मती मार तू जोर भाइड़ा।

देख कठै ही और भाइड़ा।

इती चांच ना काड्या कर,

कूटैलो कोई कोर भाइड़ा।

मधरी मधरी मुळकत पण,

मांइलो है तेरो चोर भाइड़ा।

सोड़ सारु पग पसार्या कर,

बणज्यावैली टोर भाइड़ा।

मिनख लखण राख्या कर,

लागैं सु'नो तूं ढोर भाइड़ा।

मेरो सागौ पार नीं पड़ैलो,

बोलज्यांवैंला मोर भाइड़ा।

ठंड राख अर राख उडीकां,

आवैलो मेरो दौर भाइड़ा।

लाव छूटे पछै होवै आ'ल्यो,

टेम सूं पैली कर गौर भाइड़ा।

ना माथो खा परनै बळ तूं,

ना कर मनैं तूं बोर भाइड़ा।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : कुलदीप पारीक 'दीप' ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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