होगो जग में घणों अमूजो।

बूझो रै कोई नैं बूझो॥

मिनख बापड़ो कुरळावै झै,

कानां में देल्यो थे डूजो।

हार मान कै मतना बैठो,

जूझो जिनगाणी सूं जूझो।

भीड़ पड़्यां सूं खुद ही लड़ज्ये,

काम नहीं आवैलो दूजो।

हिम्मत की कीमत छै सारी,

खड़्या खड़्या थे यूं मत धूजो।

काम पड़्यां आवै नहीं आडा,

ज्यांनै थे नित उठकै पूजो।

म्है सब छोटा मोटा दाणां,

बो कस्तार बड़ो भड़भूजो॥

स्रोत
  • पोथी : बिणजारो 2017 ,
  • सिरजक : इकराम राजस्थानी ,
  • संपादक : नागराज शर्मा ,
  • प्रकाशक : बिणजारो प्रकाशन पिलानी ,
  • संस्करण : अङतीसवां