गीत वेलियौ
धरणै री विगत सुणौ सतधारी,
मरणै सूं न डरै तिल मात।
साच वाच भांणव सिव सरणै,
अमर नांम बरणै अखियात॥
धारण सत सिद्धान्त धरम रा,
हितू समाज सुधारणहार।
कुळ मरजाद इष्ट रै कारण,
चारण सहै न अत्याचार॥
सांसण दिया नृपां गुण साटै,
लिया खोस खत्रवट नै लोप।
उण पुळ तागा व्रन ऊससिया,
किया तेलिया बळिया कोप॥
उदैसिंघ जोधांणै अधपत,
सत्ता में मद हसत समांन।
रथ में तद आरूढ रांणियां,
थाक धवळ पथ में इक थांन॥
गाडौ रुक्यौ जेथ गढवाड़ौ,
गुणियण चारणवाड़ौ गांम।
रणवासै बळ हौ रजवाड़ौ,
तेज वृषभ खोसाड़ौ तांम॥
पूगी खबर पात नै जिण पुळ,
जबर जोतरे धोरी जांण।
बबर जेम गोयंद बोगसौ,
पळी न सबर जाय भल प्रांण॥
जोड़ी खोल उलाळ जुवाड़ौ,
वड क्रोधाळ न कियौ विचार।
रथ सूं गुड़ी ढाळ में रांणी,
खेध भाळ ऊपजियौ खार॥
बात सुणे कोप्यौ नृप बेहद,
ऊथपिया सांसण मद अंध।
ताकव चूक करी एकण तद,
कौम सकळ भद क्यूं गिड़कंध॥8॥
अरज करी ज्यों-ज्यों ऊफणियौ,
सुणियौ धीरप सूं न सवाल।
मांडण सुतन सुमेरू मिणियौ,
ढब बणियौ गढवां री ढाल॥
संमत सोळै तँयाळीस में,
भूप रीस में जबती भाळ।
विखमी समै बीदगां वरती,
चैत मास में मंड घमचाळ॥
पाली रणसी गांम पटायत,
अपणायत गोपाळ अमांम।
चारण देख विखायत चांपै,
त्याग सिरायत पटौ तमांम॥11॥
आढौ दुरसौ हुय अगवांणी,
जोत जगांणी सत री जोप।
सत्याग्रह धरणै दरसांणी,
कवि बांणी जनबळ नृप कोप॥12॥
चारण बांण हजारां चहुंदिस,
आउवै सिव मिन्दर में आंण।
त्याग गांम इगतीस भांण तन,
रोहड़ आयौ अखवी रांण॥
वीठळ भोपत खेतल राघव,
हाथी दलौ बलू हरियंद।
सुहड़ आठ गोपाळ तणा सुत,
रेंणव रखवाळा राजंद॥
धार विचार विधूसण धरणौ,
वांसदार खंधार वितंड।
पहरदार अठ कुंवर पाळ रा,
अधप पजावणहार उदंड॥
रोप त्रिसूळ दीप घृत राचै,
वाचै चाडाऊ जसवास।
काचै ताग सिंदूर चरच कुळ,
वीदग उर साचै विसवास॥
काजेसर सिव सरण कवेसर,
चंडी जाप जपेसर चाव।
दोय दीह निरणा तीजै दिन,
घलिया गळै कटारी घाव॥
सिनांन कर प्रसाद ले सीरौ,
साज ध्यांन ईहग समराथ।
गंग उदक तुळसी सिर ग्रहिया,
भड़ थहिया तागै भाराथ॥
गुणियण जांण गोरहर गोयंद,
आधै रवि ऊगां अवसांण।
वेळा पुळ डंकौ नह वजियौ,
प्रतपाळी ग्रह तजियौ प्रांण॥
सुरगां गया सात-वीसी संग,
महापात ठावा व्रन मौड़।
दाग दिराया सकळ दूथियां,
ठौड़ हेक चांपै राठौड़॥
ऊदै नृप सांसण उथापिया,
लाखा जमर थापिया लेख।
कुपह स्रापिया जमदाढां कढ,
प्रांण आपिया पातां पेख॥
कांकण-डोर बंध्योड़ा केई,
प्रौढ जवांन नवा परणेत।
घणा हुवा अजरायल घायल,
खून छांट भड़ रहिया खेत॥
अखै भांण रै प्रांण अरपिया,
अणी चढे चाढी कुळ आब।
देवी कृपा जीवियौ दुरसौ,
जात पखै देवण हित जाब॥
गाडा जोत हजारां गढवी,
तज मुरधर वहिया ततकाळ।
चांपावत भड़ संग चारणां,
गढ छोडे हाल्यौ गोपाळ॥
पाळ सहित बीकांण पधारे,
मांण वधारे घण मिजमांन।
रांण प्रताप तेड़िया रेंणव,
सुपह भांण कीधौ सनमांन॥
तीन लाख रौ पटौ तुरत ही,
चांपै नूं समपे कर चाव।
चौधाई बंट रख्यौ चारणां,
भाई जेम लख्यौ हित भाव॥
पड़ियां भूप रूप पालटियौ,
सुपह पात तेड़ाया सूर।
अपजस काज अजे ऊदल रौ,
मोटौ राजा नांम मसूर॥
चारण वरण तणी चिणगारी,
सतधारी धरणै री साख।
पातां नै स्वतंत्रता प्यारी,
लै अनमी बळिहारी लाख॥
सन अठार सत्तावन सगळी,
आउवै तोपां उगळी आग।
फौज फिरंगी तणी हळफळी,
वेढ खुसाल भळी बडभाग॥
ब्रिटिश राज हंदा विद्रोही,
सुकवि समाज रची घण सोभ।
ज्यांरा गीत आज तक गूंजै,
लाज रखी ग्रहियौ नह लोभ॥
आतम-बळ एकठ अवधारण,
व्रन चारण आचार विचार।
गांधीजी रै सत्याग्रह में,
आउवै रौ धरणौ आधार॥
स्वतंत्रता अर स्वाभिमांन रौ,
दियौ शहीदां मिळ संदेस।
उण धरणै री साख ईहगां,
साच कही कवियै ‘सगतेस’॥