हाईवे सूं अगूण लिंक रोड़ पर डेढ कोस पड़ै नथाणियो। बिरानी इलाको, लगै-टगै दोय सौ घरां री बस्ती, घणकरा जाट अर बामण, कीं छिद्दा-माड़ा गुसांई बसै, मेघवाळां रो बास है अठै। बिगसाव री बात करां तो गांम में दसवीं रो स्कूल अर सरकारू सफाखानो है। फड़ बजार रै नांव पर गवाड़ में तीन-चार दुकानड़्यां, दो-अेक खोखा, जठै किराणै सूं लेय’र दवा-दारू तकात लाध जावै।

लारली योजना में गांम पंचायत बणग्यो। अबार सीट रिजर्व है, अर सरपंच है मूळीदेवी मेघवाळ, तारू री घरआळी। तारू, बो सागी, जिको कदेई रामेसर दादै रो खेत तीजियै बावतो, तारू, बो सागी, जिको आजकलै बोलेरो चढ्यां फिरै, तारू, बो सागी, जिकै पैंताळिस बीघा रो खेत फैक्टरी नै बेच्यो है।

फैक्टरी नूवो पंपाळ है जिको अबार गांम नै चकरी चढा राख्यो है। कंडोम फैक्टरी! हां, सुणनै में तो है, कलकत्तै रा सेठ है कोई, देस में वां री पैलां सूं इसी दो फैक्टर्यां है। ‘रेनफोर्स’ वांरो चावो-ठावो ब्रांड बतावै, सुणनै में भी है कै नथाणियै री फैक्टरी में नूवी तकनीक सूं घणा पतळा, अेक्स्ट्रा डोटेड अर खसबूदार कंडोम बणसी। अबै थे बतावो, गांम सारू मामलो अपरोगो है का नंई? कैवण नै तो गांम में भण्या-गुण्या घणाई है, पण जूनै रीत-रायतां री जड़ां भोत ऊंडी होवै। मोबाइल जुग में मिनखा सोच आगै तो बधी है, पण इत्ती कोनी कै अठै अंगराग री बातां गळी-गवाड़ री हथाई बणज्यै।

आप कैय सको, कोई बात है, गाळां में तो थारै अणूतो ‘सैक्स’ बरसै, छोरा-छींपरा ओल्लै-छान्नै ‘पोर्न’ घणोई देखै, मौको लागै कोई नीं छोडै, अर सुणो, गांम में कंडोम बरतीजता होवैला! आपरी सै बातां ठीक है, पण थान्नै मानणो पड़सी कै लोक ब्योहार में अजेई इण बाबत अडेखण है, अेक पड़दो है। बस इणी पंपाळ में भांत-भांत री बातां चालै, आछी अर माड़ी, कइयां रै गळदाई, कइयां रै स्वादिया।

गळी-गवाड़ में अेक चरचा, फैक्टरी री। पछै गवाड़ सूं उठ्यो धूवों चूल्है पूगतां के ताळ लागै! “आऽऽऽ…मरो अे…, क्यां री फैक्टरी…, बात करतां संको आवै…गांम रो तो खयानास… कूवै भांग पड़गी…राम नीसर्‌यो है…।” पण जे राम निसरै तद कठई तो बड़ै! बस, गांम रै स्याणां अर मौजिज मिनखां में बड़्यो।

सिंझ्या पौर रा लोग गवाड़ में पुरखाराम री चौकी पर भेळा होग्या। बात सरू होवतांई बधण लागी। बधो भलांई, बात तो करणी पड़सी, नीं पछै आखै गांम रै माजणै धूड़ पड़ी जाणो, कै नथाणियो किस्यो! निरोध आळो। हीं…हीं…हीं…हीं…।

बात इत्ती माड़ी भी कोनी, आजकलै सै जाणै! (ओ अेक भण्यो-गुण्यो सुर हो कदास) जाणां तो म्हे हा लाडी, पण जींवती माखी नीं गिटीजै! बात तो करणी पड़सी। पण बात करां किण सूं, धणी तो कोई देख्यो कोनी, फगत कारिया-हूंकारिया फिरै। तारियै नै बूझो दिखाण, क्यूं गांम री इज्जत तार-तार करणै री तेवड़ी है। तारियै में डोळ होंवतो तो अै सांगा थोड़ी मंडता! डोळ जावण द्‌यो, हाल घड़ी रो सरपंच है, अव्वल कीं तो जिम्मेदारी है ई, फेर फैक्टरी खातर जिग्यां बण बेची है, आपां नै बूझणो चाइजै। बूझणो के है काका, बुला’र सावळ समझा द्‌यो, मानै तो ठीक, नीं पछै और रस्तो देखस्यां।

“हरिया, हरिया…!”

“हां दादा, के केवौ…?” छोरै घर मांय सूं हेलो कर्‌यो।

“बेटा मां बैठ्या सटका सारै, इन्नै आ।”

“हां दादा..?”

“सरपंच आळै घरै जा दिखाण, तारू नै कैई, दादो चौकी पर बुलावै, अर देखी, पैली दो मांचा और

ढाळ दे चौकी पर,” पुरखाराम छोरै नै ताकीद करी।

राजनीति में भचभेड़्यां खा-खा सै हुंस्यार होज्यै, पछै तारू क्यूं लारै रैवतो! बुलावो आवता फट जाणग्यो, बुलावा क्यांरा है, गाळां री जिग्यां है। पण सरपंची अर गाळां रो तो गंठजोड़ो है, चलो, सुणस्यां भई! थोड़ीक ताळ में तारू पूग्यो। गांम रै मौजिज लोगां नै भेळा देख दोनूं हाथ जोड़तो चौकी चढ्यो। पुरखाराम भेळै दूजै बूढीयां री धोक खाई।

“मको, राम-राम सगळा नै।” तारू नरमाई सूं बोल्यो।

“रामरमी तो ठीक है, पण तूं बता, अै फैक्टरी आळा के सांगा है…?” जगदीस खीरा उछाळ्या।

बो सागी जगदीस, जिको तारू री घरआळी सामीं आपरै कास्तकार गुगनियै री जोड़ायत नै चुनाव लड़वायो।

“तारू, लाडी स्याणो कर’र तन्नै सरपंची भुळाई ही, गांम री ईज्जत उछाळनिया तो और घणाई गैलसप्पा हा।” रामेसर दादो बोल्या।

“सरपंच, बात सीधी सट्ट है, निरोध री फैक्टरी आपणै गांम में नीं लागणी चाइजै, बस।” “मायत, थे सगळा म्हानै गळत समझ रैया हो, म्हूं तो भूंड पांती आवण सूं आप घणोई दुखी हूं। बांरै भुळावै में आय’र जमड़ी और सलटा दी। बेटां रजिस्ट्री री टैम मन्नै कैयो, कोई रब्बड़ फैक्टरी लगासी, पण अबै ठाह लाग्यो है कै कंडोम बणसी।” तारू पैली बिरियां मूं खोल्यो।

“अबै तो ठाह लागग्यो, अबै कीं खांगी करलै, जे हुवै तो..! सरपंच री एनओसी बिना कीं कोनी होवै।” जगदीस भळै दड़ूक्यो।

“जगदीस भाई, थारी रीस वाजिब है, पण एनओसी तो बीडीओ साब रै कैवणै सूं देवणी पड़ी, बांरो कैवणो है कै फैक्ट्री लागणै सूं तो गांम रो बिगसाव होसी।” तारू बात राखी। “सरपंच, जे बिगसाव री घणी बात करै तो दारू फैक्टरी खुलवा दे गांम में…।” जगदीस बोळो तातो होग्यो।

तारू बोलोबालो सुणे बगै हो, पण गळ में आयोड़ी काढां कियां!

“किस्या बिगसाव है रे तारू, ढंगसर री कोई फैक्टरी लागै तो जचै ई, तो भोत माड़ी बात है, तूं सोच गांम रा काण-कायदा कठै जासी, जिण चीज री बात करतां आपां संको करां, बा आपणै अठै बणसी, बिकसी तो कित्तो अपरोगो लागसी, बैन बेट्यां अर टाबरां पर किस्योक असर पड़सी?” पुरखाराम थ्यावस सूं कैयो।

“मायत अबै थेई बतावो, के करूं, साठां भेळै बैठ्यो हूं, थारै सूं बारै जावण री सोच नीं सकूं…!” तारू धीरजाई बणाई राखी।

“सोचणो तो पड़सी सरपंच, एनओसी किसी पाछी कोनी होवै..! गांम सागै दगो कर्‌यां पार नीं पड़ै।” चुनावी हार री पीड़ मौकै-बेमौकै इसी बातां रै मिस पंपोळीजै, पछै जगदीस रै तो आज ताबै लागेड़ी।

“जगदीस, उल्टी बात नां कर…।” अबकै तारू नै कीं रीस आई।

“बात तो लाडी तूं उल्टी करी है गांम सागै, चुपचपातै रिपिया जीम’र एनओसी दे दी बापां नै।”

“पुरखा काका, मेरी फजीती करण सूं आप राजी होवो, तो करो भलांई, पण म्हूं दगाबाज कोनी।” तारू गळगळो होग्यो।

“जगदीसिया, क्यामी पच्चर करै, कठै री बात कठै ले जावै…!” पुरखाराम जगदीस नै फटकार्‌यो।

“तारू बात तेरी फजीती री कोनी, आज घड़ी तो आखै गांम री है, म्हारी जाण में तो फैक्टरी रै धणियां नै मांड’र अेकर चेता देवां, मानै तो ठीक, नीं पछै आगै री आगै देखस्यां।” वार्ड पंच रामरखाराम आपरी सीख दिन्ही।

“हां, जे बात करणै सूं बात बैठै, तो होड कोनी।” पुरखाराम रामरखै री बात पर हंकारो भर्‌यो।

“आगलै थावर, फैक्टरी धणी रो पाईयो लगावण री बात करै, बां रो मैनेजर आज दिनुगै बता’र गयो है, म्हूं उण नै आज फोन कर देस्यूं, पैली आय’र गांम रै धण्यां सूं बात करल्यो भई।” गळबंदी छूटतां देख तारू बोल्यो।

“थावर नै पंचायत में ग्राम सभा है, बठै बुला ल्यो, चौड़ै में बात हो जासी, नीं पछै पड़्या पंचां नै भूंड घालसी…!” रामरखाराम चेतै करावतो बोल्यो।

“ठीक है।” सगळां हामळ भरी।

थावर रो दिन! पंचायतघर में भीड़ कीं ज्यादा है आज। जणाई कुरस्यां कम पड़गी, ग्रामसेवकजी इण सारू हॉल में अेक दरी बिछवा दी है। सरपंच मूळी मेघवाळ हाजर है, ग्रामसभा है नीं! वार्ड पंचां में आज तो रूकमा, बाधूदेवी अर सुगणी आयोड़ी है, बाकी खुद मुख्त्यार चौधर्‌यां नै तो थे जाणो हो, हां पींपळ गट्टै बैठ्या तास रा चास्कू आज को हाल्या है नीं, बां रै भांऊ, सै दरड़ै में पड़ै, डांई कियां छोडां, सीप लागज्यै नीं..!

“कियां तारू..! फैक्टरी आळा को पूग्या नीं अजे तांई..?” पुरखाराम बूझ्यो।

“आंवताई होसी काका, मैनेजर रो फोन तो आयग्यो दिनुगै ई।” तारू बोल्यो।

खुसर-फुसर सरू होई कै अेक लाम्बी सी गाडी पंचायत रै गेट सामीं आय’र ठमी। अेक सूटेड-बूटेड आदमी आगली सीट सूं ब्रिफकेस साथै उतर्‌यो, कार रै ड्राइवर उतर’र लारलो दरवाजो खोल्यो, तीस-पैंतीस बरसां री अेक फूटरी-फर्री छोरी हैंडबैग लियां उतरी, बण अठी-उठी तकायो, उडतै केसां नै संवार’र आंख्यां पर धूप रो चस्मो लगा लियो। दोनूं हळवैं-हळवैं चालता पंचायत रै मीटिंग हॉल में पूग्या। आदमी कदास तारू नै जाणै हो, उण सूं हाथ मिलायो अर सगळां साम्ही हाथ जोड़तो बोल्यो “म्हारो नांव रमेसा है, रेनफोर्स में अबार मैनेजर हूं, म्हारै साथै सरिता जी है, आप कंपनी रा मालिक श्री रामनाथ जी तापड़िया री बेटी है, बिजनेस रो सैंग काम आप देखै, आज दिल्ली सूं पधार्‌या है।” बण आप भेळै उण लुगाई री ओळखाण कराई, पंचायतघर में ऊभ्या घणकरा लोग वां दोनां नै धणी-लुगाई समझ बैठ्या, अबै चस्मो उतर्‌यो।

“आओ, आओ, बैठो, थान्नै उडीकै हा।” पुरखाराम वान्नै आवबेस दिन्ही।

“राजस्थान म्हारै पुरखां री धरती है, नीवण करूं आप सब नै, म्हे नवलगढ़ रा हां, कळकत्तै बसां अबार।” सरिता आपरा दोवूं हाथ जोड़तां थकां भोत नरमाई सूं बोली, चस्मो उतार’र बा कुरसी माथै बैठगी।

“सरपंच साहब रा समचार पूग्या, गांम रा लोग फैक्टरी बाबत म्हां लोगां सूं बात करणो चावै, हरख सूं हाजर होग्या। बताओ, सरपंच साब, कांई बात है?” रमेस धीजै सूं बात सरू करी। “बात है, कै राजी रैवो भलांई बिराजी, म्हे गांम में फैक्टरी कोनी लागण देवां।” जगदीस सीधी सट्ट सरका दी।

“आपरै नीं जचै तो कोनी लगावां..!” रमेस अेक झटकै में पड़ूत्तर दियो। कणी सोच्यो कोनी कै इस्यो ऊथळो मिल सकै। “देखो, लाडी म्हारो मतलब है कै इण ढाळै री फैक्टरी म्हारै समाजू संस्कारां में नीं आवै, आप चावो तो कीं और चीजबस्त री लगावो, कोई को पालै नीं थान्नै!” पुरखाराम बात नै मठार’र कैयी।

“भाईजी, ठीक कैवै, विरोध फैक्टरी रो नीं है, आप जो लगाणी चावो, बा ओलै-पड़दै री चीज है।” रामरखाराम सारो लगावता थकां कैयो।

“दुनिया भोत आगै बधगी है बा सा, अबार नूंई सोच नै अंगेजण री दरकार है।” रमेसा अेक हुंस्यार मैनेजर री ढाळै मुळकता सा बोल्या।

“पण बेटा, सगळै गांम में चिगचिग हो रैयी है। बात करतां संको आवै।” रामरख आपरी स्याणप बताई।

“आपनै तो राजी होवणो चाइजै, फैक्ट्री आपरै गांम में लाग रैयी है। थोड़ो सोचो, कित्ता काम बधसी, कित्तां नै रूजगार मिलसी, दो पईसा हाथ में आयां लोगां री जूण सुधरसी…।” रमेसा भळै बात नै सांवटण री कोसिस करी।

“काम तो बधसी, पण ऊंधा..! थारै संको नीं होवैला, पण म्हारै गांम में अजेई कीं काण-कायदा है।” जगदीस रीसां में ऊंचो बोल्यो, सरपंच भेळै सै लुगायां-पतायां उणनै ताकण लागी। “भाईसाब, कंडोम अबार संकै री चीज कोनी, ब्यायै-थ्यायां री जरूरत बणगी है, आपरै गांम में मोकळा बरतीजै…।” भोत नरमाई सूं उठी आवाज सरिता री ही, जिकी आयां पछै दूजी बिरियां आपरो मूं खोल्यो हो। सरिता री बात सूं पंचायत घर में मून बधग्यो। लोग-लुगायां नै लखायो, लुगाई जात इस्यै संकै री बात नै इण ढाळै चौड़ै-धाड़ै कियां बोल सकै!

“आप चेतो करो दिखाण, मोबाइल आयो जणां, थे लोग केवता, ना रे, आपणै के काम रो है पंपाळ..! पण आज घड़ी मोबाइल सब रै खूंजै में है, बो घणकरां खन्नै स्मार्ट फोन, जिण में दुनिया री सैं सूं भूंडी, सैं सूं माड़ी चीज लाधै, पण आच्छी चीजां रो भी अणूतो खजानो है फोन! आपरी सोच है जिकी आपरी दीठ नै आच्छै-माड़ै रा दिरसाव देवै।” सरिता बोले बगै ही।

“हर बात रा दो पख होया करै, फैसलै री घड़ी दोनूं परखणा चाइजै। माफी दिराया, आप सब फैक्टरी रो फगत अेक पख देख रैया हो।”

“दूजो थे दिखाळ द्‌यो मैडम..!” विरोध रो अेक सुर उठ्यो।

“क्यूं नीं..! देखण में कांई हरज है। रमेसजी, मेरा लैपटॉप और प्रोजेक्टर तो लाइए जरा गाड़ी से...!”

घड़ी स्यात को लागी नीं, प्रोजेक्टर चालतांई हॉल री भींत पर दूजो पख दीसण लाग्यो। ‘रेनफोर्स’ रो कारखानो हो, सहारनपुर रै खुणजा गांम में, सरिता उण फैक्टरी रै कंट्रोल कैमरै नै लैपटॉप सूं लाइव कनेक्ट कर लियो। हजारूं कोस आंतरै रा दिरसाव पलछिण में काच दांई पळकण लाग्या।

दिरसाव में फैक्टरी रै अेक भोत मोटै साफ-सुथरै हॉल में घणीसारी ऑटोमेटिक मसीनां दीसै ही, बीसूं लोग धौळी ड्रेस में सिर पर स्क्रब कैप, मूंड़ै मास्क, बूकीयां तांई दस्ताना अर अेप्रेन पैर्‌यां काम कर रैया हा, अेक अलायदै हॉल में कदास कंडोम री पैकिंग चालै ही। बठैई लोग सधेड़ै हाथां सूं सागी ड्रेस में काम लागेड़ा। दिरसाव फुर्‌यो, फैक्टरी रो दफ्तर दीसण लाग्यो, भोत सांतरै ढंग सूं, नुवै सुभीतै रै साथै अफसर-बाबू सै आपरै काम में…। सरिता फोटू रोकी अर जूम करतां बोली “दूजो महताऊ पख है मायतां, खुणजा गांम री इण फैक्टरी नै फगत लुगायां अर छोर्‌यां चलावै। मसीनां सूं लेय’र पैकिंग अर ऑफिस रा सारा काम लुगायां रै हवालै है।”

फोटू और जूम होई तो कामगर लुगायां रा चैरा चिलकण लाग्या। “हं…लुगायां चलावै!” सरपंच मूळी भेळै दूजी लुगायां इचरज सूं प्रैजेंटेसन देख सरिता सामीं मूंडो जोयो, तकावै तो आदमी हा पण वां रा चैरा बुझता सा लाग्या।

“आपनै और घणो इचरज होवैला, आं में ज्यादातर लुगायां खुणजा गांम री है, जिकां नै म्हैं काम री ट्रेनिंग दिराई है। कंडोम रै नांव पर उण गांम में लोग आपरै ढाळै घणी आछी-माड़ी बात करता, पण हौळै-हौलै काम सीख्यां पछै, अै लुगायां मैणत सूं आपरै घरां नै ऊंचा ले आई है, आज आपरै परिवार सणै बै सातूं सुख भोगै। मायत, काम रो मैणो नीं होवै, मैणो होवै चोरी-जारी रो!” सरिता आपरी बात जारी राखी।

अेक लुगाई जात आपरी बात नै इतरै सबळै ढंग सूं कैय सकै, नथाणियै रै लोगां पैली बिरियां आमीं-सामीं देखी। पंचायत घर में पसर्‌यै मून में घरळ-मरळ होवणलागी। विरोध रा सुर अेक लुगाई री बोलणी सामीं डाफाचूक होग्या, पण सरिता ही, कै बोले बगै ही “अेक और बात, लारलै हफ्तै म्हारी इण फैक्टरी नै भारत सरकार रो ‘महिला उद्यमिता सनमान’ दिरीज्यो है, देखो, देस रा प्रधानमंत्री आपरै हाथां सूं म्हानै पुरस्कार दे रैया है।” सरिता फोटू और जूम करी।

सगळा कदे फोटू नै अर कदेई सरिता नै तकावै हा। “म्हानै फैक्टरी मैनेजर जद आप लोगां री बात पुगाई तो भोत तकलीफ होई। पण फैक्टरी रै विरोध सूं नीं, दरद इण बात रो, कै म्हारै बडेरां रै देस रा लोग अजेई जूनी सोच लियां बैठा है। आखी दुनिया में कंडोम बरतीजै, इण री मार्फत परिवारां में सुख-सांयती बधै। तो फगत कोरोना मास्क ढाळै है जिको आपां री मिनखाजात नै फायदो पुगावै। जे किणी लुगाई-आदमी नै इण में संको आवै तो उण नै आपरी सोच बदळण री दरकार है…।”

“म्हारी सोच नै कांई दरकार है, थे छोड़ो, बस फैक्टरी कोनी लगावण देवां अठै।” ऊंचै सुर में बोलतै जगदीस छेकड़ली कोसिस करी।

“आप भूलग्या भाईसाहब, म्हारा मैनेजर तो पैली कैय चुक्या है, आप रै गांम में फैक्टरी नीं लागैली, भगवान री किरपा सूं म्हां खन्नै दूजी जिग्यां रा प्रस्ताव मोकळा है। छेवट इत्तो कैवणो है कै म्हां सूं कोई चूक होई होवै तो माफी दिराया, आप सब नै राम-राम।” सरिता घणै आतम बिस्वास सूं बात पूरी करतां खड़ी होगी।

मैनेजर लैपटॉप अर प्रोजेक्टर संभाळ’र ड्राइवर नै झला दिया। सरिता अर मैनेजर गेट खान्नी टुर्‌या कै उणां रै कानां में आवाज पड़ी “ठमो बाईसा, थे आपरी कैय दी, अबै म्हारी भी सुणो…!” मूळीदेवी री आवाज ही जिकी कदास इण पंचायतघर में पैली बिरियां गूंजी ही। सरिता मुड़ी अर ठमगी। “आ कंडोम फैक्टरी म्हारै गांम में लागैली, म्हे देखस्यां, कुण सो विरोध करै!” मूळी रा तेवर बदळिजेड़ा हा। सुगणी, बाधु अर रूकमा आगै बध’र सरिता रा हाथ झाल लिया। पंचायतघर में दिरसाव देख आदम्यां री जाड़ां चिपगी, बोलण नै बच्यो के!

जुड़्योड़ा विसै