इक सुरंग आ गरीबी
जबरौ जंग आ गरीबी
बैवती तोड़ती कारां
निरमल गंग आ गरीबी
मैकती, रूप री पूनम
उतर्यो रंग आ गरीबी
काळजै टांकती टांका
चेहरौ दंग आ गरीबी
तोड़ळी डोर जीवण री
कटी पतंग आ गरीबी
कूकती डाडती दुनिया
मुधरौ चंद आ गरीबी
दोगलै इण जगत रै मांय
जीवण ढंग आ गरीबी
खणकतै खूंजां रै वौपार
हाथां तंग आ गरीबी