म्हनै आपरी थां कद जाणी

जुग तो जाणी थां कद जाणी।

मन रा काळा तन रा उजला

पीड़ मांयली थां कद जाणी।

रेळौ रळिया रळ जावैला

आ! ज़िंदगाणी थां कद जाणी।

रंग-रस आछा रंग रा खेला

रंगत मन री थां कद जाणी।

फगत पगरखी जाण वापरी

घर री लिछमी थां कद जाणी।

स्रोत
  • पोथी : थार सप्तक 6 ,
  • सिरजक : अशोक जोशी 'क्रांत' ,
  • संपादक : ओम पुरोहित ‘कागद’
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