अेक दिन अेक झरूंखै नै बारणै रै आपस में बोल-चाल हो गई। झरूंखै रा किंवाड़ हवा सूं भचीड़ीजता सुण बारणो कहवण लागो-‘अरे झरूंखा! थूं आज इत्तो क्यूं फदाफद नाच र्यो है। घणो फैंगरणो आछो नहीं है। थूं समझतो हुवैला कै म्हूं ऊपर रहूं हूं इण वास्ते थूं म्हारै सूं मोटो है। इत्तो घमंड मत कर। ओ नाचो-कूदो बंद करनै म्हारी बात सुण। देख! जिण दिन ओ घर बणणो सरू हुओ नै म्हारी चौखट ऊभी कीवी ही, उण दिन सारां पहली म्हारी पूजा हुई ही। नै पाछली बात री तो थनै ही ठा’ हुवैला कै जिण दिन ओ घर पूरो बण गयो, उण दिन ‘गृह-प्रवेश’ रै उछब में भी म्हारी पूजा हुई ही। थूं भूल गयो कंई?
झरूंखो बोलियो—‘आपरी पूजा हुई जिका तो सारी म्हनै याद है। अेक घर में रहवां हां आपै, भूलूं कीकर! पिण थे आ बताओ कै म्हैं कद ओ घमण्ड कियो के-‘हूं बड़ो हूं। थे थांरै ठिकांणै हो और हूं म्हारै ठिकाणै। हूं थांरी होड करूं अैड़ा म्हारा माजना कठै? फेर कंई कारण कै आज बड़ो हुवण री आ हीणता री बात कर रैया हो?’
बारणो आगतो हुयनै कहवण लागो-‘हीणता री कंई बात हुई रे? नैं’ने मूं’डे म्होटी बात करे! म्हारै सांमा बकतां थनै लाज नहीं आवै? म्हारो मांनसनमांन घर रा नै दूजा कित्तो राखै है, थनै ठा’ नहीं हुवै तो सुणलै फेर। देख! इण घर में आवण वाळो, चाहै घर सूं जावण वाळो, कित्तो भी बड़ो हुवो चाहै छोटो, उणनै म्हारी डोढी ऊपर हाजरी देणी हीज पड़ै नै म्हारो हुकम लेणो हीज पड़ै। बोल! थनै कोई बूझै?’
झरूंखै उथलौ दियो कै—अै सारी बातां ठीक है बारणा जी! पण थे आ तो बताओ कै आज थे बिनां ही कारण म्हारै सूं क्यूं अड़ रया हो? म्है तो कदै ही आ बात नहीं कहीं कै हूं थांरी बराबरी करणियो हूं।’
बारणो कंई गरम हुयनै बोलियो— ‘म्हारी बराबरी। थूं भला म्हारी बराबरी कर ही कींकर सके? तीज-तैंवार, ध्याव-गाव, जनम-उछब, टांणै-टांमचै सारा मंगळीक कांमां में म्हनै गणेसजी रै जोड़ै मांन, सारो घर म्हारी पूजा करै। गुळ, नाळेर, सुपारी नै मो’ळी चढावै। म्हारै आगै थारी कंई गिणती है रे मूरखा?’
झरूंखै पाछो लुळताई सूं पडूतर दियो—‘बारणाजी। थे कहवो जिण में कोई कांण-कसर नहीं! घर धणी रै कांनो सूं थारी पूजा सनमान में कोई घाटो नहीं। पिण थे घर री बदलै में कैड़ी प्रीत पाळो हो जिका हूं जांणूं हूं नै घर रा धणी ही जांणै है। भले-भूंडै नै कै चोर-लफंगै नै ओळखणरो थांरै में कित्तो ज्ञान है, आ ही म्हनै ठा’ है। घर-धणी थांरो थोड़ो भी भरोसो कर लैवै तो थे उणनै दिगो दियां टाळ नहीं रहवो। इणीज कारण रातरा आप म्होटा सिरदारां रै मूंडा ऊपर सैंठो ताळो ठोकनै सांनै बंद कर देवै है। इण ऊपर भी थांरै में अणविसवास रै कारण घर-धणी नैं रात रा कित्ती ही बार म्हारी मारफत छांनै छुरकै थांरी निगै राखणी पड़ै है। वो हरदम आहिज सोचै है कै अैडी नहीं हुवै कै थांरै अबूझपणै रै कारण इण घर रो टापरो हीज कोई सफा कर जावै। बारणाजी हूं छोटो तो जरूर हूं, पिण घर-धणी रो जित्तो लाड़ नै भरोसो म्हारै ऊपर है, आपरै ऊपर उणसूं चौथाई भी कोनी: क्यूंकै हूं घर-धणी रै सारू चोर उचक्कै नै आघै सूं हीज ओळखण रो अेक म्होटो साधन हूं, उणरा म्हैल-माळियां री सोभा हूं। इण सिवाय सियाळा में तावाड़ो, ऊनाळा में ठंडी हवा, चोमासा में बिरखा री सोभा नै चांनणौ तो बारै’ ही मास देतो रहूं हूं। हूं विध-विध सूं उणरी सेवा करूं हूं। इण कारण घर रो धणी म्हनैं कदै ही बंद नहीं करै। म्हारै मांहै उणरो अटूट विसवास।