फूल हां तोडौ, मसळदौ, फेंकदौ
जिंदगी रौ अेक तौ हासल लिखौ
भाग री पांती करी, कुण कद करी
सीर सरधा व्है उतौ ई खोसलौ
लाज अर मरजाद में रुळती रही
पीढियां री कसर पाछी काढलौ
हाथ सूं पैलां किसी भासा हती
बंद मुट्ठी आज पाछी खोलदौ
देवजूणां रै अणूतै लोभ में
गाळणौ जोबन निकामौ चोंचलौ
जीवणौ चावां मिनख री जात ज्यूं
देवता कैवौ भलै राकस भखौ