थोड़ो भारी पेटौ राख

मन नै थोड़ौ मोटौ राख

रोवै जग रै सामै क्यूं

घर री बातां घर में राख

आंख्यां सूं बारै मत लाव

अै मोतीड़ा छानै राख

मिनख तमासौ देखैला

घर रा बंद किवाड़ा राख

चार ठाम ठणकै घर घर

थोड़ौ-सो ठीमरपण राख

मान घटै खुल जावा सूं

बंद है मुट्ठी बंद राख

धाप धाप देसी आसीस

मान बडेरां रो तो राख

स्रोत
  • पोथी : आंगणै सूं आभौ ,
  • सिरजक : शारदा कृष्ण ,
  • संपादक : शारदा कृष्ण ,
  • प्रकाशक : उषा पब्लिशिंग हाउस ,
  • संस्करण : प्रथम
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