बण सूरज-चांद चमकसी रै अै टाबरिया
ले चोखी सीख पळकसी रै अै टाबरिया
आओ सै मिल धूड़ भर्या हीरां नै आज तरासां,
गौतम-गांधी पाठ दिया, बै आंनै आज भणासां,
जद दम-दम और दमकसी रै अै टाबरिया
हुया जिकै नल-नील अठै बै फेरूं आज बणाणा,
ईयां सूं आपानै उमड़्या सागर आज बंधाणा,
आंधी-तूफान तड़कसी रे अै टाबरिया
आंपारी छाती रा चाला आनै आज दिखासां,
जात-पांत रा भेद पड़्या बै आपां आज मिटासां,
गळ-बाथ्यां डाल मुळकसी रै अै टाबरिया
भटक्योड़ा भाईड़ा नै साचोड़ी राह बसासी,
भेद भाव नै लगा पळीतो सुख-संपता सरसासी,
जद सैंग फूलसी-फळसी रै अै टाबरिया।