उन्हाळा का बादळ छाया जद सूं म्हारा गांव में।
टांकी शैळी छाकळ सूखा रूंख सूं म्हारा गांव में।
न्हार-बैंगड़्या बैठ्या कांकड़ पै घात लगायां,
छिपग्या सांकळ चढा’र मिनख म्हारा गांव में।
बीरान होरी छै नागफणी का डर सूं झूंपड़्यां,
पण होर्या मांदळ का जापा नत म्हारा गांव में।
कागला का भै सूं छूट्यो फंद बच्यारी मछल्यां को,
पण कर रैया नांगळ बगला नत म्हारा गांव में।
स्याण होय’र जीवा लागी जद सूं उनमादण,
मचरी छै आकळ-बाकळ नित म्हारा गांव में।
कीड़ा मकोड़ा की नाई होर्या छै पैदा लोगदेवी,
झगड़र्या छै चावळ की नांई म्हारा गांव में।