सुण स्वारथ रा जाळा बाबू
ले आवै दिन काळा बाबू
साँच जूण रो जद ही दिखसी
खुलै भरम रा ताळा बाबू
मैं-रो मद सिर पर बैठै तो
लेवै बदी उछाळा बाबू
झैरीला फळ ही देवै ला
सदा पाप रा डाळा बाबू
भोग करम रा पड़ै भोगणा
लियाँ चलै ना टाळा बाबू
जुगताँ काम नहीं आवै जद
होणी माँडै पाळा बाबू
घर टूटै, घर रै रिस्ताँ री
जद टूटै है माळा बाबू
चाकी चालू रैव काळ री
साँस मौत रा गाळा बाबू
सत पथ पर चालै है बाँका
रैसी देव रुखाळा बाबू।