ओडां रा डेरा रा डेरा गुजरात साम्हा खङ्या जाय रिया है। माळवा, मेवाङ, मारवाङ सूं ओडां ने गुजरात में राव खंगार अेक मोटो तळाव खुदावा रो मनसुबो कीधो, अस्यो मोटो तळाव जो राव रा नाम ने अमर करदे।
देस देस रा ओडां ने घणी खातरी रा कागद दे’र बुलाया। ओड ओडणियां आप आप रा परवार सूधी, कोड सूं भर्या गुजरात रो गैलो पकङ्यो। रासबा पै आंपणों असबाब लाद्यां, रात पङ्यां तो रूंख रे तळै सोय जावै, दिन में वातां करता, रासबा घेरता, तळाव रा सतूना बांधता मारग चालता जाय रिया।
माळवा सूं ओडां रा डेरा गुजरात चाल्या। रासबां रा गळां में मोरपाखां में पोयोङा घूघरा झमझम व़ाजता जाय रिया। ओडणियां रासबा माथै बैठी गावती गैलो काट री, कींरी कांख में छोरा-छोरी रोय रिया, कोई कुदाळी फावङा ने सूधा सामती जाय री। राजी-राजी हंसती बोलती गुजरात पूगवा ने आगती गैलै चाल री।
“अस्यो मोटो तळाव खुद रियो है के दो बरसां तांई गुजरात सूं हालणै रो नाम ही नीं लेणो पङै।”
“दो बरसां तांई ? अतरा दिन माळवा सूं बारै गुजरात में रैणो पङैला ? ये तो घणां दिन व्है।” जसमल ओडणी केरी री फांक जसी आंख्यां में भोळप भर्यां पूछ्यो।
“थूं गैली है, वींनणी। गुजरात कांई अर माळवो काई ? आंपारे मजूरी सूं काम, जठै मजूरी मिल जावै जो ही आपणो देस।” रासबा रे टचकारी मारती अेक अधखङ ओडण बोली।
जसमल पाछी बोली तो नीं पण जाणै क्यूं वींरो काळजो अण-जाण्या ङै सूं कांपग्यो।
जसमल ही तो तळावां री माटी खोदण वाळी ओडणी। बाळपणा सूं कांई पीढ्यां सूं माटी खोदणै रो काम करता आय रिया। पण वींने देख्यां कुण कै या ओडणी ? रूप रा कंचन में सीळ री सुगंध ही। हिरणी जसी भोळी आंख्यां में सीळ रो सुरमो और ही रूप ने बधाय दीधो। ओडां रा फाट्योङा तंबूङा में वा बोलती तो लागतो जांणै वन में कोई वींणा रा तार हिलाय गियो।
तङकता तावङा मे माटी खोदती, खोदती रे मूंडा पै पसीनो यूं लागतो जांणै कंवळ री पांखङ्यां पै पङी पाणी री बूंदां।
तळाव रो काम चाल रियो अर घणां जोर सूं चाल रियो। राव खंगार ने घणी हूंस तळाव त्यार करावा री। ओडां रा डेरा रा डेरा रोज नवा नवा आवं। तळाव रे कनें ही आप रा तंबूड़ा तांण दीधा, सारो दिन ओड खोदै, ओडणियां रासबा भर भर ढोवै, टाबरिया पाळ बांधै, कामैती बैठ्या हाजरी मांडै, राजाजी दिन में दो दांण आवै, मन में आगत, कद यो तळाव पूरो व्है।
जसमल ही दूजा ओड ओडणियां रे लारै तळाव पै माटी खोदै, हेलां न्हांके। चांदी री घूघरियां लागी, ओढणी रा पल्ला सू मूंडा रो पसीनो पूंछती तो घूघरियां रा छणकां लारै देखवा वाळा रा मन रा घूघरा व़ाज जाता। दोई हाथां में फावड़ो पकड़ माटी खणती तो दूरां सूं लागतो, वायरा सू चंपा री डाळ झोला खाय री है। रासबा सूं माटी री भर्योड़ी गुणती उठायनै न्हांकती जद वींरी कमर बेंत री कामड़ी ज्यूं लुळ जावती।
ऊनाळा में वैसाख रो मींनों, दिन ढळ रियो, सांझ पड़वा आई। मजूरां छुट्टी कीधी, दिन भर रा थाक्या ओड ओडणियां आपरा रासबा संभाळ्या, टाबर कुदाळ फावड़ा कांधा पै मेल्यां डेरा कानी चाल्या, ओडणियां चूल्हा सलगावा लागी, कोई माथै घड़ा मेल्यां पाणी लावा ने चाली।
सांझ रो वगत, सूरज भगवान अस्ताचळ रो गैलो पकड़्यो, तपी धरती निसासा छोड़ती ठंडी पड़वा लागी, पंछियां रा जोड़ा चांचां में चुगो भर्यां घुंसाळा साम्हा उड़्या, घुंसाळां में बच्चा मूंडो काढ्यां चुगा री वाट देख रिया। आंथमणी दिसा री मंगरी डूबता सूरज री किरणां सूं पीळी पीळी व्हेयरी, वींरे नीचै भरी तळाई में सारस रो जोड़ो चांचां सूं पाणी उळीच रियो। लाल मखमल रो जींण कस्योड़ो, अबलक घोड़ै सवार राव खंगार हाथ में सोना री मूंठ री तरवार लीधां, दिन में तळाव पै हुयोड़ा काम ने देखतो देखतो वठी ने निकळ्यो।
जसमल माथा पै घड़ो मेल्यां पाणी लेवा ने आई, घड़ो पाळ पै मेल धूळा सूं भर्यो मूंडो धोय री।
राव खंगार री द्रस्टि मूंडो धोवती जसमल पै पड़ी, द्रस्टि ही जठै री जठै अटकगी, हाथ री लगाम ढीली पड़गी, घोड़ा री चाल रुकगी, खंगार तो चित्राम व्है ज्यूं ऊभो रैग्यो, नीं हालणी आयो नीं चालणी आयो। माटी सूं लथपथ व्हीया पगां ने जसमल पाणी में घाल मसळ्या,
भाटा पै अेडी रगड़ी, लाल लाल अेडी री झांई सूं पाणी गुलाबी गुलाबी व्हेग्यो। राव खंगार रो काळजो हालग्यो। जसमल आपरे सहज भाव सूं पग धोया, मूंडो धोयो, कुरळा कर्या, घड़ो भर्यो। राव वींरा रूप ने अेकधार आंख्यां सूं पी रियो। जसमल अणजाण, भोळी, पवित्तर। राजा सोच रियो यो रूप ! यो योवन !! अर यो भोळापणो !!! कठै ही देख्यो नीं, कदे ही सुण्यो नीं।
सारो रावळो गुललंजा सूं भर राख्यो है पण ईं रूप री तो छाया ही नजर नीं आवै।
ये माटी सूं लथपथ व्हीयोड़ी अेडियां ही असी लाल है तो रणवास रा दलीचा माथै ये पग फिरै तो कजाणां कांई व्है ? ईं ओडण रा पान खायां बिनां ही होठ अस्या लाल बूंद है तो तंबोळ चबायां तो यां होठां रा रंग ने माणक ही कोनी पूगै।
तावड़ा में तपी लगी व्हेवा सूं ही ईं री लाल पड़ी आंख्यां में अतरो उनमाद है तो आसा रो पियालो पायां नैणां में ललाई आवैला जद तो कांई गजब व्हेला।
मोटी रेजा री ओढ़णी में ही ईंरो अंग यूं लागै जांणै कंवळ रो फूल झोला लेय रियो है तो जद या सोळा सिणगार कर राजसी मसनद पै बैठैला तो अपछरां ही लजाय जावैला। यो रतन झूंपड़्यां में रैवानै थोड़ो ही विधाता सिरज्यो है, रतन तो राज मे'लां रा सिणगार व्है।
पवित्तर आतमा जसमल, माथै घड़ो राख'र चाली, काम सूं बिध्योड़ो राव खंगार ही वींरे लारै लारै घोड़ो छोड़ दीधो। जसमल रा छोटा छोटा पग धूळा में मंडता जावै, वींरी कंकु वरणी अेडी ने निरखतो लारै लारै खंगार चाल्यो। थोड़ी सी जसमल चाली। राव खंगार सूं रियो नीं गियो, आडो घोड़ो ऊभो करनै बोल्यो,
राजाजी बुलावै जसमल ओडणी अे,
जसमल ! मे'ल जोवण आव।
केसर वरणी कामणी अे,
थां पर रीझ्यो, राव खंगार॥
जसमल चमकी, राजा ? कांपगी केळ रा रूंख ज्यूं। संभळ'र हाथ जोड़्या बोली,
कांई तो जोवूं थांरा मे'ल ने ओ,
भूल्या राजा, म्हांने म्हारी सरक्यां रो कोड।
राव खंगार बोल्यो, “म्हारा मे'ल देखवा नीं तो कुंवरां ने देखवा ने तो आ कदे ही”।
कांई जोवूं थांरा कुंवरा ने ओ,
भोळा भूपत म्हांने म्हारे ओडां रा कोड।
जसमल यूं जवाब देतां ही आगै चाली। रावजी झट पाछो जसमल रो गैलो रोक्यो,
राजाजी बुलावै ओ जसमल ओडणी,
अे जसमल ! राणियां जोवण आव।
आछी म्हांने लागै ओडणी अे,
जसमल थां पर रीझ्यो राव खंगार॥
जसमल ने रीस आई, बीं ऊपड़तां ही जवाब दीघो, परजा ने बिगाड़ू राजा ! थांरी राणियां ने म्हूं कांई देखूं ?
कांई जोवूं थांरी राणियां नै ओ,
भोळा राजा, म्हांने म्हारी ओडणियां रो कोड।
रैत बिगाड़ू रावजी ओ,
भोळा राजा ! भूल्यो भूल्यो राव खंगार॥
राव खंगार फेरू' नीं मान्यो, वींज ढंग री बात सुरू कीधी,
जसमल घोड़ला जोवणं घर आव
काजळ रेखी ओडणी अे
जसमल थां पर रोझ्यो राव खंगार।
जसमल रीस सूं राती पड़गी। वींरा पतळा पतळा होठ धूजवा लाग्या,
“रावजी, थांरा घोड़ा थांरे घरै राखो, म्हारा गधेड़ा सूं ही म्हूं राजी हूं। गुणहीणां राजा, थूं भूल रियो है, म्हंने समझी कांई है ? “यूं कैती जसमल रावजी रा घोड़ा ने टल्लो देती आगै निकळगी। रावजी जाण्यो यूं या वातां में नीं आवै। ईं ने लाळच देणों चावै। लारै लारै घोड़ा पै चाल्या, गैला में वींने केता जावै,
बसवा ने देस्यां हो जसमल धोरियो अे,
जसमल ! खिणवा ने देस्यां तळाव।
आभै केरी बीजळी अे, जसमल !
थां पर रीझ्यो राव खंगार॥
जीमवाने देस्यां जसमल बाजरी ओ,
जसमल ! दूवा ने देस्यां धोळी गाय।
सावण सुरंगी तीजणी अे जसमल,
थां पर रीझ्यो राव खंगार॥
ओड खोदे ओडणी ढोवै अे,
जसमल ! झूलरिया तो बांधै पाळ।
सदा ओ सुरंगी अे जसमल,
थां पर रीझ्यो राव खंगार॥
जीं दिन सूं राव खंगार जसमल ने देखी वीं दिन सूं ही घायल मिरग री नांई घूमै। मे'लां ने छोड़ दीधा, नवा खुदता तळाव री पाळ पै आप रा ही डेरा तणांय दीधा, कोई काम न काज, ओड ओडणी खोदे, जठै बैठ्यो रैवै। जसमल रो मोट्यार देवर जेठ खोदै, जसमल अर वींरी देराणी गधा भर भर माटी लायनै गेरै। पसीनों टपकतो जावै, जसमल फावड़ा सूं माटी खोदै। राजा देखै अर अचंभो करै, या अतरी मेनत कर री है। म्हारा दियोड़ा लाळच साम्हीं नीं झांक री है। राजा घणी कोसीस कीधी पण जसमल तो राजा साम्हीं नीं झांकी जो नींज झांकी।
राव खंगार भूलग्यो वो राजा है, जसमल वींरा आसरा में आयोड़ी परजा है। अेक तो यूं ही राजमद ऊपर सूं काम रो मार्योड़ो। राजा ने चेतो नीं रियो के वो कर कांई रियो है ?
धन जोबन अर ठाकरी, तां पर अविवेक।
ये चारूं भेळा हुवै, अनरथ करै अनेक॥
तळाव री पाळ पै बेठ्यो रैणो, जसमल सूं कांई न कोई मिस बात करणी वींने तो। बोल्यो, जसमल माटी री ढोकरी उठाय ज्यूं ही पाळ माथै न्हांकी, खंगार बोल्यो,
थोड़ी थोड़ी ढोवो जसमल ! ढोकरी अे।
जसमल ! पतळी कमर बळ खाय॥
सुणतां ही जसमल रे लाय लागी। वा पग पटकती पाछी फिरी, रीस री झाळ सूं हियो सुळग गियो, आंख्यां में पाणी भरग्यो पण कैवै कींने ? राजा ही यूं करण लाग्यो जद। रीस तो वींने असी आई के मार दे कै मर जावै। जसमल मरोड़ो खायनै जीं वगत तो निकळगी पण जाती कठै ? पाछो आणो तो तळाव री पाळ पै ही पड़तो।
माटी खोदतां ओडां ने कह्यो, “चालो आपां अठा सूं चल्या चालां दूजा देस में जाय मजूरी करां।”
“हो, हो” करने सारा ओड हंसवा लागग्या,
“गैली री व़ात सुणो। लागी मजूरी छोड़'र दूजी जगां चल्या चालां। राजा कतरो सुख आंपां ने देय राख्यो है।”
जसमल जांणै सुख देवा रो कारण कांई है।
वा डरपती पाळ पै जावै, काम करै, पण वींरी छाती धड़-धड़ करती रैवै। राव रे रणवास में जायनै रैवा सूं तो आखो दिन मेनत मजूरी करनै पेट भरणो ही चोखो। सीळ ने गंवायनै मे'लां रा सुखां माथै धूळो पड़्यो, आंपणी झूंपड़ी भली। जसमल ने खंगार घणीं घणीं भोळाई पण वा सत सूं नीं डिगी। जसमल पाळ पै रासबा खाली कर री, खंगार लेर कांकरो मार्यो।
राजाजी बैठा है पाळ तळाव री,
जसमल ! चुग चुग कांकरड़ी सी बाय।
मिरगानैणी मरवण अे जसमल,
थां पर रीझ्यो राव खंगार॥
कांकरी री लागतां ही जसमल रे झाळ ऊठी, पाछी फिरतां ही बोली,
मत नां बावो राजाजी कांकरो ओ,
सामी राजा, देखै म्हारा देवर जेठ।
अकल अलूणां राजवी ओ हरामी राजा,
भूल्यो भूल्यो राव खंगार॥
“थें म्हारा धणी हो, धणी व्हे परजा री इज्जत लेवो। थांने लाज नीं आवै। हरामी राजा ! अकल राखो।” जसमल रीस सू कांप री, छाती सांस सूं ऊंची नीची व्हेय री।
राव खंगार वीं सती री आतमा री आवाज नीं समझ्यो, वो तो वीं रूप पै और ही रीझग्यो। वींरा सीळ ने नीं कूंत सक्यो। वो समझ्यो या देवर जेठां सूं डरपै। हंसते लगै पूछ्यो,
किसड़ै उणियारै थारो घर धणी अे,
जसमल ! किसड़ै उणियारे देवर जेठ।
तनक मिजाजण मोवणीं ओ जसमल,
थां पर रीझ्यो राव खंगार॥
जसमल आंगळी उठाय माटी खणता सांवळा रंग रा मोट्यार ने, लाल दुमालो बांध्यां देवर जेठां ने बताया।
राजा वांरे साम्हीं झांक मुळक्यो। जसमल आडी ने पांवडो भरतो बोल्यो, “बस यां सूं ही थूं डर री ही?”
कैवै तो मरा दूं थारो घर घणी अे,
जसमल ! कैवै तो मरा दूं देवर जेठ।
ऊजळदंती ओडणी अे जसमल,
थां पर रीझ्यो राव खंगार॥
राव खंगार हाथ पकड़वा लाग्यो, जसमल बीजळी री नांई तड़पगी।
“खबरदार, जो म्हारे हाथ लगायो। पापीः ! हट जा अठा सूं”। खंगार आपा में नीं रियो। ईं ओडणी री या हिम्मत ! अेक मजूरणी अर म्हने गाळ दे ! ईंरी ओकात कांई ? “मान जा जसमल, अबै ही मान जा, ज्यूं थारो मन राख रियो हूं ज्यूं थूं माथै चढ़ती जाय री है। म्हूं जबरदस्ती थंने रावळा में लेजायनै बैठाय दूं ला, थूं कर कांई लेवैला ? कैवतो कैवतो खंगार, जसमल रो हाथ पकड़्यो। जसमल तो अेक हाथ सूं दीधौ राव खंगार ने धक्को। भूखी सिंघणी री नांईं विकराळ व्हीयां हाथ में फावड़ो ले राजा रे साम्हीं तण'र ऊभी व्हेगी।
“माथो फोड़नै मार अर मर जावूंला, जो अेक पांवडो आगे दीधो।” सती रो तेज सूरज रा तेज सूं ही घणों व्है।
“अबै ही समझ जा जसमल ! अबै ही समझ जा, हाल मोड़ो नीं व्हीयो।” कैवतो कैवतो राव खंगार पाछो फिरग्यो।
दिन उगतां ही राव खंगार जसमल रा तंबूड़ा साम्हों झांक्यो। वठै तो सून पड़ी, माळवा सूं आयोड़ा ओडां रो अेक ही डेरो नीं। डेरां में चूल्हां री राख पड़ी। गधेड़ां री लीद रा ढुगला रैग्या, ओड जायो अेक नीं। डेरा पै कागला पड़ रिया अर कुत्ता भुस रिया।
ओडण लदी समी सांझ री ओ,
कामी राजा ! ओड लदिया ढळती रात।
जसमल रे साथै राजा रो यो बरताव देख ओड सारा ही उचाळो घाल आधी रात रा लदग्या। जसमल कोसां पार व्ही। यो हाल देख्यो तो राव खंगार घणों पछतायो। घणों दुखी व्हीयो।
इसड़ी जाणूं तो जसमल ओडणी अे,
जसमल ! डेरा थारा देतो लुटाय।
“गजब व्हेगी। असी जाणतो तो यां ओडां रा डेरा लुटाय देतो, यांने मराय देतो, जसमल ने खोस लेतो। जसमल हाथां बारै परी गी।”
“म्हूं गुजरात रो पराकरमी राजा, म्हने अेक ओडणी ठोकर मार ओड रे लारै चलती व्ही।” “जसमल, जसमल” करतो राव उठ्यो,
घोड़ा दोड़ाया राव खंगार ओडां रे पाछै रा पाछै।
“मार दो ओडां ने मुकाबलो करै तो। पकड़ लावो जसमल ने। राजी करो, जबरदस्ती करो, पण जसमल आवणी चावै।”
खंगार रा घुड़ सवार दोड़्या। ओड पाछै फिर फिरनै देखता जावै, चाल्या जावै। पाछै देखें तो घोड़ां री खेह उड़ती दीखी।
“मार्या, खंगार री फोज आयगी। आपां नै मारैला, जसमल ने ले जावैला।”
जसमल कांपगी, खंगार म्हंने बंधाय ले जावैला। सीळ बिना जीवणों कस्यो ? ईं सूं तो मर जावणो ही भलो। जसमल ओडां रे हाथ जोड़्या “म्हारी बेइज्जती मत कराओ, चिता चुण दो, म्हूं जीवती बळ जावूं पण वीं राजा रे रावळा में नीं जावूं।” वींरे मोट्यार रोवतै रोवतै लकड़्यां भेळी कर दीधी।
जसमल अगनी में बैठगी।
राव खंगार आयो, देखें तो जसमल जळ री “जसमल, जसमल ! पकड़ो, ! चिता में सूं काढ़ो, काढ़ो।”
चिता में सूं जसमल बोली, “जसमल री राख चावै तो लेजा।” चिता री झाळां में जसमल छिपगी। खंगार देखतो रैग्यो। जसमल, सतियां री सिरताज, जसमल सीळ रौ मोल चुकायगी।