सब सूं पैला आवै चाय

सब नै सुबै जगावै चाय

तठ लग आळस कोनी भाजै

जठ लग नीं जावै चाय

बालक बूढ़ा के जवान व्हो

सगळां नै भावै चाय

अमल, कसूंबा, गुङ नै भूलौ

जूनौ बैर मिटावै चाय

कळजुग रो अमरित है चाय

लोगां पीवै, पिलावै चाय

सब पकवान अधूरा लागै

जठ लग नी पिलावै चाय

दुनिया मतलब री बैळी

बिना गरज कुण पावै चाय

चाय हेत री सौलाणी है

प्रेम-भाव दरसावै चाय

उण दिन चाय चायङी बणज्या

जदै बिसन बण जावै चाय।

स्रोत
  • पोथी : अंतस रौ उजास ,
  • सिरजक : रज़ा मोहम्मद खान ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
जुड़्योड़ा विसै