लागी है चौफेर, लाय में मत बळजो!

करदै ला वै ज्हैर, लाय में मत बळजो!

झटकै देवै डाम, बतावै पीड़ मिटी,

होणो पड़सी ढेर, लाय में मत बळजो!

सेकैला बाटी तो, खुद री बाळ थ्हनै,

चारां पायै फेर, लाय में मत बळजो!

चाटी है चटियोड़ी हांडी व्है बन्दा,

किण विध बणै कुबेर,लाय में मत बळजो!

बिन कारण बण जावै, कितरा हेताळू,

लेवैला सब घेर, लाय में मत बळजो!

खांडा री है धार, चालणो पण कितरो,

चूका खाडो खेर, लाय में मत बळजो!

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत अगस्त-सितंबर ,
  • सिरजक : वीरेन्द्र कुमार लखावत ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृत अकादमी, बीकानेर
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