1

दाब्यां नीं दबै
धरती फाड़ ऊगै
बागी व्है बीज।

2

सूरज कैद
काळा दिन काट्या म्हैं
भोर भरोसै।

3

तेवड़ ले तो
तोड़ नाखै किनारा
पाणी रा धारा।

4

गाभां में ओपां
ओप दियां पैली थे
उतारो गाभा।

5

गंगा किनारै
तिरसां मरग्या म्है
थांरै राज में।

6

अंधारो राजा
सूरज नै सुणावै
फांसी री सजा।

7

हिंयै उजास
कवितावां री बात
हार्‌यां रा हाथ।

8

नमो है थांनै
उड़ग री छूट द्यो
पंख काट’र।

स्रोत
  • पोथी : मोती-मणिया ,
  • सिरजक : सांवर दइया ,
  • संपादक : कृष्ण बिहारी सहल ,
  • प्रकाशक : चिन्मय प्रकाशन
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