सुण अपणी आवाज मनां

सोच समझ लै आज मनां

कर कर खोटां री संगत

जिवड़ा नै मत दाझ मनां

आंख्या पै मत पाटी बांध

निरख’र खुद नै लाज मनां

लोभ, मोह, माया, ममता

छोड़ इणां रौ साथ मनां

थनै कबूतर दीखै है

पण सगळा है बाज मनां

किरणां कानी अर छोड़

अंधारा रौ राज मनां

स्रोत
  • पोथी : आंगणै सूं आभौ ,
  • सिरजक : शारदा कृष्ण ,
  • संपादक : शारदा कृष्ण ,
  • प्रकाशक : उषा पब्लिशिंग हाउस ,
  • संस्करण : प्रथम
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