मूंडा सैं रा घणा उदास,

बाकी तो सब चोखा है।

पितळायेड़ी दीखै कळियां,

बाकी तो, सब चोखा है।

रगत जिगर ईमान बी रैया,

बाकी तो सब चोखा है।

न्यायालय, अन्याय कर रैया,

बाकी तो सब चोखा है।

रिस्ता—नाता रोगी व्हैग्या,

बाकी तो सब चोखा है।

देसभगती रा ढोंगी रैग्या,

बाकी तो सब चोखा है।

आंख्यां खोल'र देख 'पूजा',

बाकी तो सब चोखा है।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थानी गंगा जनवरी-मार्च 2015 ,
  • सिरजक : पूजाश्री ,
  • संपादक : अमरचन्द बोरड़ ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ज्ञानपीठ संस्थान
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