इक हिंवाळो फेर गाळ्यो जायलो

और फिर ऊं नैं गुदाळ्यो जायलो

च्यार छै म्हीनां उबाळ्यो जायलो

फेर बो मुद्दो उछाळ्यो जायलो

कद तलक आतंक पाळ्यो जायलो

और कद खोजबाळ्यो जायलो

उघाड़ो मांस पतहीणां मिनख

अब नहीं हर्‌गिज रुखाळ्यो जायलो

चरू है हाल सारो साबतो

पण कमीशन खांण झाळ्यो जायलो

जे अळीतै पर बिठा दी जांच तो

सरिदये सूं फेर न्हाळ्यो जायलो

गळगळी बकरै की मां बोली, बनां!

अेक थावर नीठ टाळ्यो जायलो

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली ,
  • सिरजक : राजेश विद्रोही ,
  • संपादक : श्याम महर्षि
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