हाथां नै हथियार चाइजै

वांनै तौ नीं प्यार चाइजै।

रोळौ-बैधौ आज माच‌र्‌‌‌‌‌‌‌यौ

किरतब नीं अधिकार चाइजै।

फेरूं आग्या धोळपोसिया

चानस केई बार चाइजै।

मांगै सगळा राज-काज अब

जन री पण हूंकार चाइजै।

राज हुवै जद तंत-बायरौ

तारणियौं करतार चाइजै।

भाई बरगौ मीत मान ले

बखत-बखत फटकार चाइजै।

चेत मुसाफ़िर मिनख जात नै

आज फगत सिणगार चाइजै।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : राजेन्द्र शर्मा ‘मुसाफिर’ ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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