। कोरोना रौ रोगी है आगलौ। डैड बॉडी रै चिप्यौ बैठ्यौ है। कुण लोवै लागै?

इसौ सोरौ है तो थे पिताल्यौ?

धरमराज जी बोल्या, कोई बात नीं। घंटा आध घंटा मांय तुरड़ सी ई।पण देख्या ध्यान राख्या,भोळाराम री दांई फटकार नीं जावै।

“वो तो म्हाराज आप चिंता ना करो। ईंन्नै छोरै चिता रै लांपौ लगायौ अर बिन्नै ईं रै गळ मांय फांसरड़ौ घाल्यौ।पण आं रौ झोड़ तो मिटै।

बात नै बधती देख प्रशासन आगिनै आयौ अर बोल्यौ, “देखौ बीच बिचाळौ करल्यौ।घणी दूर तो नीं पण थोड़ै सै पासै करल्यौ।

जेठारामजी रौ छोटियौ बेटौ ओम गाभां बारै हुग्यौ। बोल्यौ, “कुण? कुण करले? मुसाण कीं रै बाप रा कोनी। अठै करस्यां, अठै। ओम जिग्यां कोनी आंगळी करतौ बोल्यौ।

बात बिगड़ती देख प्रशासन फट पळटी मारी अर खरड़पंच नै बोल्यौ, “आप सब परे हटो। यह प्रशासनिक मामला है। आप इसमें दखलंदाजी नहीं कर सकते।

दोनूं पार्टी थोड़ीदार वास्तै मोळी पड़गी।स्यात वै आगै री रणनीति बणावण लागी ही।

प्रशासन जेठारामजी री डैडबॉडी एम्बूलेस सूं उतारण रौ हुकम सुणायौ। कर्मचारी तो जाणै हुकम नै उडीकै हा। जेठारामजी री डैड बॉडी एम्बूलेस सूं उतारनै धू: पटकी सारै ऊभी हाथरेहड़ी माथै।

जेठारामजी बोल्या, अरे नालायको! कीं तो शरम करौ। मरणौ थांनै है। थे कोई अमर कोनी रैयसौ। कोरोना सूं मर्‌यौ तो कांई हुयौ। हूं तो मिनख। इयां दुरगति तो ना करो। जेठारामजी गळगळा हुंवता कैयौ तो कर्मचारियां नै पण झाळ आवै ही बेटां पोतां माथै। नालायक ऊभा-ऊभा मुंडौ पाड़ै। इयां नीं कै हाथ लगा लेवै। इयां कोरोना सूं मरस्यौ तो मरस्यौ नाजोगो!

जेठारामजी री देह नै रेहड़ी मांय नाखता ईं जगदीश रेहड़ी नै ठरड़तो दाग देवण री जिग्यां कानी ब्हीर हुयौ। लारै छोटियौ बेटो ओम,दो पोता अर एक पड़ोसी। फकत पांच मिनख।

“अरै नाजोगो! बित्ती दूर तो म्हनै मोढां माथै ले जाओ, फेर थांरौ बाप हूं। इयां कांई डांगरां दांई ठरड़ता ले जावै?कीं तो शर्म संको करौ रे नाजोगौ! पण जीवतै जीय लोग जेठारामजी री बात नीं सुणी,मर्‌या पछै तो सुणतौ कुण?

कमेटी रा मेंबर सलाह-मसवरौ करनै फेर ऊभा हुया। वै किणी सूरत में अठै, खास करनै सैड तळै तो दाग हुवण देवण रै मूड मांय कोनी हा। पण जेठारामजी रा बेटा जेठारामजी री मिरत देह नै सैड कानी ठरड़ लेयग्या हा।

प्रशासन फेर पळटी मारी। अबकै वौ अटकळ सूं सिटकळ मारण री तेवड़ी,

“प्रधानजी आप समझदार मिनख हो। कालनै अखबार बाजी हुयसी। कै कोई मिनखपणै नाम री चीज कोनी बची? आप समझौ बात नै।

“पण साहब! कोरोना पैसेंट रौ…?

“हम हैं ना! आप चिंता क्यों करते हो? प्रशासन कियां ब्याधी मुकावणी चावै हो।

प्रधानजी कीं ठंडा पङ्या पण खरड़पंच पाणौ मांड्यां ऊभा हा।

प्रशासन सलो मोड पर बीच बिचाळै रै सिद्वान्त री जुगत बिठावण री आफळ करै हो। जमदूत माथौ पकङ्यां मिरतुलोक री दुरगत माथै अफसोस परगट करै हा। इत्ता बरसां मांय वां कदे अेडौ दरसाव नीं देख्यौ। घोर पापी सूं पापी मिनख रौ जीव लेयनै गया पण घणै सन्मान साथै। जेठाराम तो बसपुगतां लाई किणी कीड़ी नै नीं संताई ही। अेड़ै सधीरै जीव री गत?

जेठाराम सूं और कोनी देखीज्यौ। वो होळै-सी आपरी देह सूं उतर्‌यौ अर नीची धूण घाल्यां बैठ्या जमदूतां कन्नै आयनै बोल्यौ,ल्यौ आवौ भाई लोगो चाला!

अचाणचक जेठाराम रै जीव नै कन्नै आयौ देख, जमदूत एकर तो चिमक्या भळै अफसोस करता बोल्या, भाई म्हारौ इण मांय कोई कसूर कोनी।म्हे तो धरमराज रै हुकम रा ताबेदार हां। म्हांनै थांरै सूं घणी हमदर्दी है। म्हे तो बस इत्तौ कर सकां कै थांरी कपाळ किरिया हुवण तांई और थम सकां।

नहीं भाई! म्हैं मिरतु लोक मांय एक मिनट थमणौ नीं चावूं। जे म्हैं भर्‌यै भरम अस्पताळ सूं सीधो थांरै कन्नै जांवतौ तो स्सौ कीं म्हंनै क्यूं देखणौ पड़तौ। थे तो जित्तौ बेगौ हुय सकै म्हनै धरमराज कन्नै पूगाय दो। म्हंनै तो फगत वां सूं इत्तौ पूछणौ है, कांई म्हारौ मुसाणां मांय सीर कोनी?''

स्रोत
  • सिरजक : भरत ओला ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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