गाँव गळी री साख पीपळी

थारे धोरे राख पीपळी

मूळ बिसर फुलड़ां रा लोभी

सींचण लाग्या साख पीपळी

मीठा गुटक मोकळा खाया

कुछ तो खारा चाख पीपळी

मसळ सांप मत नाहक नीचे

दीसे जेड़ी दाख पीपळी

क्यूं कागां रा कंठ पाकज्या

जद जद पाके दाख पीपळी

राख भली कुळ रीत रावळी

रोज उड़ा मत राख पीपळी

चाख चाख खाजे फळ चोखा

छिन में लागे चाख पीपळ

उड़ता खग आभे में ओपै

खांच मती पर पाँख पीपळी

आँख काढ झूठी क्यूं अकड़े

आंधां री बण आँख पीपळी

स्रोत
  • सिरजक : गोकुलदान खिड़िया ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी