कई हिस्सों में धरा बांटी

मत गिगन बांट साथी

अपणै स्वारथ खातिर

मत तलकै चाट साथी

गिराकां नै छल जावै

मतजा अैड़ी हाट साथी

गंगाजल में सै'रो सीर

मत रोक थूं घाट-साथी

थूं पीयो जिणरो दुध

वे थण मत काट-साथी

धन हड़प बणगां मोटा

मत गरीब लाट साथी

पग पग पर बलातकारी

करदे ऊभी खाट साथी

लैतां दूणो देतां पूणो

मत राख अैड़ा बाट साथी

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली तिमाही पत्रिका ,
  • सिरजक : बस्तीमल सोलंकी भीम ,
  • संपादक : श्याम महर्षि
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