गाडी में म्हारलै केबिन में गिणी-चुणी सवारियां ही। अेक टेसण आयां, बां मांय सूं कई उतरगी। भीड़ कम हुवण रो कारण हाड़ी रो सीजन होवणो अर त्यूंहार-मेळा होवणो हो। मेरै सामली सीट माथै च्यार सवारियां बैठी ही। बां मांय सूं अेक जिनानी सवारी ऊपरली बरथ माथै जाय’र सोयगी। म्हारली सीट माथै म्हे तीन जणा बैठ्या हा। खिड़की सारली सिंगल सीटां माथै अेक-अेक जणो बैठ्यो हो। कुल मिला’र बीं केबिन में म्हे नौ जणा हा। बां में तीन-च्यार जणां कनै अखबार हा। अखबार भी अेक नीं दो-दो। सैंग आप-आपरा अखबार खोल’र पढै हा। पढ-पढ’र आपरै गोडां नीचै राखै हा। अखबार बेल्हा हुया जाण’र जकी सवारियां कनै अखबार नीं हा, बां पढण सारू मांग लिया। म्हैं भी सामली सवारी सूं अेक अखबार लेय’र देख लियो। म्हारै स्हारै जकी सवारी बैठी ही, बा म्हारै मण्डी री ही अर म्हनैं आछी तरियां जाणै ही। बण अखबार रो अेक पानो देखतां-देखतां म्हनैं बतायो कै ल्यो, थारी तो ईं अखबार में फोटू छपी है। दो-तीन दिन पैली मण्डी मांय अेक प्रोग्राम होयो हो। ईं अखबार आळै बीं री रपट सागै, फोटू भी छापी ही। म्हैं देखी। रंगीन फोटू बड़ी चड़ूड़ी ही। सागै-आळै जद आछी तरियां पानो पढ’र सांवट दियो तो म्हैं बां कनै सूं पानो मांग लियो। पानै री पैली खबर एटीएम सूं रिपियां री जिग्यां पांच सौ रा नोट निकळण री ही। खबर कौतुकपूरण ही, ईं सारू म्हैं पूरी पढ ली। सरसरी निजर सूं बाकी री खबरां भी देख ली। आखिर में मेरी निजर म्हारी फोटू माथै जा टंगी। म्हनैं फोटू फेरूं घणी फूटरी लागी।

फोटू देख’र म्हैं सोचण लाग्यो पानो तो कियां सागै ले चालां तो ठीक मुफ्त में टाबर बिलम ज्यासी। च्यार-पांच दिनां बाद घर वापसी होसी, जितै तांई अखबार कठै थ्यासी? लाईब्रेरियां में कुण भचीड़ा खासी? म्हनैं चाइजै कै अखबार म्हैं ईं रै मालक सूं मांग ल्यूं। पण फेरूं सोच्यो पतो नीं ईं रो मालक कुण है? कई हाथां में जावण सूं अखबार रोळ-गिदोळ हुयग्या। मांगतै नैं कीं सरम भी तो आवैली? ईं पानै में अब कीं री के दिलचस्पी है? म्हनै पानो दाब लेणो चाइजै। सोच’र म्हैं बींनै सांवट’र आप रै गोडै नीचै दे लियो। थोड़ी ताळ तक जद किण बीं रो तिथड़ो नीं बांच्यो अर सैंग रो ध्यान इन्नै-बिन्नै हुयो, म्हैं खड़्यो होय’र बीं नैं ऊपरली बरथ माथै पड़्यै आपरै झोळै में दाब दियो।

अेक टेसण आयां लोग चा-पाणी सारू उतरण-चढण लाग्या। म्हैं भी उतर’र थोड़ी चहल-कदमी करण ढूकग्यो। पग कीं उरळा होया, इत्तै में गाडी सीटी दे दीन्ही। म्हैं डब्बै में चढग्यो। और लोग भी चढग्या अर नचीता हुय’र बैठग्या। अब बीं पानै रै मालक बीं री सुध ली। इन्नै-बिन्नै हाथ मारतां दो-तीन बारी पूछ्यो बो पानो किन्नै गयो ? बो पानो किन्नै गयो? सागैआळां बीं नैं कई पाना दिखाया, पण कैयो बीं पानै में बा एटीएम आळी खबर ही। मेरै सारली सवारी भी तावळी-तावळी बो पानो ढूंढण लागी। क्यूंकै बो पानो बण बीं कनैं सूं मांग्यो हो। ईं वास्तै बीं री जुम्मेवारी बीं नैं सोध देवण री बणै ही। बण म्हां सूं भी पूछ्यो म्हैं थांनै झलायो हो नीं बो पानो? थे आप तो लियो हो। म्हैं साफ-झूठ कह दियो कै लियो तो हो पण म्हैं तो पढ’र अठै राख दियो हो अर म्हैं तो डब्बै सूं नीचै उतरग्यो हो। सुण’र अेक जणै कैयो हो सकै, थे जद नीचै उतर्‌या पानो साथै लेय’र उतर्‌या अर पानो बठै कठै गेर दियो। अेक बार तो मेरै जी में आई कै कैयद्‌यूं हां, हुय सकै। बियां भी आजकल मेरै भूलणआळो रोग बधण लागर्‌यो है। पण म्हैं कीं नीं बोल्यो। म्हैं तो नचीतो होण रो नाटक धार लियो।

पण मेरै में पूरो खड़बड़ाट चालै हो। म्हैं सोचै हो अब पकड़ीज्या! अब पकड़ीज्या! आज तो स्यान री तूड़ी हुय ज्यासी। म्हनैं इयां नीं करणो चाइजै हो। ओज्यूं भी पानो काढ’र दे देणो चाइजै। पण अब काढ’र देस्यूं तो भी लोग मखौल उड़ासी। कैयसी, चंगा-भला मिनख दिस्सो। थांनै पानो दाबतां नैं सरम नीं आई? म्हैं मनडै नैं समझायो, अब तो चुप भली है। पण म्हारली मण्डी आळो आदमी बड़ै जोर-सोर सूं पानो सोधै हो। बो खड़्यो हुय’र सैंग पासै देखै हो। अेकर तो बण मेरै नीचै तांईं हाथ मार्‌या। म्हां खड़्यो हुय’र दिखा दियो कै नीं, अठै नीं है। बो आखतीज्यो-सो कैवण लाग्यो। साळै अखबार री भी चोरी हुवण लागगी।

सुण’र म्हैं सोच्यो ईं रो तो मेरै पर सक पक्को है। अर हुय सकै मेरै झोळै री तलासी भी ले लेवै। बो म्हनैं भी कैय सकै है कै पानो थे लियो हो। हो हो पानो थारै कनै है। बो तो साच्याणी खड़्यो हुय’र ऊपरली बरथ माथै हाथ मारण लाग्यो, जठै मेरो झोळो पड़्यो हो। मेरो तो जी ऊपर सांसां हुयग्यो। म्हैं सोच्यो इत्तै लोगां में तो बेजती होसी सो तो होसी। तो मण्डी में जाय’र भी मेरी बातां लोगां नैं बतासी। मण्डी में मेरी धूड़ पटीज ज्यैगी। पण म्हैं नाटक नचीतो हुवणै रो करे राख्यो। थोड़ी ताळ पछै हार’र बो भी बैठग्यो। म्हनैं कीं सांस आयो। अेक-दो जणां बींनैं कैयो पानो बारै उडग्यो होसी? पण बीं रै जची नीं। पानै रो मालक भी पूरो उदास हो। बो भी सोचै हो कमाल होगी? देयल्यो लोगां नैं अखबार पढण नैं!

म्हारी मण्डी आळो आदमी अजे भी पानै बाबत कीं-न-कीं बोले जावै हो। बीं रो ध्यान कीं ओर कानी मौड़न सारू म्हैं कीं घरेलू बात चलाई। अेक मण्डी आई तो म्हैं बां नैं पूछ्यो अठै रा तो आपणै बै फलाणो जी कोनी कांई?

बां कैयो-हां है नीं।

इयां करतां-करतां बातां राजनीति पर चाल पड़ी। बै लोकल एमएलए सूं लेय’र मनमोहन सिंघ तांई जाय पूगी। म्हां लोगां रो मत हो कै बिच्यारा राजनेता भी घपला कियां नीं करै? बांनै भी तो चुणाव लड़न सारू पीसो चाइजै। अब तो नेता चुणाव मांय पीसो लुटावण भी घणो लागग्या। दिखणादै भारत में तो वोट देवणियां नैं फ्रिज अर टी.वी. तकात मिलै! बड़ो भूंडो खेल माच्यो है। टी. अन. सेसन जिस्या चुणाव आयुक्त रैवता तो देस रो कीं सुधार हुवतो। अेक जणै आपरो फार्मूलो बतायौ कै म्हनैं छूट द्‌यै तो म्हैं दस दिनां में दो लम्बर रो पीसो बारै कढा नांखू। अेक अेक कोठी रै माथै जाय’र कम्प्यूटर में लागत रो हिसाब-किताब फीड करता जावो। फेरूं सैंग कनै सूं बां री लागत रो हिसाब मांगल्यो। इत्तो पीसो निकळ आसी कै अठै रो हर मिनख अमीर हुय ज्यासी।

अन्ना हजारेजी तो आं दिनां अखबारां में छायेड़ा हा। बांनै भी लोग आछा-माड़ा कैवण लाग्या। बहस सुण’र सारली केबन सूं भी अेक मिनख आय’र म्हारी बहस में सामल हुयग्यो। बो कैवै हो कै म्हैं तो जे. पी. रै आन्दोलन सूं जुड़्यो रैयड़ो हूं। बण कैयो लोकपाल विधेयक सूं के हो ज्यासी? विधेयक तो अठै पैलां भी घणा है। बात तो बांनै सख्ती सूं लागू करण री है।

बातां घणी दूर-दूर जा पूगी। पण मेरै मांयलो डर दूर नीं गयो। बो तो बियां अेक खूणै में जीवै जागै हो। बीं रै कारण म्हैं खड़्यो हुय’र पैसाब करण सारू भी नीं गयो। क्यूंकै म्हैं सोचै हो हो सकै मेरै लारै सूं म्हारी मण्डी आळो आदमी मेरै झोळै री तलासी लेयल्यै अर म्हनैं मार नाखै।

बातां देस रै सुधरण अर सुधरण री होई। म्हैं सोचै हो जकै देस में लोग अखबार रो पानो तकात चुराल्यै, बीं देस में सुधार के धर्‌यो पड्‌यो है? पण म्हैं भी सोचै हो कै पानो चुरावणियां पछतावै भी तो है अर मन-ई-मन इस्सी भूल फेरूं करण री कसम भी खावै!

स्रोत
  • पोथी : कथेसर ,
  • सिरजक : निशान्त ,
  • संपादक : रामस्वरूप किसान, डॉ. सत्यनारायण सोनी ,
  • प्रकाशक : कथेसर प्रकाशन, परलीका ,
  • संस्करण : 10
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