कतोदई सूं बै दोनूं गाडी रै अेक डब्बे में बैठ्या हा। दोनां री अवस्था तेईस-चौबीस रै अड़-गड़ै ही। दोनूं सोवणां जवान हा देख्यां भूख भाजै इसा ! पण दोनां रा चेहरा मुरझायोड़ा अर मन मरय्योड़ा। दोनू जीवण रै महाजुद्ध री बाजी हारयोड़ा-सा लखावै हा। दोनां रै ऊपर छायोड़ी निराशा जाणै बांरै खून रो अेकोअेक टोपो पी लियो हुवै। दो पान हुवतै बिरवै ऊपर ज्यूं कोई लूंठी अमरबेल छायगी हुवै। दोनां मांय सूं अेक जणो हरिजन हो अर दूजो सवर्ण, पण लागै इयां जियां कोई मा जाया भाई हुवै। अेक नै लुकावो तो दूजै नै काढलो।

घायल री गत घायल जाणे। सागै-सागै करयोड़ी थोड़ी-सीक जात्रा में बां दोनां बिच्चै अपणायत बापरगी। सो बातां चाली थे कुण? दोनां आप-आपरा झींखणा अेक-दूजै साम्हें झींख्या। अेक री सुण दूजो आपरै मन में इण निश्चय माथै पूग्यो- ताज्जुब ! इण अजै तांईं आत्महत्या कोनी करी?

सवर्ण, जिको जात रो बामण हो, कोई दसेक इंटरव्यू देय 'र बां में फेल हुयां पछै जियां-तियां सैडुलकास्ट रो फरजी सर्टीफिकेट कबाड़ 'र अेकर कठैई नौकरी लाग चुक्यो हो। पण पछै पकड़ीज्यां सूं छव महीनां री कैद काट'र घरां बावड़ै हो। कल्पना रै कोरै कागदां माथै चितराम बणै हा- अस्सी नै पार करतो बूढ़ो बाप अर बाकी रा सात मिनखां रै कडूंबे सागै भूख सूं बाथेड़ो करती बूढ़ी मां, गळी-गुवाड़, सगळा जाणै बींरी आंख्यां आडा साम्प्रत ऊभा हा। बै सगळा बीरे मूंढै माथै थूकण नै तावळा हुवै हा। बातां चालै ही बामण हुय हरिजन रै मूत माथै पड्यो !

- धिक्कार! -इण सूं तो आछो कठैई कूवो- झेरो कर'र मर क्यूं गयो नीं रे ! नात-गिनायतां रा अड़ा बोल बीरे कानां में तप्योड़े सीसै दाई ढळना शुरू हुया उण सोच्यो, बा लोगां नै मूंढो दिखावण सूं आछो तो...? अर जे बो साचेकलो हरिजन हुवै तो...?

तो आज सूं कित्तैई बरसां पैली नौकरी लागग्यो हुवतो कित्ता - कित्ता लोग बांरी आंख्यां सांम्है रिजर्व सीटां ऊपर लाग्या है अर मजै सूं नौकरी करै, आपरो फरज निभावै, अर बो...? सोचतां सोचतां बींरी आंख्यां मेहपाणी हुयगी। ऊंडै मन कठैई अेक हबोळो उठ्यो अर बो आपरै गोडां माथै सिर देय बुसबुसिया फाटण ढूक्यो।

दूजो हरिजन जिको जात रो चमार हो, बो भी अंतपंत आत्महत्या खातर जावै हो। बींरो विचार राष्ट्रपति भवन सांम्है जाय आत्महत्या करण रो हो। सत्ताईस साल री आजादी में भींट मेटण तांई जैड़ा ढोल कूटीज्या अर वोटां खातर हीणजात नै छळीज्यो, बींरो जीवतो-जागतो सबूत बो देस रै सांम्है राखणो चावै हो। बींरी आंख्या आडो बस अेक जंजाळ घड़ी-घड़ी घिरोळा खावै हो- गांव रा लूंठा लोगां थोड़ो-सोक पिणघट भिंटीजण सूं घोळ दोपारे बांरी बस्ती में लाय लगाय दी ही जिण में अेक बूढो अर तीन टाबर बिलबिलावतां थका बळग्या हा। कियां काठै काळजै बाने नागा नांख-नांख' कूट्या अर कियां बांरी आंख्यां रै सांम्है बां लोगां जवान बहू-बेट्यां री लाज रा चींथरा-चौंथरा करया।

मन री आंख्या कल्पना रै परदै माथै चालती फिल्म रील देख बीरो हियो भरीजग्यो। आंख्यां छळीजगी। बो सोचण दूक्यो, इंया जीवण सूं तो मरणो...? धड़धड़ाधड़ करती अस्सी-निब्बै री रफ्तार सूं भाजती रेलगाड़ी रा पहिया पटड्या सूं अधर घूमै हा आं पहियां री रफ्तार सूं बंध्योड़ी आं दोनां रै विचारां री डोर बां सूं कठैई घणी खाथी बैवै ही। बारै निखंड आधी रात रै सरणाटै रो सूंसाट बाजै हो तो भीतर आं दो मनां री अणथाग ऊंडाई में मौत रै अंधारै री काळस जम्योड़ी ही।

होणी प्रबल हुवै। बीं रै मांड्योड़ा नै मेटणियो कुण? आपनै इचरज हुवैला के दोनू मोट्यारां री मनस्या साम्प्रत फळगी। पूरी रफ्तार सूं भाजती गाडी अेक जोर री सीटी दीनी। थोड़ी डगमगाई अक्सीडेंट हुयग्यो।

आधी रात रो टेम हो। अंधारै नै बींधती अेक सांय-सांय सागै जमदूतां रा टोळ-रा- टोळ उतरणा शुरू हुया अर मरयोडे मिनखां री आत्मा पकड़-पकड़'र लेय जावण दूक्या। अेक सीखतोड़ो सो जमदूत, जिणरी तरक्की मिनखां री आत्मा लेय जावणवाळै महकमै में नुंवी-नुंवी हुई ही, आयो अर बां दोनां री आत्मा नै अकै सागै पकड़'र ले बहीर हुयो। धर्मराज री कचेड़ी जाय पूगा दीन्या चित्रगुप्त, धर्मराज रै पेसगार दोनूं आत्मावां नै हाजर आई कर'र जणा बाने 'राइट ऑफ' करण खातर रजिस्टर खोल्यो तो हक्को-बक्को रहग्यो। दोनां री आधी सूं घणी उमर अजै बाकी नीसरै ही। ईं तारीख में बारै फगत करड़ी चोटां आवण रो अर अचेत हुवण रो मंडावण हो।

-आनै कुण बेवकूफ अठै लायो है? चित्रगुप्त रातो-पीळो हुवतां तफतीस करी। -क्यूं हजूर! जाबक मरघोड़ा तो पड्या हा...कांई गळती हुई? म्हैं लायो हूं। जमदूत कांपतां-कांपतां उथळो दिया।

गळती रा बच्चा ! थनै कुण कह्यो हो कै अचेत हुयोड़ां री आत्मा लाइजो? जा, पाछो जा! हणै-रो-हणै आं भलै मिनखां नै आरै शरीर में पाछो पुगा'र आ। म्हैं हणैई धर्मराज सा'ब नै कह परो थनै नौकरी सूं हटावण रो हुकम लावू... | चित्रगुप्त जमदूत नै धमकायो।

-अरे भाई सा'ब ! चित्रगुप्त घबरातो सो बोल्यो- फौरन इणरै सागै जावो।

आपरी मौत अबार नीं है। म्हारै ईं मूरख कर्मचारी रै पाण थां लोगां नै जिका फोड़ा पड्या बीं खातर म्हैं सरमिंदो हूं। - आप सरमिंदो हुवण नै अबै जावण द्यो दादा। दोनूं आत्मा अकै सागै बोली

म्हें तो बियांई आप कनै आवण नै उतावळा हा तो आच्छो हुयो कै गाड़ी रो अक्सीडेंट हुयग्यो अर भाई सा'ब म्हांनै लेय आया। म्हें तो सांम्हा आपरो गुण मानां।

-अरे मजाक री बात नई भाई! ओजूं तो थांरी आधी सूं घणी उमर पड़ी है। जावो अर जीवो मजै सूं! मरणें में कांई सार है? चित्रगुप्त दोनां नै लालच दियो -मजै सूं? दोनूं आत्मावां खिल-खिल हंसण लागी-बै मजा अबै म्हांनै नीं चाइजै- हत्या...सजा... भुखमरी... जबरजिन्ना... अबै तो म्हें अठैई रह 'र मजा करसां। दोनूं आत्मावां आपरा छोड्योड़ा शरीरां में जावण सूं साफ नटगी। धर्मराज री सगळी मशीनरी तो अेकै कानीं, बूढै धर्मराज रै आप पसीनो आवण लागग्यो। अैड़ो टणको केस बांरी याद में पैलड़ो आयो हो। दो आत्मावां री छोटी-सीक 'ना' धर्मराज रै आखै दफ्तर नै हिलाय नांख्यो।

-अबै विधि रै विधान से कांई हुवैलो?

-इयां तो मिनख जणा जी में आसी, आवा जावी करण दूकसी! अड़ी बातां हुवण लागी तो... साम, दाम अर भेद रा तीनूं तरीका बेकार हुयग्या जणां धर्मराज दंड नीति अंगेजी अर हुकम दियो-आंरो सागीड़ो 'रिमांड' लेवो। जियां कै आपणै गुरुड़ पुराण में आवै, दोनां नै जमदूत सड़तै नरक रै कुंडां मांय नांख्या। शाल्मलि रै कतरणी रै परां जैड़ा तीखा पानड़ा ऊपर सूं गेरया तातै तेल रै उकळतै कढावां में पटक्या पण आत्मावां टस-सूं-मस नीं हुई। मारा-कूटी सूं अंकर हां हामळ करै तो धर्मराज सांम्है जावतां सफा नट जावै।

बात रो निवेड़ो नीं हुवतो देख विधि रै विधान रा रुखाळा धर्मराज रै धूजणी छूटण लागी। बांरी आंख्यां में पाणी आयग्यो। इयां लागे हो जाणै अबैई उठ'र भींता सूं सिर फोड़ण दूकसी। बूढै धर्मराज री हालत देख आत्मावां रै कीं दया बापरी। -अेक रास्तो हुय सकै सा'ब सवर्ण आत्मा धर्मराज नै इयां कळपतां देख कह्यो- म्हनै जे हरिजण वाळै चोळियै में प्रवेश करवाय देवो तो म्हैं जावण नै तैयार हूं। क्यूं कै फेर कठैई रिजर्व सीट माथै म्हारी नौकरी... |

सुण हरिजन आत्मा बीरै लारै-री-लारै हामळ भरी सवर्ण बण'र जीवण नै म्हें भी तैयार हूं। क्यूं कै फेर भलाई भूखो सही, कम-सूं-कम अपमान री आग में तो नीं दाझणो पड़ैलो धर्मराज रै का तो बांरी हामळ सूं कीं थावस बापरी ही अर का बारी बात सुण घणा भुळसीजग्या- नई..ई...ई! उणा अेक चिरळी-सी नांखी अर दोनू हाथों री मुठ्यां सागै माथो मेज माथै देय मारयो। छेकड़लै फैसलै री घड़ी तर तर नेड़ै आवती जावै ही। धर्मराज ओकर फेरूं धीरज धारयो। बै बोल्या- म्हारै हाथ री बात हुवती तो म्हँ थाने जरूर चोळा बदळाय देवतो पण सवाल विधान से है। इणरै मांय आत्मा री जात बदळण रो कायदो कोनी। जावणो तो थांनै थारै सागी शरीरां में पड़सी म्हैं थांरी जवान अवस्था देख'र थाने अेक मौको फेरूं देवणो चावूं। म्हें थांरो भलो चावूं इणी खातर माथो मारण लाग रह्यो हूं। अबै फैसलो थारै ऊपर छोडूं। थारै डावै पसवाड़े धोळै रंग रो अेक दरवाजो है जिकै सूं निसरतां थारै लारलै शरीर में पूग जावोला अर थांरी बाकी उमर भोगोला। थारै जीवणै कानी काळै रंग रो बारणो है जिकै सूं प्रवेश करोला तो जलम जलमांतर खातर कुंभीपाक नरक में जावोला। फैसलै रो बगत हुयग्यो अर फैसलो थारै हाथ में है। जावो, आप-आपरै कळपतै माईतां नै संभाळो। पधारो !

दूजै पळ धर्मराज रै क्रोध अर इचरज रो पार नीं रह्यो। दोनूं आत्मावां सागी डील में आवण री ठौड़ कुंभीपाक नरक में जावणो आदरयो।...अर नाड़ नीची कर'र काळियै बारण सूं बारै निसरगी।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थानी री आधुनिक कहाणियां ,
  • सिरजक : मोहन आलोक ,
  • संपादक : श्याम जांगिड़ ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • संस्करण : Pratham
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