अफसर री जबान है बाबू

घर-ऑफिस री स्यान है बाबू

बो अफसर रो खून है तातो

यूं समझो कै ज्यान है बाबू

घर मां रेवै दोरो-सोरो पण

दफ्तर री कमान है बाबू।

रैवै दूर पण खनै अफसर रै

जीयां आंख-कान है बाबू

तिल रो ताड़ चुटक्यां में करदे

मानो गुण री खान है बाबू।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली ,
  • सिरजक : पवन शर्मा ,
  • संपादक : श्याम महर्षि