बस में उथळ-पुथल मचै ही। कोई किणी रै बस्तै रो कस्सो तोड़ दियो हो तो कोई किणी री कमीज रो बटण। दिनूगै आवती वेळा अैई सैंग सूरतां कैड़ी चीकणी-चोपड़ी अर ओपती हुवै, जाणै सैंग रा सैंग भगवान रा दूत कै कंवळा-कंवळा सुसियां रो झुंड, अर अबै जाणै भाटो खोद’र आयोड़ा खान-मजूर। चपरासी छोटूराम फाटक कनै आपरी थितू ठौड़ ऊभो सोचै हो। चावै जितो उत्पात करै पण चालती बस में कोई फाटक कानी मूंढो नीं करै, फगत आई जिम्मेदारी है छोटूराम री। शहर रै परलै नाकै पूग’र कीमिया अर अश्विनी ने अधर-सीक हेटै नीं उतार देवै जित्तै छोटूराम रा हाथ फाटक रै कूंटै माथै बियांई जरू रैवै जियां बांदरी रै काळजै चिप्योड़ो बचियो। कीमिया कैड़ी फूटरी छोरी है, छोटूराम कनै बतावण सारू कोई ढंग री उपमा लाधणी मुश्किल हुवै। हुवै क्यूं नीं, उण मां री बेटी है। छोटूराम नित-हमेस कीमिया नै छोडण सारू स्टैंड माथै ऊभी लुगाई रो हुलियो याद करै। इण लुगाई नै हाथ लगाय सकै कोई, आ बात ई अचेरी लागै उणनै। केई चीजां इत्ती कंवळी-ऊजळी अर पवित्त हुवै कै हाथ लागतां ई मंगसी पड़ण रो डर लखावै। कीमिया अर कीमिया री मम्मी दोनूं मां-बेट्यां इसी ई ही। पण कीमिया नै लो छोटूराम नित-हमेस गोदी में उठा’र अधर-सी, काच-बानै री गळांई बस सूं सड़क माथै उतारै। कीमिया रै कपड़ां री सरसराट अर केसां री कंवळास छोटूराम रो मरम सैचन्नण कर देवै। साची बात तो आ कै उणनै गोदी सूं उतारण रो जी ई नीं कर पण छोटूराम री फगत आ ई ड्यूटी है। फेर तैयांळीस टाबरां मांय सूं कीमिया ई पण खास कायदै री हकदार क्यूं? टाबर सैंग ई है—आप-आपरै मां-बाप रा हीरा-पन्ना। पण छोटूराम आप ई आपनै नीं समझाय सकै औ भेद!
कदैई-कदैई कीमिया छुट्टी मनाय जावै। कीमिया री छुट्टी रो मतलब के स्टैंड सुनो। उण स्टैंड सूं फगत दो ई टाबर चढै—कीमिया अर अश्विनी। छोटूराम अश्विनी नै पूछणो चावै—
आज कीमिया नीं आई? पण नीं पूछै। बस मुड़ै अर पाछी सागी रस्तै सरणाट बगै। उण दिन छोटूराम टाबरां माथै ‘जयां’ लेवै। टाबर नीं समझै, छोटूराम रै हुयो कांई? उणरै हाथां रो कंवळाम लोप हुय जावै। पछै बो टावरां नै झपाझप चढावै-उतारै, जाणै वै इण च्यांर-पांच किलोमीटर रै सफर रा थितू मुसाफर नीं, आलू रा बोरा हुवै। छोटूराम री आ बीमारी साव नुंवी है। तीन बरसां सूं बो औ ई काम करतो आयो है, पण अैड़ो तोळो-मासो जीव नीं हो उणरो। छेवट दूजै दिन कीमिया आपरी मम्मी रै सागै ऊभी दीसै। छोटूराम कूद’र हेटै उतरै। कीमिया छोटा-छोटा पांवडा भरती आवै। छोटूराम उणनै उठावै अर लियां-लियां ई बस में चढ़ जावै। अरे, अश्विनी और है नीं! छोटूराम नै चेतो आवै जित्तै तो अश्विनी आपै ई चढ जावै। अठी कीमिया री मम्मी कीमिया रो बस्तो अर पाणी रो छोटो-सो थर्मस लियां फाटक रै नेड़ै आवै। छोटूराम बंद फाटक री खिड़की मांय सूं बस्तो पकड़ै-पूरी सावचेती सागै कै कीमिया री मम्मी रै हाथ सूं उणरो हाथ अड़ नीं जावै। कदैई चूक नीं हुवै, अैड़ो सध्योड़ो है छोटूराम रो हाथ। दोनूं चीजां कीमिया नै पकड़ाय’र छोटूराम आपरो हाथ छिणेक देखै अर पछै अचींतै उच्छाव में बो ई हाथ फाटक रै दे मारै। जाणै तबलै माथै थाप पड़ी हुवै-धा! बस बहीर हुवै।
छोटूराम री उमर है बत्तीस बरस। उणरो ब्याह हुयां ई चवदै बरस हुयग्या। उणरै च्यार टाबर है—तीन छोरा अर अेक छोरी। मां-बाप उणनै पजा नांख्यो। लारला तीन बरसां सूं, जद सूं छोटूराम इण अंग्रेजी स्कूल में आ नौकरी झाली है, इण निस्चै नै दिनोदिन पक्को करतो आयो है। मिनख तो मिनख, इण उमर री तो लुगायां ई कंवारी हुय सकै, आ बात स्कूल में मिस मालती, मिस हेलेना अर मिस नंदिता नै बो नीं देखतो तो मान ई नीं सकतो। अै लुगायां है? छोटूराम पैली-पैली तो सोच’र घबरा ई जावतो। मिस मालती तो फेर ई साड़ी पैरै। चेहरै माथै थोड़ी-घणी लाज री झांई ई दीसै। पण हेलेना? नित-नुंवी पोशाकां, जाणै डील ढकण सारू नीं, वत्तो उघाड़ण सारू ई हुवै। इत्ती चवड़ै-धाड़ै लुगायां री पिंड्यां अर बगलां उघाड़ी दोख जावै जणा अेकांत में देखण ने ऊबरै ई कांई? केई दिन तो इणरो कोई उथळो छोटूराम री बख में नीं आयो अर अै सांग देख’र उणरै जी री हालत फंफेड़ीज्योड़ै कूकरियै जैड़ी हुवती रही, पण फेर जी थिर हुवण लागग्यो। उणरी नींद गांव सूं शहर री हवा में आय’र अैड़ा जंजाळां में घिर जावैला, उण नीं सोची। लागतो कै अबै उणनै उठ्यां पछै सगळां नै सुणावण लायक कोई सुपनो कदैई नीं आवैला। नींद सूं पैली ई उणनै डर लागण लागतो कै मिस हेलेना आपर सैंडलां री खट्-खट् लियां बा आवै...हे बा आवै। पण छोटूराम भगवान री महर समझो कै अबै उणरी नींद कम-स-कम इण डर सूं नीं डरै।
इण साल ई कीमिया भरती हुई है अर इणी साल उणरी पैल-पोतड़ी छोरी सोनकी बारै बरसां री हुयगी है। गांव सूं मां रो सनेसो आयो है कै सोनकी मोट्यार हुयगी है। अेस नीं तो आवतै सीयाळै उणनै बीनणी बणाय’र बहीर करणी ई पड़सी। भगवान करै कीमिया कदैई मोट्यार नीं हुवै, मोट्यार हुयां भलाई बा आपरी जायोड़ी ई हुवो, छोर्यां गोदी में थोड़ी ई लिरीज सकै।
च्यार कै छव, कित्ता महीनां बीतग्या, छोटूराम नै लखाव नीं पड़्यो। इण बिच्चै गांव जावण रो संज ई नीं बैठ्यो। गांव किसो नेड़ै है। अेक ई प्रांत में हुवतां थकांई शहर छोटूराम सारू छोटो-मोटो परदेस ई है। तीन बरस पैली रै काळ रो सतायोड़ो छोटूराम मजूरी री आस में अठै आयो हो। मान जैड़ी बात नीं, पण अखरै खरी कै टेलीविजन तो दूर इण सूं पैलां छोटूराम रेल रो डीजल इंजन ई नीं देख्यो हो। उणरो गांव सड़क सूं कोई आठेक कोस दूर, कच्चै मारग माथै है। गांव में बिजळी पूगगी पण सड़क अजेस नीं पूगी है। आठवीं तांई री सरकारी स्कूल हैं पण पढणवाळा छोरा नीं है। माईत टाबरां नै पढावण सूं बेसी बांनै बकर्यां चरावण नै भेजणो सावळ समझै। मास्टर का तो आवै नीं अर जे आवै तो सरपंच रै घरै हाजरी भर’र पाछो जावै परो। गांव में अजेस इसा डोकरा-डोकरी जीवै जिका मानै ई नीं कै राजाजी टाळ राज चाल सकै। चुनाव री बगत री अफरा-तफरी, सरकारी अमलो अर पोलिंग बूथ बांनै किणी नुंवै राजवी री सरकारी खाणापूरती टाळ कीं नीं निगै आवै। आं दिनां में ठोळ करतो कोई डोकरो बोलै-और तो ठाह नीं भाई, पण उण वोट वाळै पानै माथै रमतिया सांतरा हुवै। थां स्याणा री जिद आगै हारूं जद ‘हाथ’ सोधणो पड़ै, नींतर मोरियो, कबूतर, फूल-पात, घोड़ो अर सैंग सूं सिरै तो सूरज भगवान तकात हुवै। म्हैं तो उणानै ई चौफूलियै रो अरघ ढाळ’र आवूं।
भाषणा रै सम्पर्क में आयोड़ो कोई नौजवान समझावै-दादा, थांरै चौफूलियै सूं राजे चालै। समझो, थे ई राजा हो।
दादो पोस्टर कानी आंगळी कर देवै— राजा तो भाई कोई अळगो बैठ्यो राजकुंवार ई है। थांरी समझ में आयगी तो ई वा, पण म्हनै तो इणरो उणियारो थां-म्हां सूं मिलतो नीं लखावै।
छोटूराम अैड़ी बातां सूं साव निरवाळो रैवतो। टाबरपणो अेवड़ लारै बीत्यो अर जवानी पूरी आयां सूं पैली वो आप टाबरां रो बाप हुयग्यो। उणरी उमर रै सगळा दिनां सूरज कठीनै ऊग्यो अर कठीनै बीसूंज्यो, उण कदैई गिनरत ई नीं करी ही। अर तीन बरस पैली शहर पूग्यो तो उणनै लखायो कै औ कैड़ो चंदरलोक कै तारानगरी है, साच है कै सुपनो है? जे सुपनो ई है तो इत्तो सैचरूड़ कींकर?
छोटूराम री अेक मासी बरसां पैली शहर आय पूगी ही। मां आखी उमर आपरी इण बैन रा भाग सरावती रही। मां री सागण बैन, कांई मां जैड़ो ई हुवैला मासी रो उणियारो? काळ रो सतायोड़ो छोटूराम अैनाण-सैनाण सोधतो कोई तीन दिनां सूं पूग्यो। मासी साचै ई भागण है, छोटूराम जाय’र देख्यो। बेटा-पोतां री भरी-पूरी गिरस्थी। मिनख संसार छोडग्यो, पण मासी रै किणी बात री कमी नीं ही। खावता-कमावता सूण-लखणवाळा बेटा अर अछन-अछन राखणवाळी बीनण्यां। जमारो अैड़ो सुखी-सोरो हुय सकै, छोटूराम आखी उमर आथड़ती आपरी मां रै बारै में सोच’र निसकारो नांख्यो हो। मासी रै कह्यां-सुण्यां छोटूराम रो मासियो भाई उणनै आ अंग्रेजी स्कूल पकड़ाय दीवी। पैली-झाड़ू-बुहारी अर पाणी भरण रो काम मिल्यो, फेर स्कूल बस री आ ड्यूटी। स्कूल-परिसर मांय ई अेक छोटो कमरो छोटूराम नै मिलग्यो। पीवो, खावो अर टाबरां री हाजरी बजावो। काठी किरसाणी रै हेवा हुयोड़ै छोटूराम नै लखायो के शहर तो साचाणी चमत्कार रो नांव है। अठै काम कमती हुवै अर पइसा वत्ता मिलै। पैली तिणखा रा छव सौ रिपिया हाथ में लेय’र छोटूराम केई ताळ बगनो-सो हुयग्यो। उणरै समझ में नीं आयो कै उण कर्यो कांई हो जिकै रै बदळै अेकै समचै इत्ती रकम हथाळी माथै आयगी?
पण आं तीन बरसां मांय छोटूराम शहर री घणकरी बातां री हेवा हुवतो गयो। इणमें उणरी अणूती मदद करी टेलीविजन। पैली तो टेलीविजन देख’र बो गाडी री सीटी सुग्योड़ै ऊंट री गळांई चिमक्यो, पण होळै-होळै उणरी चिमकाण निकळगी। और तो और, अबै छोटूराम हिंदी समझ ई नीं, बोल ई लेवै। पण बो घणकरो टाबरां सागै ई बोलै। अंग्रेजी स्कूल मांय पळता मां-बापां रा अै सपना स्यात किणी अजाण आज्ञाबोध सूं छोटूराम अर आपरै बिच्चै ‘फरक’ नै ओळखै। दिन भर स्कूल में बात-बात साटै ‘सोरी’ कैवणो सीखता अै टाबर छोटूराम नै निधड़क हेलो पाड़ै-अे छोटू! इधर आकर देखो। यह मेरी सीट से नहीं उठता।
छोटूराम नै आपरा टाबर याद आवै। आप-आपरा भाग! छोटूराम मूंढै आगै फिरती बां अबोध सूरतां नै सिरकावतो। कठै कीमिया अर कठै सोनकी! रूंख जिसो ई छोडो। छोटूराम नै आपरी घरवाळी ऊभी दीसै। मिनख जैड़ा मजबूत हाथ-पग, पाको रंग अर पूर-पल्लां माथै पसीनै रा चाठा। औ ई कोई मिनख जमारो है? कीमिया री मम्मी री ममोलियै सरीखी संवाळी उणरै मांयलै मिनख नै होळै-होळै हवा देय जावै। हवा कांई, आंधी! छोटूराम जे अेकलो बैठ्यो सोचण लागै तो उणमें जाणै सैकड़ूं पंखा अेकै सागै चाल पड़ै। स्सो कीं उथळ-पुथळ हुवतो दीसै। आंधी रै इण चेखै सागै छोटूराम इत्तो आंतरै जाय पड़ै कै खुदोखुद नै सोधणो मुश्किल हुय जावै। वै हिरणी जैड़ी आंख्यां, बो सोनै जैड़ो रंग, बा कीकर जैड़ी लुळतारू काया अर उण काया सूं आवती खीर जैड़ी मीठी-मधरी सौरम...। छोटूराम औ सगळो रूप उकेरै भर पछै सौगन खावै, म्हारी मति कठै गई? काल निजर उठाय’र नीं देखूंला। कीमिया नै बस में चढाई अर जै-रामजी री! हुवो भलांई कोई अपछरा। म्हैं म्हारो सत नीं डिगावूं। काल जे डिगूं तो म्हनै म्हारै टाबरां री मां री सोगन।
इण सोगन रै समचै ई छोटूराम रै हियै में उठतो तूफान थम जावै। उणनै सोनकी री मां, आपरी साची साथण अेकै समचै ई अणूती याद आवै। गांव गयां कित्ता महीनां हुयग्या? पइसा तो टेमोटेम भेजूं पण बा म्हनै ई तो उडीकती हुसी। उडीकै ई है। लारली बार च्यार दिनां सारू गयो तो कित्ता आवला-चावला कर्या। दिनूगै सोरो तो सिंझ्या मीठा चावळ। बिलोवणो कर’र कैड़ो देवतावां न रुचै जिसो चूंटियो काढ्यो अर गाय-डांगरा, फूस बुहारी, टाबर-टोळी रै उपरांत कणा माथो-चोटी कर’र कनै आय बैठी, ठाह ई नीं पड़ी। आ बाळणजोगी अधबूढ हेलेना, अणथाग होठा लाली लगायोड़ी, डिगूं-पिचूं चालती, गिट-पिट बोलती कांई जाणै कै आपरै मिनख नै कींकर रीझाइजै...। अै मिनख बायरी लुगायां संसार में छेवट है ई क्यूं?
सोनकी री मां नै हियै में उतार्यां पछै छोटूराम अेकर तो निरभै हुय जावै-जाणै किणी ओपतै ऊंचै आसण विराजमान कोई अपरबळी महात्मा! पण दिनूगै खाली बस लेयर बहीर हुवतां ई सवाल उठै-कीमिया आसी कै नीं?
दिन गुड़कता गया। अेक सूं वत्ती छुट्टी हुवती तो छोटूराम गांव जरूर जावतो। गांव जाय’र आयां पछै केई दिन ससवों रैवतो। घर-गिरस्थी री सांवठी सोचा-बिचारी करतो। सोनकी री मां अबकै सिलाई मशीन मंगवाई है। गांव में अेक स्वास्थ्य केंद्र खुल्यो है। उणरी अेकोअेक नर्स सोनकी री मां री साथण बणगी है। उण सोनकी री मां नै सीवणो सिखावण रा कौल कर्या है। आपरा अर टाबरां रा तो बरस में कित्ताक कपड़ा हुवै, पण गांव रो सीवणो आयां दो पइसा आवत हुय जावैला। ठीक ई कैवै बापड़ी। सोनकी सारू मांगो लेय’र ई अेक-दो ठौड़ जावणो है। छोरी धोरियै चढ़ जावै तो भार ऊतरै। च्यार पइसा जुड़्योड़ा काम आसी। सोच’र छोटूराम री छाती दुगणी हुय जावै। बडेरा ठीक ई कहग्या है कै सुरतारू लुगाई ई मिनख रो जमारो सुधारै। सोनकी री मां सूं बध’र सुरतारू पछै कुण?
अर इयां करतां ई अेक दिन छोटूराम री ड्यूटी बदळीजगी।
उणनै प्रिंसीपल रै कमरै आगै बैठ’र बुलावै माथै हाजर रैवण री ड्यूटी मिलगी। बस में उणरी ठौड़ किणी दूजै नै भेज दियो। छोटूराम नै लाग्यो कै बो अडोळो हुयग्यो है। काळ कीमिया नै गोदी में लेय’र बस में नीं चढ़ावणी है। इण परतख साच सूं छोटूराम रो हियो दरकग्यो। पण नौकरी तो करणी है। अैड़ी सोरप री नौकरी, गांव में इज्जत-मान अर च्यार पइसा जोड़ण रो सांतर कांई झट करतो छूट? छोटूराम चुपचाप स्टूल माथै आय’र बैठग्यो।
दिन ऊगतो। बस रै बहीर हुवण रो बगत हुवतो। छोटूराम री नींद बौण पड़्योड़ी, मत्तै ई खुल जावै। पण अबै बो कांई करै इण जाग रो... बस तो कोई दूजो लेय’र जावैला। टाबरां री बा रिमझोल, सुवटियै ज्यूं सुणीजता बांरा हेला, कोई रूस्योड़ो, कोई अणूतो चेळकै, कोई हंसतो, कोई रोवतो, कोई गावतो... छोटूराम री तो जाणै दुनिया ई खुसगी। कीमिया नै गोदी उठावणो, उणरै केसां सागै चोज राखण री सावचेती बरततां मंढो भिड़ावणो। अैके कानी ऊभी उणरी साख्यात गौरजा मां नै आडै-तिरछो निरखणो, दिनूगै सूणी मन रै आंगणै उतरी इण समूची मोह रो अजब-लीला नै याद करां तो छोटूराम रो काळजो ई चूंटीजण लागै। पण कैवै किणनै जाय’र? सुणसी जिको ई साव गैलो बतासी। छोटूराम जीव नै समझावण में ई सार समझ ली।
समझायां समझ जावै उण जी में मोह कद रैवै? मोह तो आपरा डेरा-डांडा साब निरवाळै हियै में ई छोडै। छोटूराम नीं जाणतो कै उणरो हियो अैड़ो ई है—साव निराळो अर निरमळ, अथाग ऊजळो कीमिया रा कूं-कूं पगलिया इणरै आंगणै सूं नीं धुपैला, भलाई कित्ती ई बिरखा बरसै। घणी फिरोळ समचै तो चीसां चालण डूकती-छोटूराम, अेकर तो फेरूं चाल कीमिया कानी। देख, आज कीमिया हरगिज छुट्टी नीं मनावैला। बा उडीकती हुसी कै छोटू आसी। स्यात इत्तो तो कीमिया री मां रै ई निगै चढ्यो हुसी के कीमिया नै गोदी लेवणवाळो आज कोई दूजो है; बो मोथो कीमिया नै दोरी कर देवैलो। कीमिया तो साचाणी कीमिया है—साव फूलां री छड़ी, पांखड़ी झड़तां कांई जेज लागै। और तो और, बस्तो लेवती वेळा बो आड़ू कीमिया री मां रै आंगळ्यां ई लगाय देवतो हुवैला। अबै छोटूराम करै तो कांई? इण बेशर्मी सूं बो बीं अपराध नै कींकर सावचेत करै? मजाल है, उणसूं कदैई अैड़ी चूक हुई हुवै। पूरो साल भर पकायत हुयग्यो। अचाणचक औ कैड़ो भगती में बिजोग पड़्यो।
सोचा-विचारी में अर जीव मसोसतां कोई महीनो क और निकलग्यो। छेवट छोट्रराम हारग्यो। बो प्रिंसीपल सांम्हो जाय’र ऊभग्यो। दोनूं हाथ जोड़’र कह्यो—साब...म्हैं साब...।
—क्या बोलना चाहता? अंग्रेज हुवण री कोशिश करतां थकां घणी बिगाड़’र हिंदी बोलतो प्रिंसीपल पूछ्यो।
—म्हैं बस में ई ड्यूटी करणी चावूं।
—हूं! प्रिंसीपल आंख्यां कागदां में ड्बोवतां कह्यो-समझा हम...।
—स्साब! छोटूराम फेरूं टेर उगेरी।
—क्या स्साब-स्साब... तुम बच्चा लोग का टिफिन गायब करता है, इसलिए? हम यही तो फाइंड आउट करना मांगता था। आ गया ना सामने?
छोटूराम री हवा सिरकगी।
प्रिंसीपल उणरी आंख्यां में आंख्यां उतारतो बोल्यो—तुमको पता है, हम पैरेंट लोग का कम्पलैंट पर तुमको हटाया है। क्या नाम उस लड़की का? हां, कीमिया... उसकी मदर ने तुम्हारा कम्पलैंट किया है। कीमिया का तीन टिफिन चोरी चला गया है। जरूर तुम्हारे पास है।
छोटूराम रै हिबड़ै रै अेन पाखती जाणै तोप रो गोळो छूट्यो हुवै! उणनै आपरा फूंतरा उडता लखाया। तीन बरस, लगोलग तीन बरस इण स्कूल अर इणरै टाबरां री हाजरी बजाई अर आ ओळखाण? कीमिया री मां उणनै चोर बतायो? बा गवरजा?
औ प्रार्थना रो बगत हो। स्कूल रै गिरजै में सैंग टाबर भेळा थका किणी अंग्रेजी प्रार्थना रै सागै-सागै गावै हा-ओ फादर, सेव योर चिल्ड्रन...। अर प्रिंसीपल छोटूराम नै कैवै हो-यह तुम्हारा फर्स्ट कम्पलैंट था, इसलिए हम तुमको पनिशमेंट नहीं दिया। अब तुम जा सकता है। गो! हमको काम करने दो।
जावण सारू मुड़तां थकां छोटूराम री निजर भींत माथै लाग्योड़ी बड़ी-सी तस्वीर माथै पड़ी। दुसालो ओढयां अेक मोट्यार मुळकै हो। छोटूराम नै गांव रै डोकरै री बात याद आई-राजा तो भाई कोई अळगो बैठ्यो राजकुंवार ई है! इण रो उणियारो...।
छोटूराम बारै निकळतो सोच्यो—कुण है औ राजकुंवार? कठैई कीमिया रो बाप तो नीं?