म्हैं रांड...? हां...हां...! म्हैं रांड...! थारै कैवण वास्तै इज तौ होई हूं... थारौ धणी तौ अमरफळ खायनै आयौ है? थूं तौ अमर सुहागण रैई...थूं कदैई रांड मती हुईजै... अैड़ौ नीं व्है के थनैं भी म्हारै ज्यूं काळौ ओढणौ पड़ै... म्हैं रांड... भूंडी... म्हारा लखण बोदा है... क्यूं, अैड़ौ कांई देख्यौ म्हारै में?... कांई म्हैं जगत रौ पथरणौ हूं... कांई म्हैं खसम कमावती फिरूं... म्हैं रांड... चोर... हूं... थूं तौ साऊकार है...म्हैं... चोरटी हूं।

देखौ तौ इण बहू री हिम्मत। म्हनैं कैवै के म्हैं मईनै भर में घी-तेल घणा उपाड़ दिया। लाजबायरी नै कैवतां लाज नीं आवै के म्हैं घी-तेल अर वेसवार छांनै-छांनै चोर नै कठैई बेटी रै तौ नीं पुगाय दिया। इण सारू इज घी-तेल अर वेसवार कीं बेगा इज उपड़ गिया। अरे! म्हारी बेटी कांई मांगनै खावण वाळी है, जिकौ थांरौ चोरियोड़ौ माल खावैला। वा चोर कोनी... म्हैं भी चोर कोनी... चोर तौ थांरै धणी-लुगाई रै मन में है... जिकौ सुवाड़ निवड़तां म्हारै सूं खोड़िलायां सरू कर दी। यूं मती करौ... यूं करौ... पाड़ौसियां सूं बातां मती करौ... बेटी रै घरे मती जावौ... क्यूं... क्यूं नीं जावूं... जावूं तौ कांई थांरै बाप रौ कीं लेयनै जावूं। अरे! म्हैं कांई अठै बोथियोड़ी थोड़ी इज हूं... म्हारै आगै कांई थांरी आंणदोई फिरै है कांई...?

म्हैं तौ सो'री ही मोभी बेटै मिसरियै कनै। उणनै लूखी-सूखी जैड़ी भी मिळै, सै सूं पैली म्हारी थाळी पुरस'र म्हनैं खवाई, पछै आप खाई। अर मां... मां कैवतां तौ उणरौ जी सूखै। जे म्हैं घड़ी-दो-घड़ी सारू अठी-वठी जावूं तौ पूरौ घर माथै ले लेवै...। अरे! मां नैं अबै कम सूझै है... उणनैं अबै अेकली नै अठी-वठी मती जावण द्यौ... कठैई पड़-पड़ा गई तौ बूढा हाडका तूटैला जिकौ तौ तूटैला ई, पण बूढा हाडका अबै पाछा संधणा दो'रा है... अर इण बुढापै में जे कठैई चूळियौ-वूळियौ उतरग्यौ तौ बैठां-सूतां गिरह व्है जावैला अर सेवा-चाकरी करणी पड़ैला जिकी न्यारी। मिसरिया री बहू रुकमा भी म्हारौ बौत खयाल राखै। मांद-साज में तौ वा म्हारौ पाळौ तकात न्हांखै अर ढूंगा धोवती बगत भी नाक में सळ नीं घालै। रुकमा तौ रुकमा इज है अर उणरा टाबर भी इत्ता डाया है के आंख्यां में घालियोड़ा भी नीं खटकै।

अरे! बूढा-वडेरा तौ मांन-मनवार रा इज भूखा व्है। अठै-मांन-मनवार तौ गई धैड़ में, टेमसर रोटी रा घांदा पड़ै। अरे! रोटी घालौ तौ मुफत री कोनी घालौ... मजूरी करूं हूं मजूरी... पूरी हाडतोड़... जणै कठैई जायनै दो टुकड़ा खावूं... वा भी... थांरा ठोला... खावती-खावती... अरे! अबै तौ थांनैं म्हारी रोटी भी खारी लागण लागगी... थांनैं तौ अबै म्हैं भी खारी लागूं... म्हैं डोसी हूं... डोसी मरूं नीं मांचौ छोडूं। पण म्हैं अठै म्हारी मरजी सूं कोनी आई। थारौ घरधणी बदरियौ सतरह लटका करतौ म्हनैं तेड़ौ आयौ हौ। वो म्हारी घणी गरजां करी ही। आंरग रा अेक नीं तीन-तीन, चार-चार चक्कर काटिया हा। म्हारी घणी गरजां कही ही के थारी बहू रै जापौ हुवण वाळौ है.... थूं चाल... सुवाड़ सारू...पण उण बगत म्हैं भी रांड कैड़ी भोळी ही... उणरी चुपड़ी-चुपड़ी बातां में आयगी अर पोटली खाक में घाल'र लटका करती-करती हपदैणी री उणरै साथै वहीर होयगी। अर अबै इण बहू नैं देखौ... गरज मिटी नै गूजरी नटी।

बात यूं देखौ जणै कीं नीं है। आं बेटा-बहू नैं मिसरिया रौ सै सूं छोटोड़ौ छोरौ आसोप आंख्यां दीठौ नीं सुवावै। अरे! वो तौ टाबर है। दीवाळी री छुट्टियां माथै काका-काकी सूं मिळण अर नेन्है गीगलै नैं रमावण आयौ है। अै बीनणी सा, म्हारै सूं तौ म्हारै सूं, इण टाबर सूं भी खोड़िलायां सरू कर दी। अबै टाबर तौ टाबर है, चढतौ खूंन है। रोटी तौ पेट में भावै जित्ती खावैला के नीं, तौ बीनणी सा फरमावै के आसोपियौ तौ खावै घणौ। इणनैं तौ रोटी खावती टेम बीच-बीच में पांणी पावौ। टाबर है के डाकी... इणनैं अठै आयां पछै कठैई हिड़कियौ तौ नीं ऊठग्यौ? आपां सगळां री पोयोड़ी रोटियां अेकर तौ अेकलौ इज डकारग्यौ।

पण बात तौ सांची है के आसोप अठै आयां पछै कीं सैंठौ दीखण लागग्यौ है। हाल उणनैं आयां नै दस-पंदरै दिन इज व्हिया व्हैला। अर आठ-दस दिन री छुट्टियां हाल बाकी है। वो अठै धाप'र पाड़ छिटक नै रोटी खावै। भूख घणी जबरी व्है रे... उण माथै भूखां री भूख तौ औरूं भूंडी व्है। वो यूं अेक-दो रोटी डटनै खावै। पण इणरौ मतळब नीं है के आप रोटी खावता टाबर नैं टोक दौ। अेक दिन बीनणी आसोप नैं रोटी खावतां टोक दियौ। उण दिन वांरी टोकार छोरै नैं अैड़ी लागी के छोरौ दो दिनां तक बाड़ियौ लियोड़ौ न्हाटतौ रैयौ। म्हैं दो-तीन दिन तक आसोपियै रै लूण-मिरच अर बाटां करी, बालाजी रौ हळकौ हाथ करायौ जणै कठैई जायनै उणरै जी में में जी आयौ। अबै आसोप साव नेन्हो टाबर भी नीं है। सैंग समझै है। अपणै परायै री सैंग पिछांण है इणनैं। कालै आपरै घरे जाय'र आपरै मां-बाप नैं कीं कैयौ तौ वै कांई सोचसी के म्हारौ टाबर कांई कदैई चोपड़ियोड़ी रोटियां देखी कोनी?

चोपड़ियोड़ी रोटी छोड'र लूखी-सूखी जैड़ी-तैड़ी भी टेम माथै मिळ जावै वा भी बौत बडी बात है। कैवत है नीं के कठैई तौ घी घणा नै कठैई मुट्ठी चिणा। मोटोड़ै मिसरिया रा हाल तौ भूंडा इज है। भैसड़ै वाळी वडेर तौ बदरियौ अेकलौ इज दबाय न्हांखी। वो तौ आजकल आंरग में अेक पड़वौ घालनै ज्यूं-त्यूं दिन धिकावै है। वो मजूरी सारू गांव-गांव फिरतौ फिरै। पूरै आंरग गांव में सै सूं थाकोड़ौ कोई घर है तौ वो मिसरिया रौ है। वो कदैई किणी खेत में वड़ियौ बण जावै परौं कदैई कमठा माथै मजूर बण जावै परौ। कदैई-कदैई किणी चाय री होटल माथै अेंठवाड़ा बासण धोवण नै रैय जावै। इत्तौ करतां हांतर उणरै घर में तौ च्यारूंमेर भुआजी फिरियोड़ा है। वै दोन्यूं टंक तौ कदै-कदास रोटी भेळा व्है। वांनैं धापनै आछै ओळण साथै रोटी खायां नै तौ जुग बीतग्या। वांनैं तौ कदैई-कदैई लांगटियौ, घाट के गूगरियां खायनै इज रात काटणी पड़ै। अेकला-दोकला व्है तौ ज्यूं-त्यूं धिक जावै, पण अठै तौ पूरी आधी दरजण फौज है। चार छोरियां नै दो छोरा। उण माथै अेक कमाऊ नै सै खाऊ। छह भाई-बैनां में आसोप सै सूं नेन्हौ है। इणनैं म्हारै टाळ अंगैई नीं आवड़ै। रात रा म्हारै खोलियै टाळ किणी दूजै कनै नीं सुवै। म्हारौ जी खावतौ रैवै- धा, कहांणियां सुणा...धा, कहांणियां सुणा... अर कहांणियां सुणतौ-सुणतौ म्हारै खोळै मांय इज सूय जावै। अबार दीवाळी री छुट्टियां व्ही तौ म्हारी ओळूं कर अेकलौ इज आंरग सूं भैसड़ै तीन कोस रौ पेंडौ कर पाळौ इज बुऔ आयौ। क्यूंके इण धोरा-धरती में आज तक आवण-जावण रौ कोई साधन नीं है।

नीं-नीं करतां बदरिया रै राज री नौकरी है। दबायोड़ी बडेर है। अर अेक-दो बीघा खेत भी है। जिणमें कदै-कदास काचर-बीज हुय जावै। यूं इणरै घर में सैंग बातां रौ ठाठ है। पण हाडी थोड़ी'क पौची है। यूं दोन्यूं धणी-लुगाई मन रा भी कीं काठा है अर आप-सुवारथी भी घणा है। म्हारै आयां पछै तौ हाडी थोड़ी'क आछी हुई है। इण सारू इज म्हारै हाथ सूं घी-तेल कीं बत्ता उपड़ै। पण म्हैं चोर कोनी... म्हारी बेटी रौ सासरौ इण गांव में इज है... इणरौ मतलब कोनी के म्हैं चोरटी हूं... म्हैं चोर-चोर नै मालमत्तौ उणनै पुगाऊं।

कैवत है नीं के खुद री साथळ खुद रै हाथां सूं उघाड़तां खुद नैं इज लाज आवै। पण अबै कर्‌यौ कांई जावै? परसूं री इज बात है। म्हैं अर आसोप रसोई में बैठा हा। म्हैं रोटियां बणा रैयी ही। बदरियौ बारै सूं आयौ इज हौ। बैरणै रै मांय बड़तां उणनैं कांई ठा कांई कुचमाद सूझी के वो सीधौ म्हारै कनै आयनै पूछ्यौ, “कांई मां'सा, आसोप नैं रसोई में बैठा-बैठायनै छांनै-छांनै कठैई थरकण वाळौ दूध तौ नीं पावौ हौ?”

बदरियै रै तौ जाटवाळी गिलगिली हुई, पण म्हनैं तौ वाढौ तौ खून नीं। म्हैं उणनैं पाछौ ओठौ देंवती थकी बस इत्तौ इज कैयौ, “क्यूं, कांई कदैई धोळी पांणी देख्यौ कोनी?”

वो भी पाछौ पड़ूत्तर दियौ, “धोळौ पांणी तौ घणौ देख्यौ व्कैला, पण मां'सा आपांरी भूरकी भैंस रै दूध री बात कीं ओर है। भूरकी भैंस रौ दूध अर वो भी थरकण वाळौ...।” इत्तौ कैयनै वो तौ डग-डग हंसण लागग्यौ पण म्हारौ काळजौ बळनै राख होयग्यौ।

नुंवी बात नव दिन, खांची-तांणी तेरह दिन। वां दिनां बदरिया री साळी पारवतां आयोड़ी ही। आसोप तौ हाल टाबर इज है। उणनैं कांई ठा के किणी दूजां री चीजां बिना पूछ्यां-ताछ्यां नीं छेड़णी चाईजै। उण दिन वो बदरिया री छोरी रा मौजा आपरै पगां में घाल लिया। वो तौ आज तक आपरी उमर दो पट्टी वाळा चप्पलां में इज काढी है। वै भी फाटोड़ा-टूटोड़ा, गाभां री पिनां लागोड़ी तौ कणैई-कणैई दोन्यूं चप्पलां अलग-अलग रंग री व्हैती तौ भी चालती। वो हाल पगां में मौजा ठसाया इज हा के पारवतां उणनैं देख लियौ। वा तौ देखतां आव देख्यौ नीं ताव, छोरै नैं लपकावणौ सरू कर दियौ, “ओ कांई करै है? मीजा कांई थारा बाप-दादोजी भी कदैई पैरिया है। खोल-खोल, मौजा... अै मौजा तौ छोटै टाबर है... थारै नाप रा थोड़ै है... मौजा फाटग्या तौ...।” इत्तौ कैयनै वा उणनैं डांट-डपट नै घर सूं बारै भेज दियौ। बात जद बेटा-बहू नैं ठाह पड़ी तौ वै भी उणनैं डांटियौ डपटियौ। आसोपियौ तौ हाकळ-बाकळ होयोड़ौ म्हारै खोळै में आय'र भू-भू रोवण लागग्यौ। म्हैं उण दिन तौ उणनैं नीठ माठ करायी।

इत्तौ सैंग व्हेता थकां म्हैं मूंढौ भींच'र सैंग चुपचाप सहन करती रैयी। बीनणी री दूजी सुवाड़ है। पैली बार री छोरी आज सात-आठ साल री है। वा भी आपरेसन सूं होई ही। अर दूजी बार रौ छोरौ भी आपरेसन सूं इज होयौ है। इण बार तौ बौत मोटो आपरेसन होयौ। जच्चा-बच्चा दोन्यूं मरता-मरता बचिया। डागदर तौ बीनणी नैं दो-तीन मईना तांई मांचै सूं हेटै उतरण रौ भी मना कियौ है। छोरी नकतै है। इण सारू बीनणी इक्कावन दिन री उठ'र अेकर तौ माथौ धो लेई। उण पछै कित्ता'क तो दिन रैया है। ले, जीवड़ा मूंढौ बंद राखण में इज सार है। नीं तौ लोग कांई कैवैला? मां'सा जापौ सुधारण नैं आयी ही के बिगाड़ण नैं? जे कालै कीं ऊंधी-सूंथी बात होयगी तौ म्हारी तौ इत्ता दिनां री करी-कराई चाकरी माथै पाणी फिर जा'ई।

पण उण दिन तौ हद होयगी। आसोप तौ यूं टोगड़ियौ व्है ज्यूं म्हारै आगै-लारै फिरतौ फिरै। उण दिन म्हां दोन्यूं फेर रसोई में इज बैठा हा। म्हैं सुबै रौ खांणौ बणा रैयी ही। बदरिया नैं आज टूर माथै जावणौ हौ। म्हैं रोटियां पोय'र रींगणा री साग छमक्यौ इज हौ के वेसवार न्हांखण सारू हटड़ी जोयी तौ उणमें लूंण रौ खण खाली हौ। म्हैं आसोपियै नैं अलमारी सूं लूंण री भरणी लावण रौ कैयौ। वो अलमारी में लूंण री भरणी जोवण लाग्यौ। इत्तै में नीं जांणै कणै बदरिया री छोरी झांकनै गई अर आपरी मां नैं बुला लाई। पैली तौ दोन्यूं भींत री ओट सूं छांनै-छांनै देखता रैया। पछै हपदैणी री बीनणी अेकदम साम्हैं धमकी। वा तौ छूटतां आसोपियै माथै बरस पड़ी, “क्यूं, कांई जावै है? काजू-दाखां वाळी भरणी लाधी कोनी कांई? रोज-रोज काजू-दाखां रा फाका मारतौ रैवै। म्हैं सोचूं के काजू-दाखां री भरणी दिनोंदिन खाली कीकर होय रैयी है। आज पकड़ में आयौ।” बीनणी और भी नीं जांणै कांई-कांई बकण लागगी ही। छोरी भी कनै ऊभी आंख्यां रा मटरका अर हाथां रा लटका कर रैयी ही। बीनणी बक-बक करतां आसोपियै कनै पूगगी ही। म्हैं वीनैं घणी सफाई दी, “अरे! कीं नीं खायौ। काजू-दाखां री भरणी नीं लूंण री भरणी जोय रैयौ हौ। हटड़ी में लूंण रौ खण खाली होयग्यौ हौ। इण सारू म्हैं इज इणनैं लूंण री भरणी लावण रौ कैयौ।” पण वा म्हारी बात अंगै नीं सुणी। वा तौ बस अेक इज रट झाल राखी ही पाडै वाळी पूंछ दांई।

इत्तौ हाकौ दड़बड़ सुण'र बदरियौ मांयलै कमरै सूं बारै आयग्यौ। वो भी सांची बात जाणण सूं पैला आसोपियै नैं इज जोर सूं लपकायौ। छोरौ तौ थोड़ी-सी धाकल सूं रोवणगाळौ होयनै फेर म्हारै खोळै में बड़'र डुसका-डुसक होयग्यौ।

अबै तौ म्हैं भी तैस में आयगी। चूल्है माथै छमक्योड़ौ रींगणां रौ साग छोड'र हाथ री कुड़छी परी बगावती थकी म्हैं ऊभी होयगी। अचांणचक कुड़छी उछळ'र बीनणी रै मूंढै माथै लागगी। पण इत्ती जोर सूं भी नीं लागी ही के कोई गैरौ घाव व्हैग्यौ व्है जांणै। तो भी बीनणी सा रौ तौ रोणौ-धोणौ सरू होयग्यौ। उणरी आंख्यां सूं मगरमच्छी आंसू बैवण लागग्या। फगडा ऊपर फगडा सरू व्हैग्या। देखतां देखतां वा तौ पूरौ घर माथै उठा लियौ अर जोर-जोर सूं हाका करण लागगी, “म्हनैं मार न्हांखी रे... म्हनैं मार न्हांखी।” बदरियौ आपरी लुगाई रौ पख लेवण लागौ तौ म्हनैं भी बोलण री कीं सुध नीं रैयी। म्हैं भी मूंढै में आवै ज्यूं नै खावै ज्यूं बकण लागगी, “....जा रे घाघरै रा ढेरा... म्हारौ छोरौ थांरा काजू-दाखां खाय गियौ... बौत मोटौ सेठ है रे तूं गांव रौ... अरे! गरीब है... इणरौ मतळब कोनी के चोर, लुच्चौ के लफंगौ है। तो काजू-दाखां खाया कोनी, जे खाय लिया तौ कांई होयग्यौ, तौ टाबर है... कांई थांरी छोरी कदैई काजू-दाखां खावै कोनी... म्हैं जाणूं हूं... म्हैं सैंग जाणूं हूं... थूं कांई कैवणौ चावै? म्हैं... म्हैं थांरै बिचै घणी दीवाळियां पूजी हूं... म्हैं... म्हैं थनैं जलम दियौ हूं... थूं म्हनैं जलम कोनी दियौ... म्हैं तौ... म्हैं तौ थांरी रग-रग जाणूं हूं... अरे! तूं लुगाई री बातां में आय'र इण छोरै रै मिस म्हनैं कांई आंख्यां दिखावै है? तूं खुद आपरै मूंढे सूं साफ-साफ क्यूं नीं कैय देवै के मां'सा, अबै आप आपरै दूजोड़े बेटै कनै पधारौ। अरे! म्हैं तौ बडोड़ा कनै इज सुखी रैवूं। वठै म्हारी इत्ती बेइज्जती अर इज्जत रा कांकरा तौ आज तक नीं व्हिया। अरे! मोळिया मांटी... लुगाई रा गुलांम... थारी लुगाई म्हारै माथै चोरी रौ कूड़ौ इलजाम लगायौ... म्हैं चुप रैयी... थूं म्हारै माथै छांनै-छांनै आसोपियै नैं दूध पावण रौ इलजाम लगायौ म्हैं चुप रैयी...अर अबै इण माथै काजू-दाखां खावण रौ फेर कूड़ौ इलजाम लगा रैयौ है... म्हैं थारी लुगाई रै हाथ नीं लगायौ तौ भी यूं कूकारोळौ मचा रैयी है के म्हैं इणनैं मारी...ले... ले संभाळ थारी रसोई... संभाळ थारा चूल्हा-चौकी... अर घर...म्हैं तौ अबार ई... अबार ई...इणी टेम अठै अेक छिन ढबियां बिना थारौ घर छोडनै जावूं...!”

म्हैं तौ इत्तौ कैयनै आपरी गाभां री पोटली लेय'र वठै सूं वहीर व्हैगी। आसोपियौ तौ डरूं-फरूं होयोड़ौ म्हारै सूं लिपटग्यौ। बदरियै रै मूंढै सूं म्हारै सारू जांणै फूल झड़ रैया हा।

“घर भंगावणी... कळै काटणी... अै इत्ती पोयोड़ी रोटियां कुण खा'ई...ले, जावै तौ जाव, पण आं रोटियां रौ भातौ साथै लेती जा... छोरै नैं बिगाड़नै धूड़ कर न्हाखियौ है... यूं नीं इणनैं समझावै के बेटा, यूं नीं करणौ... पण नीं... इणरी भीड़ बोल-बोलनै इणनैं माथै चढा राख्यौ है।”

वो फेर रोटियां सारू कैयौ तो म्हैं भी पाछी बरस पड़ी, “रोटियां... हां-हां, रोटियां रौ इज तौ छातीकूटौ है। म्हैं तौ बैठी-बैठी रोटियां तोडूं... जापौ खवावण नैं तौ थारी सासू आई व्हैला अठै... अरे! मजूरी करी हूं, मजूरी! पूरी हाडतोड़...जणै कठैई जायनै दो टुकड़ा खावती म्हैं... वै भी सोरै सांस कोनी खावण दिया...औ छोरौ भी रोटियां घणी खावै... जणै इज तौ थारी बहू इणनैं डाकी बणायौ... अर म्हनैं चोरटी... म्हैं तौ अबै थारै घर में अेक छिण नीं ढबूं... म्हैं तौ ऊभी री ऊभी निसरूं अठै सूं... रोटी छोडनै पांणी भी कोनी पीवूं थारी मटकी रौ... म्हैं तौ फूंकारौ भी आंरग जायनै खादूंला... ले थनैं म्हारी तलासी लेवणी व्है तौ ले लै, नीं तौ थारी बहू फेर लारै पूरै गांव में कैवती फिरैला के म्हैं कोई चीज-वस्त चोरनै लेयगी, ले... म्हारी तलासी ले लै... अै देख म्हारी पोटळी में पूर टाळ कीं नीं है... अै दो पोलका अर दो ओढणा... अर अै दो फड़दा रा घाघरा... म्हैं चोरटी... आसोपियौ चोरटौ... थनैं औरूं भी कैड़ी तलासी लेवणी व्है तौ ले...लै...थनैं थारै लुगाई-टाबरां री सौगन... इण छोरै री भी तलासी ले लै... इणनैं नागौ कर'र इणरी तलासी लै... नीं तौ पछै लारै थारी बहू फेर सेंगां नैं कैवती फिरैला के चोरटौ म्हारी चीज लेयग्यौ.... के वा चीज लेयग्यौ।

...अरे! भंडळाव रा बाप... म्हैं थनैं इण दिन सारू इज तौ जलम दियौ हौ के थूं अेक दिन थारी मां रांड नैं इज चोर बणाईजै अर म्हैं थारौ दाळ धोवै ज्यूं गू धो-धोयनै इण सारू इज तौ मोटौ करियौ के अेक दिन म्हनैं इज आंख दिखावै...अरे! दे रे पाडा आसीस... म्हैं कांई देवू म्हारी आंतड़ियां देवै के... ज्यूं थूं म्हनैं सतावै है थारी औलाद भी थनैं यूं री यूं सतावैला... गू कालै मोटौ व्है जावैला...म्हैं तौ इज आसीस देवूं के ज्यूं थूं म्हनैं ठारै है थारौ बेटौ भी थनैं यूं रौ यूं ठारैला.... हे रामजी! थूं ज्यूं राखै ज्यूं म्हैं तौ रैवण नै त्यार हूं... पण गत तौ मती बणा... हे बदरिया, थूं इज म्हारौ काळजौ बाळ रैयौ है... थारौ बेटौ भी थारौ काळजौ यूं रौ यूं बाळैला...।

हे रामजी! म्हनैं मौत क्यूं नीं आवै? म्हैं अबै तौ... अैड़ा दुखड़ा रा दिन काटती-काटती अंगैई आथगी हूं... हे बदरिया... थूं म्हारी आतमा नैं सतावै है तौ थनैं रामजी सतावैला... थूं आंधौ हुइजै... नै भींतां सूं भचीड़ा खाइजै... अरे! थारी बहू म्हनैं रांड... रांड... कैय बतळाई... पण म्हैं तौ रांड हूं... थूं थारी लुगाई नैं रांड मती होवण दीजै। ले आव रे आसोपिया, आपां चालां...।

नीं...नीं...धा...अरे! छोड... म्हनैं... छोड... मरगी थारी धा... म्हैं... म्हैं तौ अबै अठै अेक छिण सारू नीं ढबूं... थूं... थूं इज तौ थारी मां नैं आसोपिया रै खिलाफ भिड़का-भिड़कायनै त्यार करी है... अर अबै आयी है के.... नीं... धा...मती जा... नहीं जावूं तौ कांई अठै थारै मां-बाप री ठोकरां खावती रैवूं... अरे! छोड... छोड म्हनैं... जावण दै... म्हांनैं।

इण गांव सूं आंरग तीन कोस है। म्हैं अर आसोपियौ भूखा नै तिरसा माथै दिन रा व्हीर व्हैग्या। म्हारै सूं तौ दोरौ घणौ चालीजै। गेडिया रै सारै होळै-होळै चालूं... इण चाल सूं तौ सिंझ्या पड़ियां पैली कांई पूगीजै? ... तीन कोस रौ पैंडौ कोई कम कोनी। इत्ती अळघी भौं अर छोरौ भूखौ नै तिरसौ। अरे!... अरे उण छोरी नैं भी आं दिनां में इज तीरथां जावणौ सूझ्यौ...वा...वा जे अठै होवती तौ म्हां दोन्यूं सै सूं पैली उणरै अठै इज जावता... छोरौ रोटी-बाटी खा लेवतौ... उण पछै ठाडी पौर रा आंरग कांनी टुर जावता... म्हैं... म्हैं... भी...नीं... नीं...म्हैं... म्हैं तौ मां हूं... म्हैं... म्हैं...तौ छोरी रै घर रौ पांणी नीं पीवूं... तौ... रोटी-बाटी तौ म्हारै सारू...हरांम है हरांम... पण... पण... छोरौ... छोरौ तौ रोटी भेळौ होय जावतौ...हे.... हे...म्हैं भी कैड़ी गैली हूं... म्हैं म्हारै सारू नीं तौ कम सूं कम इण छोरै सारू तौ दो-चार रोटियां लुकाय'र लावती। रोटी भेळौ होवतौ तौ पग कीं आंछै-आंछै उठावतौ। अबै अेक तौ भूखौ, उण माथै तपतौ तावड़ौ।

अरे! मिसरियै रा बापू, थे तौ बेगा सरग सिधार गिया... पण म्हनैं इण दाळिदर में अेकली छोडग्या। हे भगवांन! थूं भी म्हारै सूं किण-किण भौ रौ बदळौ काढ रैयौ है। सायत आगोतर रा लेखा है के कीं काळा तिलड़ा खायोड़ा है जिका इण भौ में निकल रैया है... हे

भगवान! इण बदरिया जैड़ी औलाद तौ किणी नैं मत दीजै रे... अैड़ी औलाद बिच्चै तौ बांझड़ी भली... मां तौ बेटा... बेटा नैं तरसै पण अै कैड़ा बेटा जिका मांवां रा मांय रा मांय सिझावै टेटा।

अरे आसोपिया, अबै आंरग कित्तौक आघौ है रे! चालती-चालती रा म्हारा तो पग रैयग्या। कांई कैयो... कांई कैवै है रे लाडी... हाल तौ आधै कोस री भौं माथै ओलौ गांव आवैला... वठै सूं हाल तांई अेक कोस फेर है। इणरौ मतळब हाल तांई तौ आधेटौ इज आयौ है... अरे छोरा... अबै तौ नीं चालीजै रे। पग तौ जवाब दे दिया... फींचां में तौ जांणै गोळा बंधग्या है... उण माथै पेट री आंतड़ियां पांणी छोड रैयी है... आसोप, अै छोरा आसोपिया... म्हारौ तौ जी दो'रौ होय रैयौ है रे... देख, कठैई पांणी व्है तौ... म्हनैं तौ अैड़ौ लागै जांणै अबार म्हनैं उलटी व्है जावैला... अरे छोरा... देख तौ... उण खेत में उण झाड़का हेटै पांणी रौ घड़ौ पड़ियौ दीसै... उण घड़ै सूं पांणी रौ लोटौ भरनै लाव तौ... रे, मां रे! काळजै में कैड़ी धुकणी धुक रैयी है... जांणै प्रांण अबार निकळ जावैला...। ओह...ह ह...फफफ... आहहह...ऊ...ऊ... अे... आक थू... थूं... आखिर उल्टी होय गी। अबै... अबै कठैई जायनै जी सो'री व्हियौ है... छोरा आसोपिया, लोटौ भरनै छेकौ ला रे... कुल्ला करा नै कीं पांणी पा रे... ओलै रा रूंखड़ा अबै तौ कनै इज दीसै है... वठै जायनै थोड़ी'क बिसांई खावां... उण पछै तौ अेक कोस इज चालणौ है... बेगौ कर रे बीरा...।

ओलौ... ओलौ गांव आयग्यौ। आव थोड़ी'क बिसांई खा'लां... तौ गुलजी री गवाड़ी है... अरे आसोपिया... अै... अै गुलजी आगै-नेड़ै में थारै भाभा लागै...ले आव रे लाडी, इण बड़लै हेटै... ओटै माथै बैठनै थोड़ौ'क फूंकारौ खा'लां। अठै थोड़ौ'क पांणी...वांणी... चाय-वाय पी'र बेगा आपांरै गांव कांनी टुर जावां, जिकौ कम सूं कम ब्याळू बगत रा तौ घरे पूगता होवां।

हाल दिन आथण में तीन-चार घड़ी बाकी है। अै छोरा आसोपिया, कठै गयौ रे... आव... आजा... ओटै माथै... हां हां लाडी आजा। वै देख... वै देख... गुलजी री बहू आपां नै ओटै माथै बैठा देख'र आपां री आवाज सुण'र पींडै सूं पाणी रौ लोटौ भरनै लावै है...आ रे आसोपिया, अठी आव, आजा म्हारै कनै...ले वै पांणी ले आया... कीकर गुलजी री बहू... राजी-खुसी तौ हौ... टाबर-टूबर सैंग मजै में तौ है...म्हैं... म्हारौ कांई... कीकर दिन धिकावूं हूं... दो'रा के सो'रा... अबै बूढां रौ कांई... आज हां, काल नी...। अै आसोपिया, लै लोटौ, पैली थूं पांणी पी लै पछै म्हैं पीवूं। अे रे आसोपिया... पांणी पी लियौ लाडी अबै लोटै मांय पांणी होवै तौ लोटौ म्हनैं दै... म्हैं पांणी पीवूं... पांणी तौ थोड़ौ है...ले बहू अेक लोटौ फेर भर ला... लायी, बहू...ला दै... म्हनैं दै... म्हैं धापनै पांणी पी लूं... वाह... अबै ठीक है... है।

कांई कैवौ ही गुलजी री बहू... पोटली लियां म्हैं आज कठी...? अबै थांनैं कांई बतावूं लाडी... खुद री साथळ उघाड़्यां खुद रौ इज भूंडौ लागणौ है... म्हैं तौ बदरिया री बहू रै जापौ करावण नैं गई ही। म्हनैं कांई ठाह ही के बदरियौ म्हारै में अैड़ी करी। बदरियौ... तौ बदरियौ... उणरी बहू भी सैज माया नीं है। वै दोन्यूं धणी-लुगाई म्हारै सूं तौ म्हारै सूं, इण असोपिया सूं खोड़ीलायां करण लागग्या। पण आज... आज तौ हद होयगी। वै इण छोरै माथै कूड़ौ इल्जाम लगायौ के काजू-दाखां खायग्यौ... म्हैं... म्हैं... बहू रै हाथ नीं लगायौ पण वा कूकारोळौ कर'र पूरौ घर माथै उठा लियौ के म्हैं उणनैं कुड़छी सूं जाणकर नै मारी... अरे! वांनैं तौ अबै म्हारै सूं छुटकारौ पावणौ हो... इण सारू खोड़ीलायां कर-कर म्हनैं घर सूं बारै काढ दी...।

ले बहू... अेकाध लोटौ फेर भर ला, थोड़ौ'क हाथ-मूंढौ धोय लूं... मारग में बौत जी दो'रौ होयौ हौ... अरे गुलजी री बहू, आजकाल तौ पाळौ अंगैई नीं चालीजै... मजबूरी में माडै चालणौ पड़ै... ला बहू... पांणी री लोटौ... थोड़ौ'क मूंढा माथै छिटक'र मूंढौ धोय लूं... ओफ्फ... अहाख... धू... हाथ मूंढौ धोयां... अबै थोड़ौ'क जी सो'रौ होयौ है... अबै कीं जी में जी आयौ है... कीं काळजौ ठंडौ होयौ है... नींतर छाती मांय होड़ौ आयोड़ौ व्है ज्यूं हौ।

कांई कैवौ हौ बहू... मांय चालां... अरे! नीं अे लाडी... अठै बैठा हां... मांय चालनै फेर कांई करणौ है... अठै ठीक है... नीं... नीं... मांय नीं... अरे! बहू जादा जिद क्यूं करै...ले तौ पछै थूं राजी रै... थूं इत्तौ कैवै तौ मांय चालां परा... पण थूं जादा कीं छातीकूटौ ना करै... अै आसोपिया, ले आव रे... आजा।

चाय... चाय... अरे! गुलजी री बहू चाय री क्यूं तकलीफ करै... कांई कैयौ... बीनणी चाय चढा चुक्या है... तौ... तौ... थांरी मरजी। अरे बहू... अै चाय झिलायग्या जिका किसी बीनणी है... कांई कैयौ बिचेटिया री बहू... वाह बीनणी... वाह... चाय... चाय तौ बौत आछी बणायी... बेटा... पीवतां जी सो'रौ होयग्यौ... अेक घूंट में सगळी थकांन उतरगी बेटा... चाय में इलायची री खुसबू नै काळी मिरच-सुंठ जोर री बोल रैयी है...।

अै हे हे हहह.... चाय... चाय तौ म्हारी बदरिया री बहू भी बौत आछी बणावै... इलायची काळी-मिरच अदरक न्हांख नै... अैड़ी बढ़िया चाय बणावै के... उणरी हाथ री चाय तौ बार-बार पीवण रौ जी करै... जिण बगत वा साजी ही... उण दोन्यूं टेम चाय तौ म्हनैं उणरै हाथ री इज भावती... म्हनैं तौ उणरै हाथ टाळ किणी बीजै रै हाथ री बणायोड़ी चाय ऊगै आथ कोनी... उण जैड़ी चाय तौ म्हैं भी नीं बणा सकूं।

वाह... बीनणी... वाह... जी सो'रौ होयग्यौ... चाय पीवतां पूरै डील मांय जांणै ताजगी वापरगी... अखाख... अखखाखा हहह... खख थू....अरे! कांई, आ... अतरूज किंया पड़ी... चाय तौ बौत चोखी है... पण... पण... खह खह... खह... खसखसी कैड़ी... अतरूज क्यूं पड़ी... अै आसोपिया... अै! गुलजी री बहू, व्है व्है... बदरिया री छोरी म्हनैं याद कर रैयी है... गुलजी री बहू दूजी कोई भी वठै म्हारी चिंत्या करण वाळौ नीं है... पण वा... वा म्हनैं याद कर-कर रौ रैयी व्हैला... के धा आज माथै दिन रा भूखी-तिरसी आसोपिया नैं लेय'र निसरगी...ले लै... बहू... चाय रौ कप लै... अबै... अबै तौ बचियोड़ी चाय म्हारै घांटै नीं उतरै।

अरे! अै गुलजी री बहू... आ... आ... बारै धड़ा माथै बैठी बासण मांजै जिकी छोरी थांरी मोटोड़ी पोती तौ कोनी... आ... किणरी बेटी है...?... कांई कैयौ, मोटेड़ै री... छोरी घणी कांमूड़ी है ओ... म्हैं कणै'क री देख रैयी हूं।

अे हे... हहह... हहह... छोरी... छोरी बदरिया री छोरी भी बौत कांमूड़ी है... वा म्हारौ बौत ध्यान राखती... नीं-नीं करतां भी उण छोरी रौ म्हारै माथै जी है...उण दिन जद म्हनैं कांम रौ बौत थाकैलौ चढियोड़ौ हौ, वा छोरी इज... वा छोरी इज पूरै घर रा फूस-पौछा करिया हा... अर वा छोरी इज उण दिन म्हारै माथै दया कर कूंडा भरियोड़ा बासण मांजिया हा। उणरी मां बदरिया साम्हैं म्हारा कित्ता काचड़ा करै, पण वा सुणै जद सगळां नैं टकौ-सो जवाब दे देवै के म्हारी दादी अैड़ी नीं है... अरे! वा छोरी म्हारै घर सूं बारै निकळ्यां पछै लारै कीं भी खायौ-पीयौ नीं व्हैला... अर म्हैं अठै... बैठी... बैठी चाय री चुसकियां... ले रैयी हूं।

कांई गुलजी री बहू... कांई कैयौ थे... अरे! म्हैं अठै बैठी-बैठी कठै पूगगी...अरे! बहू मन मांय जद कोई गुरणी घुस जावै तौ पछै वा गुरणी चालबौ करै...हां... हां...थे...साव सांचा कै म्हैं तौ बोली री इज बाड़ी हूं... जी री बिलकुल भोळी हूं। म्हारी तौ आदत है कै म्हैं तौ मूंढा-मूंढ साची-साची सुणाय दूं...पण म्हारै पेटै पाप नीं है... हां... हां... कांई कैवौ हौ थे... रोटी... रोटी... नीं...नीं रोटी-बाटी थे अबै रैवण दौ... क्यूं इत्ती तकलीफ करौ... यूं रोटी री किसी टेम है... चाय पीयली बस... नीं बहू नीं, रोटी-बाटी तौ थे अबै रैवण दौ।

अेहेहहह... हहह... हां... हां... रोटी जे म्हारै करमां मांय होवती तौ म्हैं बणियोड़ी रोटी क्यूं ठुकरा नै आवती?... कैवै है नीं के ठुकरायोड़ी रोटी आगै भी बौत दो'री मिळै... वो बदरियौ... वो भी तौ म्हनैं रोटी खायनै जावण रौ इज कैयौ हौ... म्हैं तौ वा रोटी ठुकरा आई तौ अबै... दूजां री रोटी... नीं... नीं... लाडी रोटी री तौ थे आ'ळ करौ...।

अरे! बहू... ओ... ओ... साम्हैं कुण रैयौ है... म्हनैं तौ... म्हनैं तौ... सायत थांरौ बिचेटियौ बेटौ दीसै... ओ... ओ... थांरौ बिचेटियौ... बेटौ इत्तौ मोटौ होयग्यौ... कांई कैवौ... दो टाबरां रौ बाप है... औ... ले... लाडी इत्ता कनै रैवता हांतर कित्ता आगा हां... केई-केई बरस तक मिळणौ नीं होवै तौ कांई ठाह पड़ै...अरे!... अरे...नीं... नीं बेटा... म्हारै पगां... म्हारै पगां नीं... नीं... रे... जीवतौ रै

... जीवतौ रै... बेटा।

अेहेहहह... हहह... बदरियौ... बदरियौ रीस में म्हनैं आवळ-कावळ बोलग्यौ...पण... पण वो रोजीना सिंझ्या रा ठाकुरजी री आरती कर'र सै सूं पैली म्हारै पगै लागै... लारै रै लारै उणरी बहू अर छोरी भी... सिंझ्या पड़्यां... दीया-बत्ती री वेळा म्हनैं अेक छिण सारू अैड़ौ लखावै के म्हैं... म्हैं घर री धिरयाणी हूं... म्हैं घर री वडेरी हूं...ओ...ओ... अेक छिण रौ सुख तौ सरग रै सुख सूं भी बधनै है... ओ...ओ... सुख तौ म्हनैं सरग में भी नीं मिल सकै।... अर... अर म्हैं अैड़ै सरग नैं लारै छोड आई।

अरे! कांई गुलजी री बहू, थे तौ रोटी पुरस नैं ले आया... म्हैं थांनैं मना करियौ हौ नीं...आ रोटी री तकलीफ क्यूं करी... अै रे आसोपिया लै... रोटी... खायलै बेटा...ले आव... रोटी खायलै... सावळ नैचै सूं खायलै... म्हैं... म्हैं तौ नौं खावूं... म्हनैं भावै आथ कोनी... अरे! अेक-दो रोटी कांई म्हारै तौ अेक-दो कवौ घांटै नीं उतरै लाडी... नीं... नीं... म्हनैं मिसरियै री सौगन मती दिरा... म्हनैं भावै कोनी लाडी... नीं जणै म्हैं तौ मांगनै खा लेवूं... म्हारौ घर है नीं... म्हनैं तौ भूख कोनी...थे... थे... गुलजी री बहू... इत्ती जिद मती करौ... लो...लो... थे... इत्ता नौरा करौ तौ ओकाध रोटी खाय लूं... अरे! जद जी में सो'राई नीं होवै तौ कीं चोखौ नीं लागै। ले आव... अेक रोटी दे दै बस... अर थोड़ौ'क ओळण घाल दै...बस... बस इत्तौ बौत है।

अहेहहह... हहह... म्हैं...म्हैं तौ अठै बैठी रोटियां तोडूं... पण... पण... म्हां दोन्यूं जणां रै घर सूं भूखा-तिरसा बारै निकळ्यां पछै कांई लारै कोई भी रोटी खा’ई व्हैला? कांई बदरिया नैं रोटी भायी व्हैला? वो तौ आज भूखौ नौकरी माथै गयौ परौ व्हैला। उणनैं तौ आज टूर माथै जावणौ हौ। रोटी जीमनै जावतौ नै साथै टीफण भी लिजावतौ। पण अबै तौ वो टीफण कांई जीमनै भी नीं गयौ व्हैला। बीनणी भी कीं नी खायौ व्हैला, वा आपरै धणी रै जीमियां बिना रोटी रौ अेक कोळियौ मूंढै मांय नीं घालियौ व्हैला। अरे! वा छोरी भी कीं नीं खायौ व्हैला...वा भी आज इस्कूल खाली पेट अर बिना टीफण गी व्हैला।

हाय रे! म्हारा करम... म्हारै लारै... म्हारै अेकली लारै... उण घर मांय कित्ता जीव भूखा बैठा है। बडेरा ठीक इज कैयग्या है के साठी नै बुध नाठी। म्हैं सफा धोळा लियोड़ी... आगै-आगै कीं सोच्यां-समझ्यां बिना ई... कीं... बात नै बात रौ नांव... तिल रौ ताड़ बणा दियौ। बस अेक छिण में इत्तौ मोटौ निरणै ले लियौ...ले जीवड़ा, अबै कांई करणौ रैयौ... होयौ जिकौ तौ होयग्यौ... अबै हाथ मसळ्यां कांई कारी लागै।

ले अै गुलजी री बहू... जेक रोटी थांरौ मन राखण सारू माडै खायी हूं... अबै चळू कराय दे लाडी... बस... बस... पेट रै भारौ लाग गियौ... अबै चालूं... ले आव रे आसोपिया... आपां चालां... अरे! आसोपिया... कठी गियौ रे... छोरा... कांई...लारै बाड़ै में नाड़ौ छोडण नै गियौ है...ले आव बेगौ ई... थूं आवै जित्तै... म्हैं बारै ओटै माथै बैठी हूं।

गुलजी री बहू! गोधूली वेळा होयगी है। गायां रोही सूं चर-चरायनै आप-आपरै घरे रैयी है। थांरी गाय भी ठांण माथै बोबाड़ा मार रैयी है। अरे! बहू थांरी गाय तौ राती-माती नै गजब री पाड़ छिटक्योड़ी है। अै थुथकौ न्हांखै जैड़ा सीधा-सणक सींग...ओ रूपाळौ रंग... दीवटियै जैड़ी आंख्यां... थू... थू... थुथकौ न्हांखू... जिकौ निजर नीं लागै... रोही सूं धापोड़ी आयी गाय अवै तौ आपरै ठांण माथै ऊभी बछड़ा सारू बोबाड़ा मारै है। अे लौ! बीनणी तौ गाय दूवण सारू रायड़ी अर चरूड़ी भी ले आया। लौ! वै तौ बाड़ै सूं टोगड़ी नैं भी छोड दी है।

अरे! टोगड़ी तौ आवतां गाय रै हांचळां में आपरौ मूंढौ मारण लागगी। अरे! चितकाबरी टोगड़ी देखौ तौ कित्ती बोछड़ली है... गाय रै हांचळां माथै भेटी माथै भेटी मार रैयी है... तौ भी गाय इणनैं दुलार रैयी है... देख तौ आसोपिया... अरे! थूं आयग्यौ... कणै आयनै बोलौ-बोलौ बैठग्यौ... ठाह नीं पड़ी... देख तौ आसोपिया, टोगड़ी कित्ता कुदड़का मार रैयी है... अर देख तौ गाय आपरी टोगड़ी मैं देख'र कित्ती हरखित हौ रैयी है... अबै तौ बोबाड़ा मारणा छोड आपरी टोगड़ी नै लाड सूं चाटण लागगी है... अबै तौ टोगड़ी कित्ती सैणी-सैणी मूंढा मांय हांचळां नै लेय-लेयनै बिना चूंघियां छोड रैयी है।

अरे! देखौ तौ गुलजी री बहू... टोगड़ी तौ फेर यूं इज कर रैयी है... पैली ज्यूं ई...आ तौ गाय नैं भेटियां माथै भेटियां मार रैयी है... लागै गाय बौत पैला री ब्यायोड़ी है... जणै इज भेटियां माथै भेटियां मार रैयी है... पण गाय तौ उणरौ उणी’ज भांत लाड लडा रैयी है... उणनैं चाट रैयी है... पण... पण टोगड़ी री भेटियां तौ

बंद नीं होय रैयी है... वा तौ अबै हांचळां नैं भी जोर-जोर सूं चूंघणा सरू कर दिया है... पण...पण... अरे! कांई... कांई रोळौ है... देखौ तौ निसरमी टोगड़ी नैं गाय रै हांचळां नै चूंघ... चूंघ... कांई... आपरै दांतां सूं काट रैयी है... अर काट-काटनै हांचळां नैं लोहीझ्याण कर दिया है... तौ गाय... गाय तौ गऊ माता है... सैंग सैन करती थकी आपरै मूंढै सूं उफ तक नीं कर रैयी है... नीं जाणै कित्ती बार टोगड़ी रै यूं करियां पछै अबै तौ सैणी-सैणी ऊभी जोर-जोर सूं मूंढौ मार-मारनै हांचळ चूंघ रैयी है। गाय टोगड़ी नै अजै तांई यूं री यूं चाट रैयी है... टोगड़ी रा कुदड़का बिलकुल बंद होयग्या है... उणरी भेटियां भी बिलकुल बंद होयगी है... अबै तौ वा बोली-बोली, सैणी-सैणी ऊभी-ऊभी चूंघ रैयी है... लागै... लागै सायत गाय पावसीज गई है अर टोगड़ी आपरौ पेट भर रैयी है।

अेहेहहह... हहह अरे! टोगड़ी... टोगड़ी तौ आपरौ पेट भर लियौ... पण म्हारौ गीगलौ... म्हारौ लाडेसर पोतौ... छैनकौ... वो तौ आज भूखौ व्हैला... अरे! जद उणरी मां भूखी व्हैला तौ वो धा'पी कीकर? आज सुबै तौ म्हैं काम-काज में बीनणी नैं गुळ रौ कोळियौ भी नीं खवा सकी अर इण कूकारोळा पछै वा कीं भी नीं खायौ व्हैला... यूं जद जापायती दिन-भर में कीं नीं खायौ व्हैला तौ पछै हांचळां मांय दूध कठै सूं आयौ व्हैला? अर जद हांचळां मांय दूध नीं आयौ व्हैला तौ गीगलौ कांई पीयौ व्हैला? अरे! जद कूवै मांय नीं व्हैला तौ पछै खेळी मांय कठै सूं आवैला? यूं थोड़ौ-घणौ दूध आयौ व्हैला तौ उणसूं उणरौ पेट थोड़ौ भरीज्यौ व्हैला।

अरे! म्हारै मगज मांय घांण-मथांण... कैड़ी...?... म्हारै हियै मांय खळबळी कैड़ी...?... अर... अर... म्हारै काळजै मांय धुकधुकी कैड़ी...? म्हारौ म्हारौ पेट क्यूं बळ रैयी है?

वो...वो... बदरियौ रीस में म्हनैं आवळ-कावळ बोलग्यौ... अरे! रीस किणनैं नीं आवै?... टोगड़ी भी तौ रीस-रीस में आपरी मां रै हांचळां माथै कित्ती जोर-जोर सूं भेटियां मारी... तौ चूंघती-चूंघती बेचारी गाय रा हांचळ तकात वाढ न्हांख्या... गाय रै हांचळां सूं लोही झरण लागग्यौ... तौ भी गाय टोगड़ी रौ लाड लडा रैयी है... उणनैं हरख सूं चाट-वाट रैयी है... अर टोगड़ी चूंघती जा रैयी है... चूंघती जा रैयी है। अरे! म्हारै बिचै तौ गाय चोखी...आ जिनावर व्हैती थकी अेक मां रौ फरज पूरौ निभा रैयी है...अर म्हैं मिनखाजूंण में व्हैती थकी ई...धिक्कार है... धिक्कार है म्हनैं... म्हैं... म्हैं इत्ती गईबीती कीकर व्हैगी?

अै छोरा! अै आसोपिया... अै कठै गयौ रे... अरै! वठै बैठौ कांई रौमतिया करै है...ले आव... आव दिन आंथण वाळौ है... दीया बत्ती होवण वाळी है... आव... आव आपां चालां... अरे आसोपिया! कांई हाल तक रामरिया करै है? अरे! अठी बळ... म्हारी पोटळी कठै है... अबार तौ अठै इज मेली ही... जो तौ ... जो तौ लाडी... अठी आव डायौ है नीं... अरे! कांई? म्हारी पोटळी सूं रामतिया कर रैयौ है...ले आव... म्हारी पोटळी... म्हारै कनै... आव... दे म्हनैं दै... ला दै म्हारी पोटळी ला... दे म्हनै दै... म्हारौ गेडियौ भी लाव... ला रे!... हां... हां... अबै ठीक है... अबै ठीक है... आव... आव... आपां पाछा भैसड़ा चालां।

कांई कैयौ गुलजी री बहू... म्हैं पाछी भैसड़ा... अरे! म्हैं पाछी वठै म्हारै जी नैं झींकण नैं जावूं। अै... अै... टाबर तौ टाबरपणौ कर् दै पण आपां नैं तौ मोटपणौ राखणौ पड़ै... बहू... टाबर तौ आपां बैठा जित्तै टाबर इज बाजसी, चाहै खुद टाबरां रा बाप क्यूं नीं बण जावै... आपां तौ आपां रै नाक नैं रोवां... लोकलाज सूं डरां के कालै लोग कांई कैसी, लोग तौ लारै म्हनैं इज भूंडी कैसी के म्हैं मोटी सारी... धोळा लियोड़ी... जापायती रौ जापौ बिगाड़ आयी... लोग तौ म्हारै माजनै मांय इज धूड़ न्हांखी... हां... हां... थे ठीक कैवौ हो... धोबौ भरी म्हारै न्हांखी तौ चिमटी भरी वांरै न्हांखी...पण वै करियौ जिकौ किणनैं ठा नीं है... पण म्हैं जिकौ आज कर आयी हूं... वो आज नीं तौ काल जगचावौ व्हैणौ इज है। इणसूं म्हारी जगहंसाई व्हैणी इज है... अरे! गुलजी री बहू, म्हैं रोवूं नीं तौ कांई करूं? म्हैं तौ म्हारै नाक नैं रोवूं... भैसड़ा गांव में मिसरियै रै बाप री कित्ती इज्जत ही... पण इण बदरिया रौ कांई है... तौ ढूंगा माथै ओढियोड़ौ है...इण रौ तौ नाक कटै नै सवा गज बधै... अरे! नीं-नीं करतां छोरी रौ सासरो इण गांव में है... कालै सगा गिनायतां नैं ठाह पड़ी तौ इज्जत रा कांकरा किणरा होसी... इण पांण... इण पांण... बहू... म्हनैं तौ रोवती जावणौ पड़ी तौ जावणौ पड़ी नै हंसता जावणौ पड़्यौ तौ जावणौ पड़ी।

वा गुलजी री बहू... राम... राम, थांनैं इत्ती तकलीफ दीवी... म्हैं चालूं... लारै टाबरां रौ ध्यांन राखजौ... वांनैं लाड करजौ... खुद रौ भी ध्यांन राखजौ।

म्हैं रांड भोळी... कैड़ी गैलसफी हूं! सफा डोफी, चितबंगी अर बावळी, अरे! यूं देखौ जणै बात इज कांई ही? बीनणी आसोप माथै काजू-दाखां खावण रौ कूड़ौ इलजाम इज लगायौ हौ नीं? छौ लगायौ तौ... इणसूं कांई आसोपियौ काळौ पड़ग्यौ?...ओ भी सैज माया नीं है... जरूर कदै... कदास... मौकौ देखनै काजू-दाखां रा फाका मारिया इज व्हैला। वै बेटा-बहू जे इणनैं कीं कै भी दियौ तौ कांई होयौ। कांई वै इण रा काका-काकी कोनी? कांई वांनैं कीं भी कैवण रौ हक कोनी? अर कीं कैवण सूं कांई आसोपियै रै डील माथै गूमड़ा ऊपड़ग्या?

बीनणी म्हनैं चोरटी बणाई के म्हैं घी-तेल अर बेसवार छांनै-छांनै चोरनै म्हारी बेटी रै पुगाऊं। तौ म्हैं पुगाऊं नीं। जे पुगाऊं तौ पुगाऊं... इणमें उणरै बाप रौ कांई गयौ? म्हारै बेटै री बूकियां री कमाई रौ पुगाऊं... उणरै बाप री कमाई रौ को पुगाऊं नीं। अरे! थूं बदरिया री लुगाई है तो वा भी इणरी जामण जाई बैन है। अरे! दुःख-सुख में जामण जायौ भाई काम नीं आसी तौ कुण आसी... थूं थारै भाई सारू कैड़ौ जी सुखावै!

पण म्हनैं इत्ती रीस नीं करणी चाइजती। आड़ोस-पाड़ोस वाळा तौ यूं कांन ढेरियां ऊभा रैवै। वै तौ इण बात री बाट जोवै के कदै इण घर मांय रोळौ व्है अर कदै वै घी रा दीया करै। अरे! वा लारलै बास वाळी काणकी मासी नैं तौ नीं जांणै कांई-कांई टोटका करणी आवै। वा इज कीं टोटकौ करियौ व्हैला... रांड रौ सितियानास जावै... रांड दूजी आंख सूं आंधी होयनै भींतां सूं भचीड़ा खावै।

अरे! म्हैं सफा अकलबायरी हूं। उण जापायती नै अैड़ी हालत में छोड आयी। उणरौ तौ पूरौ पेट चिरीज्योड़ौ है। वा तौ हाल तांई जमीं माथै पग नीं मांड्या है। आपरेसन रा टांका तौ बापड़ी रा टेमसर खुल जावता, पण टांकां मांय रसी पड़गी तौ मोड़ा इज खुल्या। छोरौ जिणियां पैली नै पछै बौत भुगती है लांण। अर म्हैं उण लांण नैं अैड़ी हालत में छोड आयी। अरे! म्हैं जद कुड़छी बगाई...तौ उणरै लागी इज व्हैला... कुड़छी कोई मैण री तौ ही कोनी। अरे! म्हारी अकल किंयां निकळगी.... बात... बात तौ मानीज्योड़ी है के... जे जापा में कीं कोर-कसर रैय जावै तौ उणनैं सारी उमर भुगतणौ पड़ै। अेक जापायती रौ डील पाछौ सांधणौ कांई हंसी-खेल कोनी है... उण सारू घणी चाकरी साजणी पड़ै... जिण माथै बीनणी नैं सुवाड़ खवावणी तौ अजै तांई बाकी इज है... हाल तांई लांण अैड़ौ खायौ इज कांई है...हळदी अर अजमौ इज तौ खायौ है... सूंठ-लोद रा लाडू तौ बापड़ी रा आथा ऊपर सांधियां ज्यूं रा ज्यूं पड़िया है... जापायती नैं अै लाडू खवावणा भी बौत टेढी खीर है। डाट-डपट हाका-दड़बड़ कर'र माडै-साडै खवावणा पड़ै जणै कठैई जाय'र अंग लागै। अरे! वा पारवतां वठै व्हैती तौ म्हनैं किणी बात री फिकर नीं व्हैती...पण वा तौ दो-चार दिनां वास्तै इज आयी ही।

अरे! म्हैं... म्हैं भी कैड़ी मां हूं... रीस में म्हैं म्हारै बेटा-बहू नैं कांई-कांई आवळ-कावळ बोलगी। अरे! म्हैं बहू नैं रांड री गाळ काढी... धूड़... धूड़ म्हारै माजनै में... बहू रांड हुयी तौ हुयी... उणसूं पैली तौ म्हारौ पेट ब'ळी... उणरै धणी री मां तौ म्हैं हूं... नीं...नीं... बहू थूं अमर सुहागण रैइजै... हे बेटा! भगवांन थारी हजारी उमर करै... म्हैं... म्हैं... अरे... म्हैं थनैं आंधौ होय'र भींतां सूं भचीड़ा खावण री दुरासीस दी... थारा... थारा नैण-गोडा... अखी रैवै... म्हैं... म्हैं थांरै कांधै जावूं बेटा... थारै सूं पैली तौ म्हनैं मौत आवै। अै बीनणी! थूं तौ दूधां न्हाइजै नै पूतां फळजै... म्हारी गाळियां नै हियै माथै मती लीजै... रे लाडी... अरे! माईतां री गाळियां पड़ी कठै है?... माईतां री गाळियां तौ घी री नालियां व्है... हे! घनस्याम धणी!... इण डोकरी री कैयोड़ी सगळी बातां बिसार दीजै... म्हारै बेटै-बहू री हजारी उमर करजै... उणां नैं अैड़ी-वैड़ी आफत सूं बचाइजै भगवांन।

आ...आ... गांव री पौ आयगी दीसै। अठै सूं तौ नीठ पांच मिनट रौ रस्तौ है। म्हैं मानूं के गलती म्हारी इज ही... अरे! म्हारी तौ मत इज मारीजगी ही जिकौ म्हैं अैड़ै दो'रै बगत में घर छोडियौ। वो कैवै नीं के विनास काळै विपरीत बुद्धि... गुस्सै में कीं दीखै आथ कोनी।

भी व्है सकै के बदरियौ नौकरी सूं पाछौ बेगौ आयग्यौ... भी व्है सकै के वो आज टूर माथै गयौ नीं है... अर... अर... जे वो म्हनैं पाछी घर मांय बड़ती देख'र कीं ऊंचौ-नीचौ कै दियौ तो... तो... कांई म्हनैं जवाब देवणौ आवै कोनी? म्हैं... म्हैं भी कैय दूलां के म्हैं पाछी थारै बाप नैं झींकण नैं आई हूं... थांरै बाप रा पल्ला लेवण नै आयी हूं... रोवण नैं आई हूं उणनैं... थारौ बाप तौ मरग्यौ नै म्हनैं लारै छोडग्यौ थांरी ठोकरां खावण नैं... थांरै बाप री हेमांणी गाडियोड़ी है अठै... उणनैं लेवण नैं आई हूं।

बदरियौ... बदरियौ तो फेर कीं नीं कैवैला वो तौ जी रौ अंगै भोळौ है...पण बीनणी... बीनणी कीं चपड़... चपड़ करियां बिना नीं रैवैला... म्हनैं देखतां चपड़-चपड़ बोलण लाग जावैला के गई तौ ही हप्प-हप्प करती... आंरग मोबी बेटै कनै... अबै पाछी अठै किण मूंढै सूं बळी है?... अरे! वठै कांई है... भूख है भूख, चवदा चूल्हां री... वठै कठै टेमोटेम चाय... दूध अर रोटी... अै बाचारोट तौ टेमोटेम अठै इज मिळै... अठै इज मिळै जणै इज तौ पाछा अठै इज बळिया हौ म्हारी छाती रांधण नै।

बीनणी... बीनणी... यूं नीं कैय सकै... अरे! कांई वा इत्ती बेगी म्हारी सेवा-चाकरी भूल जावैला?... कांई उणनैं रत्ती-भर लाज नीं आवैला?... अरे! नीं...नी... वा तौ बारणै बैठी म्हारी बाटां जोवती व्हैला... यूं भी वा कुण व्है म्हनैं कीं भी कैवण वाळी? वा कालै-पिरसूं री छोकरी... जिणनैं... जिणनैं म्हैं म्हारै हाथां सूं परणाय नै लायी। कालै इण घर मांय मोड़ बांधनै उणनैं म्हैं लायी... म्हैं... वा म्हनैं को लायी नीं... उणरी कांई औकात के वा म्हारै सूं जीभां करै? अरे! म्हैं तौ सासू हूं... सासू... वा तौ सासू आगली बहू है... बहू... वा कुण व्है म्हनैं आंख्यां दिखावण वाळी? वा कुण व्है म्हनैं घर सूं बारै काढण वाळी? घर सूं बारे निकळै तौ वा निकळै...वा आपरै धणी नैं लेयनै... घर री धिरियांणी तौ म्हैं हूं... म्हैं... उणसूं पैलां तौ म्हैं...इण घर मांय मोड़'र बांध'र आई हूं। अरे! उणरी कांई औकात के वा म्हनैं घर सूं बारै काढै...अरे! गवाड़ी म्हारी नै म्हारै धणी री। म्हैं तौ इण घर मांय मोड़ बांधनै ऊभी आई हूं नै अठै सूं आडी इज निकळूंला।

धा...धा... आयगी... हां... हां... बेटा... थारी धा... आयगी... अरे! छोरी यूं कांई करै... यूं कांई करै रे बेटा... अरे! रो मती... रो मती... अे... अरे! म्हैं... म्हैं कोई भंडळाव थोड़ै गई ही... म्हैं तौ... म्हैं तौ... थारी भूआ रौ घर अर खेत संभाळण नैं गई ही... केई दिनां सूं घर सूनौ पड़्यौ हौ नीं... इण वास्तै... ले...ले छोरी... माठ कर... माठ करै अबै तौ... म्हैं आयगी नीं... अरे! छोरी... म्हारौ लाडेसर गीगलौ... छैनकौ कठै है... अरे!... अरे! थूं... थूं अठै सूतौ है कांई? ले आव... आव म्हारै कनै... अरे! देखौ तौ इन्नै... म्हनैं आंख्यां फाड़-फाड़नै कैड़ौ देख रैयौ है... अे रे छैनका... अे रे नागा कुत्ता... अे रे... राजा बेटा... अे अे अे... हहह अे छोरी... ओ...ओ... आज इत्तौ बासै कीकर है?... इणनैं आज न्हवायौ कोनी कांई... अरे! म्हैं भी कैड़ी गैली हूं... म्हारै टाळ... म्हारै टाळ कुण... हां... हां... म्हारै टाळ कुण थनै न्हवावै बेटा... म्हारै टाळ कुण थारी मालिस करतौ बेटा... बेटा... म्हारै टाळ कुण थारा टीका-टमकी करै... ले... लै... अबै म्हैं आयगी हूं... आज तौ... आज तौ सिंझ्या पड़गी... आज तौ नीं... काल... काल सै सूं पैली थारी मालिस करसूं... थनैं न्हवासूं अर थारै टीका-टमकी भी करसूं।

अरे! बदरियौ... बदरियौ कठै है... हाल तांई आयौ कोनी कांई... टूर माथै सूं... कांई कैयौ अे छोरी... मोड़ौ आसी...ले...लै... वो आवै जित्तै म्हैं उण सारू ऊभियौ बगार देय'र काचरियां रौ रायतौ नै सांगरियां रौ साग बणाय दूं... बदरिया नैं टाबरपणै सूं काचरियां रै रायतै रौ घणौ कोड है... उणनैं म्हारै हाथ रा घड़ियोड़ा ताता-ताता... थोड़ा'क आकरा सोगरा... घणा भावै... अेक... अेक... पैली पोत रौ सोगरौ तौ म्हैं उणनैं घी-गुळ में मसळ नै देवूं... उण पछै... ओळण घा'लूं।

अे... अे... बीनणी...थूं...थूं...थूं... यूं कांई मूंढौ ढेरियां ऊभी है... अरे! अे... अे... कांई थांरी आंख्यां... यूं डबडबायोड़ी... थारी आंख्यां मांय... अै आंसू... नीं...नीं... बीनणी...अरे! यूं कांई जी छोटौ करै... म्हैं... म्हैं... कोई कूवै-बावड़ी में पड़ण नै थोड़ी गई ही... म्हैं कोई मरण नै थोड़ी गई ही... म्हैं तौ... म्हैं तौ भगवांन बुलावै तौ उणरै अठै कोनी जावूं... वो... वो...जे... म्हनैं सरग रौ लालच भी दे देवै तौ भी कोनी जावूं... म्हैं... म्हैं... तौ उणनैं भी कैय दूंला के म्हनैं तौ म्हारौ सरग अठै इज मिळग्यौ है। इण सरग... सूं बधनै थांरै वाळौ सरग होय नीं सकै...ले... अे बीनणी... अबै बस कर... अरे! हाल तांई यूं कमर माथै हाथ धरियोड़ी अेकैतार टकटकी लगायोड़ी म्हनैं कांई देखै है... अबै बस कर बेटा नीं तौ कांई म्हनैं भी रोवाण ई... बस कर लाडी... नीं...नीं... बीनणी, यूं जी छोटौ मती कर... यूं... जापा में रौ मती बेटा... नीं तौ....नी. तौ... आंख्यां काची पड़ जावैला।

स्रोत
  • पोथी : साखीणी कथावां ,
  • सिरजक : अशोक जोशी 'क्रान्त' ,
  • संपादक : मालचन्द तिवाड़ी/भरत ओळा ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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