बा देखौ बरसात उठी है, सूतोड़ी सरुवात उठी है।

जूती तळ ही म्हारी बातां, बळबळती वा बात उठी है॥

राजा कुण रोळां नै कहसी, कुण बातां मोळां री कहसी।

रगत पीवणां मांडी रांफळ, जाजम सूं वा जात उठी है॥

जूती तळ ही म्हारी बातां,

बळबळती वा बात उठी है॥

पसीनौ खेतां नै पायौ, अंग बाळ म्हैं अन उपजायौ।

म्हां थां पर धणियाप लिखी, उण हाथां पर अब घात उठी है।

जूती तळ ही म्हारी बातां,

बळबळती वा बात उठी है॥

झुंपड़ क्यूं अब झेरां लहसी, लाल धूड़ रा लैरां करसी।

गणतंतर नै गाय बधावां, अब म्हारै घर छात उठी है॥

जूती तळ ही म्हारी बातां,

बळबळती वा बात उठी है॥

संख कूड़ रा जा सुळगावां, झालर रै झाळ लगावां।

कबरां माथै कोड कर्या उण जुल्मी री जमात उठी है॥

जूती तळ ही म्हारी बातां,

बळबळती वा बात उठी है॥

छूत-अछूत घणा छळ खाया, पांत आगली आप कहाया।

राखी कुण नारी नै रोळै, खळ पुरसां ! अंब मात उठी है॥

जूती तळ ही म्हारी बातां,

बळबळती वा बात उठी है॥

जद उगसी 'लूथर' धोरां में, चरभर मचसी तद चोरां में।

संविधान नै संग लियां औ, गांधी वाळी गाथ उठी है॥

जूती तळ ही म्हारी बातां,

बळबळती वा बात उठी है॥

स्रोत
  • पोथी : डांडी रौ उथळाव ,
  • सिरजक : तेजस मुंगेरिया ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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