ला जीवू चेन सूं जिन्दगांणी कठै

डूब मर ज्याऊं ढकणी में पांणी कठै

भागत भूत रौ बाळ कांबळ व्हियो

अब बता सरदियां अै बितांणी कठै

थे कैवो तो बळद बण उमर काढ़ दूं

तेल निकलै तिलां में वा घांणी कठै

देवतां ने हिये में रमाऊं किया

रामजी पीर मिनखां री जाणी कठै

लोग बातां में देखे गजल री कड़ी

और गजलां में पूछे कहांणी कठै

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : भागीरथ सिंघ भाग्य ,
  • संपादक : तेज सिंघ जोधा
जुड़्योड़ा विसै