सूरज उगतौ दीसै अर फेरूं आंथतौ दीसै
बींच में यूं लखावै बगत जाणै भाजतौ दीसै
लुकाऊं किण तरै कमियां बखेड़ा ई बखेड़ा है
हजारूं नैण वाळौ औ जमानौ जागतौ दीसै
बचाऊं म्हारै सूरज नै तौ चंदौ फेंट में आवै
सजग है राहु-केतु तौ गिरण ई लागतौ दीसै
उमर तौ अजै बाकी है, काम ई है घणौ बाकी
मौत रौ दूत जाणै दूर सूं ई ताकतौ दीसै
कदैई जोस हौ, जीवट हौ, जीणै री उमंगां ही
नीं जाणै आज म्हारौ हौंसलौ क्यूं कांपतौ दीसै
उधारी ली कई खुशियां बस धाकौ ई धकावण नै
बही ले ब्याज अर पड़ब्याज, वो’रौ मांगतौ दीसै
कदैई भाजतौ सरपट, घणां नै छोडतौ लारै
वौ घोड़ौ जिंदगी रौ आज जाणै हांपतौ दीसै