हिंवड़ो बलज्या, बा झळ है

जिवणो इब तो अटकळ है

मिनख-मिनख में बीस मिनख

दस सावळ, दस कावळ है

जोर लगासी धंस जासी

दुनियांदारी दल दल है

रिस्ता नाता यूं लागै

मन राख्योड़ी झूंझळ है

भाई दुरजै रा पल्ला

मां, अटक्योड़ी आगल है

तारा, खिंडर्‌‌‌या भोरा-सा

चांद जिम्योड़ी पातल है

सोक्यूं होतां-सोतां क्यूं

जिवड़ो आकल-बाकल है

झूठ रा चकमा थोथा है

सांच री लाठी भरतल है

कुण नै बतलावै ‘खामोश’

हर कोई नै तावल है।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली गजल विशेषांक ,
  • सिरजक : बनवारी ‘खामोश’ ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी साहित्य संस्कृति पीठ
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