थनैं गीतां में गाऊंला अे म्हारै काळजियै री कोर
म्हारै काळजियै री कोर, मन मंदिर री गणगौर
थनैं गीतां में गाऊंला अे म्हारै काळजियै री कोर...
थूं जे हरखै तो दिन ऊगै, रूठै तो सांझ ढळै छै
थनैं देख देख ही गजबण, आभै रो चांद पळै छै
म्हैं हूं कळियां रो लोभीड़ो, थूं भंवरां री चितचोर
थनैं गीतां में गाऊंला अे म्हारै काळजियै री कोर...
थारो रूप निहारण रै खातर छाया अर धूप लड़ै छै
थारी अेक झलक जे निरखै तो शीशो भी चटक पड़ै छै
म्हारै नैणां में रमती रैवै थारी सूरत आठूं पौर
थनैं गीतां में गाऊंला अे म्हारै काळजियै री कोर...
थूं मनमोहन मीठी बोली बोलै तो इमरत घोळै
थारै अेक हाथ रो झालो ही टोळ्यां री टोळ्यां टोळै
थूं जोबन रे मद मतवाळी नित लागै नूंवी नकोर
थनैं गीतां में गाऊंला अे म्हारै काळजियै री कोर...
थूं जे बणठण कर चालै तो यूं लागै घूमर घालै
थारी रूप तिजोरी निजर पड़्यां मन कामदेव रो हालै
ऋषियां री तपस्या फळ जावै, नाच उठै मन मोर
थनैं गीतां में गाऊंला अे म्हारै काळजियै री कोर...
थूं सार समझ ले इण जग रो जीवण में साथ जरूरी
सौ बातां री बात अेक ईसर बिन गवर अधूरी
थूं जे हामळ भर देवै तो ले आऊं कांकण डोर
थनैं गीतां में गाऊंला अे म्हारै काळजियै री कोर...