अमतो-अमतो डाकी र्यो है,

हेंडते-हेंडते थाकी र्यो है।

पारके तेलें मेरियां वाळो,

ऊंसी-ऊंसी फाकी र्यो है।

मंयला गुण महादेव जाणैं,

खाली खोरियुं ढाकी र्यो है।

माया ना चक्कर में काया,

खुद खांडा में नाकी र्यो है।

पोता ना पोगां में बळे,

आडो-अवरो ताकी र्यो है।

काची उम्मर नौ मोटियारो,

मोबाईल माथै पाकी र्यो है।

बीझां नै उबेटें घाले,

आपणी गाडी हाकी र्यो है।

नवो ज़मारौ जौनी वातें,

फकत शिवाजी बाकी र्यो है।

स्रोत
  • सिरजक : छत्रपाल शिवाजी ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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