थे स्हारौ द्यो, बै आदमी सफल बण ज्यासी,
स्हारौ थारै आपरै असल बण ज्यासी।
थे तो हौ रंगीन रूबाई अे’रचूं मैं एक शे’र,
आपां मिलस्यां जीवन गज़ल बण ज्यासी।
मिरगानैणी! होठ थां का फूल पांख सा,
म्हारै सूं मिलास्यौ तो कमल बण ज्यासी।
थे रूप रा राणी सा, सिणगार रा सोढ़ी,
मुळको तो सरी! झूंपड़ी महल बण ज्यासी!
‘अरविन्द’ प्रेम साटै ताजम्हैल नीं मांगै,
हिवड़ै सारू हिवड़ौ न्याव अदल बण ज्यासी।