ठंडा लहरकां रै सागै डील रो लोही जमण लाग्यो हो अर पग गहरी नींद में गहळीजग्या हा। बस गांव रै गोरवै आय पूगी ही। रेहदां रै घसकां सूं म्हारी कमर अधरीजगी ही। केई पेसैंजर आळस मरोड़ण लाग्या हा अर कीं झेरां लेवै हा। केई बंतळ में लाग्योड़ा हा। पण म्हैं आपोआप में अलूझ्योड़ो हो।
अचाणचक घसको-सो लाग्यो। बस मुडिया सड़क सूं सेरियै में उतरगी। डलेवर गाड़ी रा गेर बदळ्या हा। कीं कीर्रर...कीं कीर्रर हुई। कीं जेज हुयां बस गांव रै नेड़ै जाय ढबगी। कंडक्टर दूजां रै सागै म्हनै पण सावचेत करतो बोल्यो—आपरो टेसण आयग्यो बाबू साइब!
म्हैं कह्यो—उतरूं हूं भाई।
लारली सीट सूं की गणमणाट सुणीज्यो अरे, औ तो फलाणियै रो छोरो है।
— काल-परसूं तो नागो फिरतो हो।
— शहर में जाय’र भेख बदळ्यां सूं बाबू सा’ब थोड़ो ई बणीजै।
—घसेड़ी रो बणग्यो है बाबू सा’ब! देस री गधी अर पूरब री चाल।
— बाप नीं मारी मींडकी अर बेटो तीरंदाज।
— इण कंडक्टरियै में ई अंगई अकल कोनी। हर कोई नै बाबू साइब कैवै। आं दोनां री अकल माथै कंडक्टर कीं बोल्यां बिना ई मुळक’र रहग्यो। उणरै गळै में आखर अमूझजग्या। नित-हमेस रो मारग। बैर बसायां सूं फायदो नीं। बो जाणै हो—अेकर अेक कंडक्टर आं सांम्ही आपरी आडी-डोडी बंसरी बजाई ही अर अै लफंग उणरा हाड खोळा कर नांख्या हा। घणा दिनां तांई बापड़ै नै मैदा लकड़ी रो लेप करणो पड़्यो हो।
म्हैं अटैची लियो उतरग्यो। दूजो सामान कंडक्टर झिलाय दियो। सामान-सुमून झेल’र म्हैं कंडक्टर नै धन्यवाद दियो। बस हकगी। उणरी निजरां घणी जेज तांई म्हनै बींधती रही।
म्हारै सागै बै दोनूं अर तीन-च्यार दूजा लोग ई उतर्या हा। सगळा ई मांय-ई-मांय अमूझ्योड़ा। म्हां सूं बात कोनी करी पण दीठ सूं दीठ मिलायां हालचाल पूछ्या हा। लागै हो सगळा ई दोनां सूं घबरायोड़ा हा। बै दोनूं सरपंच रै घर रा हा-अेक भांणजो अर दूजो भतीजो।
बस सूं उतरती वेळा आं दोनां री मनस्या म्हांसू लड़ण-उळक्षण री रही। कीं आडी-डोडी बातां ई करग्या हा। पण म्हैं ऊंडी विचार, रीस नै भरमाय, बिना माथो लगायां आपरै गेलै पड़ग्यो। घरां पूगग्यो। आंधी आयगी ही। मूंढै माथै पसेवै सागै रंज रळमिळगी ही अर कीं चिपचिप हुयगी ही। कीं जेज तांई गुवाड़ी में ऊभै नीमड़ै रा छंवरा सांय-सांय करता रह्या। आंधी निकळी तो बिजळ्यां पळपळाटा मारण लागगी। इंदर ई गाज्यो। कीं जेज तांई घुप्प अंधारो बापरग्यो हो।
म्हैं किवाड़ी खोल आंगणै तांई पूग्यो अर देख्यो—सांम्ही पड़वै रै पसवाड़ै ढालियै में टूट्योड़ी मंचली माथै आडी हुयोड़ी मां धांसी में झिल्योड़ी ही अर छाती में उणरो दम नीं मावै हो।
—मांss! म्हारै आं हरफां रै सागै ई मां री पांसळ्यां फाड़ती धांसी जाणै कोसां अळगी हुयगी। म्हनै लाग्यो मां खातर हरख रो छेह अर पार नीं रह्यो हो। जाणै मां री आंख्यां सांम्ही अेकण सागै बीसूं सूरज भळकण लाग्या। कीं हरफ उघाड्यां मां मूंढै नै हथाळ्यां में झाल’र कित्ताई व्हाला देय दिया।
व्हाला देवती मां कह्यां गई—थारै भावै तो म्हैं मरग्या बेटा। म्हैं तो सात-सात नै जण नै ई बांझड़ी रही। कावड़ में बैठाय’र जात्रा करावणियै सरवणियै री बातां तो इण कळजुग में कहाणी बण्योड़ी है। इसो माड़ो बगत आयो है कै थारा भाईजी नीं हुवै तो पाणी रो लोटो ई भर नै देवणियो कोई नीं। बडोड़ो तो घणो अठैई मरै है नीं, पण छींया ई कोनी भेटै। नित-हमेस गुवाड़ी में ऊभा-ऊभा रोवां-झूरां-बिलखां। किणनै कैवां अर कैवां तो सुणै ई कुण? गांववाळां रो ई मिनखपणो खूटग्यो।
मां ओळमां देवती ई गई-घणा दोरा पेट रै आंटा देय-देय पाळ्या-पोस्या अर भणाया रे थानै। अबै थांरै घाघरियो घणो नेड़ो हुयग्यो।
— नीं मां, नीं; आ बात नीं है। पेट तो भरणो ई पड़ै। जे अठैई सगळा भेळा हृय जावां तो पछै...। पण अै शब्द कैवतां-कैवतां नीं जाणै कियां म्हैं रोवणखाळो हुयग्यो। म्हनै लाग्यो, मां री पीड़ वाजब है। मां बोली-नीं बेटा, दोस थां टाबरां रो नीं, टेम रो है, फगत टेम रो। टेम नै नमस्कार है। टेम किणी नै ई नीं छोडै। राजा हरिचंद नै ई आ टेम कोनी छोड्यो। कित्ता फोड़ा भुगत्या हा बै...। हां बेटा, थारा टाबर-टूबर तो राजी खुशी है?
— मजै में है। इलियो कीं मांदो रह्यो। थांरी बीनणी थांरै पगै लागणा कह्या है।
मां ने धांसी पाछी उपड़गी। म्हैं मगरां में हाथ फेरण लाग्यो। लाग्यो कै मां नै ताव है।
मां बोली—इलियो अबै तो सावळ है बेटा? बोल्यां पछै मां नाक सिणक्यो हो। फेरूं कह्यो—म्हनै तो ताव आयग्यो बेटा! दिन भर आड़ंग रह्यो अर अबै औ हरामी ताव झेल ली। म्हनै ठंड लागै बेटा! कीं राली-रूली ओढाय दै।
म्हैं उणनै अेक राली ओढाय दी। जेब सूं गोळयां काढ’र पाणी रै सागै देय दी।
—औ ताव-तूव कित्ता क दिनां सूं है मां?
—पूरो पखवाड़ो हुयग्यो बेटा! डोकरा आगै-लारै फिरै-घिरै। अै नीं हुवै नीं तो मोती मूंघा हुय जावै। अबै आंरी ई सरधा कठै है। लारला कर्या-कर्या भुगतां हां बेटा! किणी रै हियै में दया-हया कोनी...। गोळी आपरो असर जतायो।
— जीसा सिध गया है?
— काल सिंझ्या निकळ्योड़ा है बेटा। पोसणो पिसावण नै हेकाव गयोड़ा है।
दोपारां ताई आवण रो कहग्या हा। हाल पाछा कोनी आया। रात बस्तोजी रै बठै रुकण रो कैवै हा। छांटा हुयग्या। मारग में कठैई भीज-भाजग्या तो वा है।
— क्यूं, अठै चक्की पाछी बंद हुयगी कांई?
— चक्की तो चालै है पण...।
— पण...?
— कांई बतावूं बेटा! थां लोगां रा पाथर्योड़ा कांटा हैं।
—लागै सरपंच री मूंज बळी पण हाल बंट कोनी गयो। हाल बीरै भेजै में बू भर्योड़ी है। अर थे कागद देवो कै राजीपो करलां। आं हरामियां सूं राजीपो!
— होळै बोल बेटा! ताव में आवणो चोखी बात कोनी। आपांरै कीं ई नीं करणो। पैला कर्योड़ा तो हाल भुगतां हां म्हैं। थे तो थांरै लुगाई-टाबरां नै लेय’र शहरां में भिळग्या। गांव में म्हांनै ई रैवणो है। विक्खो तो म्हैं ई भुगतां हां। थे तो राई रो परबत बणायग्या। म्हां लोगां रो जीवणो हराम हुयग्यो। म्हैं राम परबारै मूंढो लुकावता जीवां हां बेटा! कुण करै सार-संभाळ? कोई रै हियै में थोड़ो-घणो ई दया परस कोनी। रोयां सूं ई आं राखसां नै दया कोनी आवै। घर रै दूध नै कुण पतळो कैवै बेटा! पण इण मोटोड़ै नै नीं तो शरम रही नीं लाज! नागां री नव पोती है। अर यूं किणरो चोज रह्यो है सो नै लाज-शरम करै।...अर थारै जी नै तो पूरा छव महीना हुयग्या है गांव री हताई पग धर्यां नै। कांई हाल हुय रह्या है आंरा। अै मांय-रा-मांय होमीज’र रह जावै। आज आंरा कांई अै दिन है कै कोस दो-तीनेक जाय’र पीसणो पिसावै? सरपंच री शिकायत पछै मुकदमैबाजी। न्यात— जात में पूरा बदनाम हुयोड़ा हां बेटा! जावां जठैई अैई सागीड़ा तीर चुभता बोल-फलाणैजी नै गांव बारै कर दिया! बांरा हुक्को-पाणी बंद है। कोई गहराई में जावणो नीं चावै। मूंढै आई नीं-नीं जाणी सतरै बातां। काठा काया हुय’र कठैई
आवणो-जावणो ई छोड दियो। अरे बेटा, इत्तोई नी, चांपै सूं गायों नै बारै काढ दी कै बै फाटकां में नीलाम हुयगी। अडाणै मेल’र उघाई भरी ही।
—पाणी भरण नै तो आपां रो कूवो है मां!
गळगळी हुयोड़ी मां बोली— है तो म्हैं दोनूं भेळा हुय’र देय दां धेग? थारो बाप कुण सींचै पाणी, किणरी सरधा है। सित्तर-पिचत्तर नेड़ा थारा बाप भर सित्तर-पिचत्तर हाथ नेड़ी ऊंडी आ घेड़। सींच सकै थारा बाप? तूं ई जाणै है बेटा, बूढै बळदां सूं खेत नीं खड़ीजै।
— मोटोड़ा भाई तो...।
— भर क्यूं नीं सकै। पण नाजोगै सूं औ ई हुबै कठै। परकै साल उण दिन जद उण माथै खांधो पड़्यो हो, दब परो मर जावतो तो रोय’र रह जावती।
— अबै सिध गया बै?
— थारी भाभी ने लावण गयोड़ो है। रांड रै आगै-लारै फिरतो-घिरतो रैवै। दुखी कर नांख्या। कठै सूं गयै घर री पल्लै पड़ी है। पण उणरो ई कांई दोस, जद बेटो ई नाजोगो निवड़ जावै। कठैई पेट आयो मरग्यो हुवतो तो निहाल हुय जावती।
मां फेरूं गळगळी हुयगी।
म्हैं आभै कानी देख्यो। बादळ्यां खिडगी ही। मां कानी जोयो तो लखायो मां रै मन में अेकण सागै केई बादळ्यां उमड़ण लागी ही। मां आपरै ओढणै रै पल्लै सूं आंख्यां मसळ’र रैयगी।
किंवाड़ी री चूं-चरड़ै सुणीजी। दीठ किंवाड़ी तांई जाय पूगी। जीसा आयग्या हा। गेडी रो सहारो लियां उणा किंवाड़ी खोली ही। माथै पर दस-पंदरै किलो आंटै री गांठड़ी। बांरा आगै उठता पग लारै पड़ै हा तो ई बै आंगणै तांई आय पूग्या हा।
म्हैं सांम्है पूग’र गांठड़ी लेवण लाग्यो। बै म्हारै माथै पर हाथ फेर’र लाड करता बोल्या—नीं बेटा नीं। थारा केस बिखर जासी। कद आयो बेटा?
म्हैं औ कैवतां कै आयो ई हूं, बांरै ना-ना करतां ई गांठड़ी उठाय ली। बै बोल्या-टाबर-टूबर मजै में तो है?
—सैंग ठीक है।
—अर थारी मां?
—अबै सावळ है। आयो जणा ताव में ही। गोळी दियां अबै ताव उतरग्यो है।
—थांरी हर करती रैवै बेटा! अबै इणरी सरधा कोनी। म्हारै हाथां में जावै परी तो चोखी बात है। नींतर बेटा, हाल भूंडा हुवैला।
—ना जी, इसी बात कियां सोचो हो थे?
— इण कळजुग में अैड़ी ई बातां सोचीजै बेटा। इत्तो कह परा मां नै पूछ बैठ्या—कांई मांचा मांय ई पड़्या रैवोला कै पाणी ऊनो करोला?
— करूं हूं सा! आं सब्दां रै सागै ई मां मांचै सूं उतर’र ढाळियै में चूल्हो जगावण लागगी। म्हैं भगोलो भर’र लेय आयो। चूल्हो जग्यां पछै कीं जेज में पाणी खणखणायग्यो। भगोलो नीचै उतार ठंडो पाणी भेळ जीसा खिलाड़ी माथै बैठ आपरा पग खंखोळ लिया। बोल्या-थाकेलो उतर जावै बेटा!
म्हैं कह्यो-हां-सा!
सिंझ्या हुयगी ही। अंधारो पसरतो जावै हो। मिंदरां में झालरां, टंकोरा अर नगाड़ा बाजण लाग्या हा। कठैई शंख ई पूरीजै हा। ढोर डांगरां री अैबैं-अैंबै लाग्योड़ी ही। देखतां-ई-देखतां दो-च्यार रेवड़ ई नीसरग्या हा।
जीसा माळा फेरण बैठग्या। म्हैं आगड़ सांम्ही बैठग्यो। चूल्है में बळीतो धपळ-धपळ बळै हो। मां दो-तीनेक सोगरा उतार दिया हा। मां नै सोगरा घड़तां देख घणी लुगायां थुथको नांख्या करती ही पण म्हैं देखै हो कै आज मां रै हाथां घड़्या सोगरा आडा-बांका हा। केई बार सोगरां री कोरां केलड़ी सूं बारै ई रहगी। सोगरै नै थाल देवती बगत खुरचणो केलड़ी रै इसारै पर हालै हो। चींपियै सूं सोगरा सेकती बगत केई बार थेपड़्यां थाल दिरीजगी अर सोगरा लाग-लाग’र आपरी बळ्योड़ी सोरम बिखेरै लाग्या हा। सुभट लखावै हो कै मां री दीठ साव मौळी पड़्गी ही।
म्हैं कह्यो—म्हैं उतार दूं मां अै सोगरा?
— नीं बेटा, हाल तो सूझै है। हां, सोझी कीं कम जरूर हुयगी। कांई करां बेटा, पूरबलै जलम रा कियोड़ा भुगतां हां। निसकारो नांखती थकी बोली—सात-सात बेटा अर बहुवां, पण सुख लिख्योड़ो हुवै तो मिलै। म्हारै बिच्चै तो बा रुकमणी बामणी ई चोखी जिकी निपूती है। किणी री आस तो नीं राखै। मांग-मूंग’र पेट भरलै। लागै है बेटा, अबै भूखो-तिसो ई मरणो पड़सी। बातां रै बिचाळै सोगरो कीं लागग्यो। म्हैं उणनै केलड़ी सूं उतार खीरां माथै सेकण लाग्यो। मां बोली आज तूं सेक लेसी, काल कुण सेक सी? म्हांरी माखी तो म्हांनै ई उडावणी है बेटा! ला, चींपियो दै, कठैई हाथ नीं बळ जावै थारो। चींपियो तप्योड़ो है। मां अेक सोगरो फेरूं घड़्यो अर केलड़ी माथै नांख कीं डोका-डोकी चूल्है में दिया। कीं चरर्ड़-चरई हुई अर तूंगिया उछळ्या। म्हैं लारै सिरकतो कह्यो-म्हैं पाछो आवूं मां।
मां कीं बोलती उणसूं पैली ज माळा फेरता-फेरता जीसा बोल्या-पेसाब करण नै जावै है कांई बेटा?
—हां-सा!
—तो यूं कर बेटा, खुणै में ऊंखळ कनै गेडी रो घोचो है, हाथ में ले जाइजै,
होऽ!
— कुण खावै है सा?
— आपरो जापतो चोखो बेटा! सरपंच हाल बात नै गांठ कर्योड़ो है। भरोसो नीं...। अर थारै आवण री खबर भी तो बीं तांई पूगगी हुवैली।
म्हैं नीं चावता थकांई गेडी लेय’र बाड़ै तांई आयग्यो। बाड़ै री फळी खोल खोड़ी मांय सूं जावण लाग्यो कै खुड़को हुयो। माळा फेरणी छोड’र जीसा ई म्हारै लारै बाड़ै री बाड़ कनै आय’र ऊभग्या। जठै तांई म्हैं नीं आयो बै कणाई म्हारै कानी तो कणाई गुवाड़ी रै फिळै कानी देखता रह्या।
— आप लारै क्यूं आया सा?
—तूं नीं जाणै बेटा! सांप किणी रो सगो नीं हुवै। म्हैं जाणा हां। थे तो तूंगिया बिखेरग्या अर म्हैं बां सूं लागी लाय री लपटां में झुळसां हां।
म्हैं आगड़ तांई पूगग्या हा। मां सोगरा सेक लिया हा। पण चूल्है सूं अणगिणत चिणग्यां चड़-चड़ करती उछळ्यां जावै ही। म्हैं आं चिणग्यां में उतर’र मून धार लीवी ही। पण जीसा रै आं सब्दां सागै चेतै ढूक्यो—आव, आपां रोटी जीमलां।
मां थाळी पुरस दीवी अर म्हैं दोनूं बाप-बेटा जीमै हा। जीसा जाणकारी दीवी ही—म्हैं आज हेकाव में सुण्यो है। छापां में अैड़ी खबर छपी है।
मां बोली-कैड़ी खबर?
— कैड़ी कांई! म्हारी देखणी-सुणनी में तो आ पैली बार ई हुई है। गूड़ै गांव में अेक सात टाबरां रो बाप आपरी बेटी रै सागै ई काळो मूंढो कर लियो...।
— हैं!
— हें कांई! साची बात है।
— राम-राम, कैड़ो कळजुग है।
— जणैई तो च्यारूंमेर विनास-ई-विनास है। सगळै ई काळ बापर्योड़ो है। पाप रो घड़ो तर-तर भरीजतो जाय रह्यो है। भर्यां तो फूटै ई।
— कैवै नीं कै ऊभा ऊंट ई कदै पिलाणीजै, पण देखो, कैड़ो फोरो समै आयो है। ऊभा ऊंट ई पिलाणीजण लाग्या है। राम... राम... राम...।
— धरम री तो हाण हुयगी। ग्रंथां में ई लिख्योड़ो है—जद-जद धरम री हाण हुवैला, काळ पड़ैला अर विनास हुवैला...।
— बातां पगै आयगी है सा। मां बोली जणा म्हैं ई बिचाळै बोल्यो—जे धरम रह जावतो तो कांई हुय जावतो?
— हुवतो कांई बेटा, धरम रैवतो नीं तो उणरै लारै सत चालतो। सत चालतो तो अैड़ी-वैड़ी बातां सांम्ही नीं आवती अर म्हैं पीढ्यां रै इण गांव में हुक्का-पाणी सूं नीं जावता। कदैई सोचूं कै सूरज री उगाळी ई थारी मां ने लेय’र पीढ्यां रै इण वासै नै छोड दूं अर अणदीठी-असैंधी ठौड़ वास्तै बहीर हुय जावूं। पण जलममोम सोरै सांस थोड़ी ई छूटै बेटा!
मां बोली—देख बेटा! तूं मौकैसर आयो है। गांव में समूंढै री मौत हुयोड़ी है। गांव भेळो हुवैलो। राजीपो करणो चोखो। बस्तियो नाई छांनै-छांनै बतायग्यो हो, आपां गुनागारी भरां अर कचेड़ी में बयान बदळ दां तो राजीपो हुय सकै।
म्हैं बोल्यो नीं मां, औ कियां कर सकां हां आपां। जे आपां हांकरग्या नीं, आपां तो जिको भुगतां हां, भुगता ई हा; गांववाळा नै ई भुगतणो पड़ैला। राजीपै री कठैई दरकार कोनी। आज जद राजा महाराजा रा ई राजपाट नीं रह्या अर औ तो बापड़ो सरपंच है। आपांरै जिकी भी बात है आपां कोरट में ई सळटसां।
— म्हनै तो जचै कोनी बेटा! भाखर ई कदैई सिरकाइजै? धूड़ बाळो आगी। गांव राम है। हुयो जिको हुयो। जद दूजां रै किणी रै पीड़ नीं पाकी तो आपांरै कठै खाज? राजीपो करणो सखरो है बेटा।
— नीं जी, थोड़ो तो सैंठो रहणो पड़सी। नींतर आज तांई रै कर्योड़ै माथै पाणी फिर जासी। आ ई तो बडेरा कही है—दिन आयां तो देवळ डिगै है।
— पण बेटा...!
— पण कांई जी?
— देख बेटा, आपांरो कुण। अेम. अेल. अे, अेस. डी. ओ., बी. डी. ओ. प्रधान-प्रमुख, पटवारी, मंत्री अर संतरी तांई सगळा ई सरपंच रा बेली है। कह्या करै है नीं कै खावै मूंढो अर लाजै आंख्यां। मूंढै-मूंढै हराम लाग्योड़ो है बेटा!
— नीं जीसा, जठै तांई आं हरामियां...।
—होळै बोल बेटा, भीतां रै ई कान हुया करै। हाल आखी रात काढणी है। म्हैं कांई-कांई नीं भुगतां हां। फगत ऊमण नै आंगणो कै नीमड़ै री छींया है बेटा! दूजी ठौड़ कठैई जागा नीं है!
— देखोजी, जद ऊंखळ में माथो देय दियो है तो धमीड़ां सूं डरण री कठै जरूरत है। कानून नै कम मत समझो आप। कानून तो कानून ई है। देश रै प्रधानमंत्री अर राष्ट्रपति नै ई कोनी छोडै कानून। राज रै घरां देर है पण अंधेर कोनी। सजा तो आंनै मिलैला ई। आज नीं तो काल।
— म्हैं धोळा लिया है बेटा! बिना रंग होळी नीं रमीजै। इण कोरट-कचेड़्यां रो फेटो घणो अबखो है। अै मारै थोड़ा पण घींसै घणा। कोरट-कचेड़ी किणरी, जिणरी अंटी में दमड़ी हुवै। जठै साच झूठ में बर झूठ साच में बदळ जावै। नीं जाणै अेक ई दिन में कितरी वार भगवान नै ट्रंपो देय’र मारै। भला सूं भला मिनख हाथ में गीता अर कुरान लेय’र कूड़ी सौगनां खाय लेवै। अर यूं सही बात कैवणियो कुण है गांव में? नागां सूं तो बेटा, राम ई डरै है बापड़ो। कुण बैर मोल लेवै? सगळा ई जाणै है, इण डाकी रै दांतां झिल्या तो पछै बचणो नीं है।
— पण आप आ तो जाणो ई हो कै बोर तो कांटांळी झाड़ी रै ई लागै है।
— आ बात तो सोळै आना साची है बेटा, पण गांव में रैवां हां, खेत री आंट-मांठ तो जावणो ई पड़ै। म्हारो तो हाल औई कहणो है बेटा कै हाल बेटी बाप री है। मौको आयोड़ो नीं गमावणो चाइजै। बडेरां रा ई कायदा-कानून है। तूं जाणै ई है बेटा, दो लड़ै बां मांय सूं अेक तो पड़ै ई। मान लेवां कै आपां हारग्या हा।
— बाथां कठै आवणो है जीसा। अठै बात न्याव-अन्याव री है। अत्याचार करणवाळां सूं सहन करणियो घणो दोसी हुवै। आ बात ई बडेरां ई कथी है। चिंता मत ना करो। कानून रो पोटो पड़्यो है तो धूड़ लेय’र उठसी।
— तूं भणियो-पढियो है, कैवै तो मानलूं बेटा! पण म्हारा तो अणभव है कै अभागां रो इण दुनिया में कोई भीडू कोनी हुवै। खैर, इत्ता दिन काया नै भाड़ो देय’र ज्यूं-त्यूं काढ लिया। फेरूं पतियारो कर लिया थारी कोरट-कचेड़ी रो। हुई हुई सांम्है आ जासी। ते पैलै रोज तक री ई तो बात है। केस रै फैसलै री तारीख है।
— भरोसो राखो जीसा, फैसलो आपांरै हक में हुसी। अबै तोत रा घोड़ा नीं चाल सकै।
— चोखी बात है बेटा! चालणा ई नीं चाइजै।
— हरगिज आपांरा घोड़ा है... असली घोड़ा है। कहतां-कहतां नीं जाणै कद म्हारी आंख्यां घुळगी। म्हैं खुराटां नींद ली ही पण जीसा आखी रात आंख्यां में काढी ही।
तीजो दिन हो। म्हैं कचेड़ी में हा। सरपंच हो। बींरा लठैत हा। जज रै सांम्ही दो काळा कोट बाथा-बूथ हुया आप-आपरी दलीलां देवै हा। कीं जेज पछै जज फैसलो सुणाय दियो। सरपंच बरी हुयग्यो।
सगळां री आंख्यां म्हां दोनूं बाप-बेटां नै खावण लागगी ही। म्हैं अेक-दूजै सूं मींट मिलायां हाथां रै बटका भरै हा। बाढो तो लोही नीं! जीसा इत्तो ई बोल्या हा—म्हैं कह्यो हो नीं बेटा! अबै गांव में पग धरणो ई परबस है।
म्हारो रूं-रूं ऊभो हुयग्यो। म्हैं जीसा नै इत्तो ई कह्यो—चिंता-फिकर ना करो जीसा। हाल अेक नीं, तीन-तीन ऊपरली कोरटां है। बठै आपांरी सुणवाई हुसी। दोसी नै जरूर दंड मिलसी।
जीसा थोड़ी जेज तांई जज री कुरसी रै लारै टंग्योड़ी गांधीजी री फोटू नै अेकटक भाळता रह्या। पछै नीं जाणै कठै सूं हिम्मत अंवेरतां कह्यो—जरूर लड़सां बेटा, औ केस जरूर लड़सां!
बै हाथ में झेल्योड़ै सूंडियै रै सहारै कोरट सूं बारै टुरग्या।