करज्यो’रे अस्यो चढाण, बैर्यां का मट जावे नसाण
आसन पे गाडो रीज’रे ढ़ीलो मत पड़जै रे जवान,
राणा को भालो ले जाजै, अरजुन की ले तीर कमाण
भीमा को घोटो ले जाजै, बैर्या का मंड दीजै मसाण
दुर्गा को खांडो ले जाजै झटका सूँ हर लीजै प्राण
काली को खप्पर ले जाजै धरत्याँ पड़े न रगत नसाण
करज्यो रे...॥
श्वान सी निन्दरा सो ज्यो सूरां, बगुलां सो धरलीज्यो ध्यान
बैर्यां को विसवास नहीं छै बैरी आवै बदल पैचाण
मन में ऊँ कै कपट घणो छै, गळै लगा कर माँगे प्राण
काळा मन का कपट्या ने थैं मत दीज्यो रे जीवन दान
करज्यो रे...॥