हर अेक आंखियां में डर है

गांव री दरद भरी डगर है

सूना है सगळा मारग

अंधारा में डूबियो घर है

टाबर री अेक लड़ाई सूं

उफणियो मिनखां में जैर है

पांखी आभै उडणै खातर

देख रया कटियोड़ो पर है

सही मन सूं म्हैं पूछियो

अै दुनिया रा कांई मंतर है

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली ,
  • सिरजक : अब्दुल समद ‘राही’ ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी साहित्य-संस्कृति पीठ