जिनगी में पग-पग रोड़ा

बोझ घणो, मरियल घोड़ा

बागां मांयै रसोई बोल दी

लोग घणा, साधन थोड़ा

झालर बाजगी मिंदर में

दरसणां में व्हैग्या मोड़ा

ऊंचा बोल बोलनै फंसग्या

खूंझ्यो खाली पड़ग्या फोड़ा

मैंगारथ मार्‌या सै नै

खाण-पीण रा पड़ग्या तोड़ा

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली ,
  • सिरजक : विनोद सोमानी ‘हंस’ ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : मरुभूमि सोध संस्थान राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति, श्रीडूंगरगढ़