जोत जगावै अैड़ा कम है

नेह निभावै अैड़ा कम है

सब देवै बळती में पूळो

लाय बुझावै अैड़ा कम है

बात बिगाड़ण में सब आगै

बात बणावै अैड़ा कम है

सगला रैवै लारै-लारै

आगै आवै अैड़ा कम है

देख परायै री नादारी

नीर बहावै अैड़ा कम है।

सांचै मन सूं प्रीत करणियां

गळै लगावै अैड़ा कम है

पड़तां माथै दांत निकालै

लपक उठावै अैड़ा कम है

बीच भंवर इण फंसी नाव नै

पार लगावै अैड़ा कम है।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली गजल विशेषांक ,
  • सिरजक : श्यामसुन्दर भारती ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी साहित्य संस्कृति पीठ
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