दिन में रात स्होवणां सपना, देख घटा घन घोर पिया

टोखी ऊपर देत टहूका, मन में नाचे मोर पिया

पारो पार पचासां पूग्यो, लूवां री लपटार घणी

खूँखाती खेतां में चालै, आंधी धूँवांधोर पिया

जँगऴी जीव हिरणियां हुलकै, लुकती छिपती छाँव फिरै

आसमान में भुँवे कांवऴा, पड़्या बेसक्यां ढोर पिया

कुण जाणे अंतस री पीड़ा, हीड़ा तौ बिन केम हुवै

दाँत दिखायर काढां दिनड़ा, रातां काढ़ां रो'र पिया

कोई आ'र बधायी देवे, आसी कद घनश्याम अठै

बारम्बार वारणा लेतां, द्यूं साचकली म्होर पिया

बिरखा बरसे करसा हरसे, चौमासो च्हैचाट करे

सावणियें में झिरमिर झिरमिर, भादुड़ै में लोर पिया

पुऴ रा भ्हाया मोती निपजै, आऴस छोड़ अगाड़ी

अन धन लिछमी घर में आसी, कर म्हैनत घणजोर पिया

खुपरी खुरड़ मतीरा खावां, लूण काकड़ी लीर लगा

चौमासे में बैठा चाबां, मोरण सीट्टा मोर पिया

तोड़ां फऴी टींडसी ताजा, आजा हिलमिल राम भणां

भर भर झोऴ्यां भेऴा करस्यां, ब्होऴा काचर बोर पिया

बांठ बांठ में रमे रामजी, ईं धरती रो सुरग अठै

अब मत हुज्यो म्हां सूं अऴगा, काऴजिये री कोर पिया

दुर्व्यसना सूं राखो दूरी, कुरीतां रो कोऴो काट

घणां दिनां गफलत में सोया, अब तो करल्यो गोर पिया

निशा देख मत न्हांख निसासा, मरजादा रख मान मते

चख चकवां रे सांप्रत दीखै, जग उजियारी भोर पिया

दोस कदै ना लीज्यो दिल पर, माफी दे राखिज्यो मान

प्रेम भाव सूं हरदम पाऊं, ठाकुर चरणां ठोर पिया

खान पान बागां जस खागां, पातां संतां रे प्रमांण

नित रा भलो बतावै 'गोकऴ', आज्यो थे नागौर पिया

स्रोत
  • सिरजक : गोकुलदान खिड़िया ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी