जे सोयाबीन जम जावै, तो मांडो आज गड़ जावै
लसण को भाव आ जावै, तो फेरा काल पड़ जावै
टका कै भाव न बेचां, भलां हीं खाळ मं फेंकां
झखर मं आज बळ जावै, कै बैरण काल सड़ जावै
फखर सूं काळज्यो रंध ग्यो, चुरम सूं रूसगी नंदरां
जे धोळी बादळी टळज्या, करम को कोढ झड़ जावै
या कुण नै खोस ली हांसी, कस्यां काळूंडग्या मूंडा
जस्यां कै भैंस तै जावै, लड़ख्छां आम झड़ जावै
मरोड़ै पूंछड़ी हलधर अड़ी पै जिंदगी अड़गी
असाडी मं जस्यां कोई, गरयोळो बैल अड़ जावै