काले हतो जो भाटो वो भगवान बणी ग्यो

इन्सान हतो आज वो शैतान बणी ग्यो

फाकं हनं खावा नं और रेवानं काल तक

जी हजूरी आज वो दीवान बणी ग्यो।

पैदाथ्यो मनक हतो वगर जात पात नों

आज वो सिख, हिन्दू, मुसलमान बणी ग्यो।

स्वार्थ नी रोटी हेके देश ना तवा उपर

भोरमणा नारा वांटी सुल्तान बणी ग्यो।

मजदूर नी कमाई माते मोज करै है

आजे मोगवारी नी पहचान बणी ग्यो।

गुण्डागिरी बइमानी एना खून मे वसी,

हमजे रमकडू नारी ने, हैवान बणी ग्यो।

पेरी मुखोटू ढोंग नू, वताडे शराफत

गद्दारी करी देश ऊँ बईमान बणी ग्यो।

स्रोत
  • पोथी : वागड़ अंचल री ,
  • सिरजक : उपेन्द्र अणु ,
  • संपादक : ज्योतिपुंज ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham
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