दूहौ
हेत भाव मनवार व्है, चुणाव रौ घण चाव।
तणियौ तम्बू इण तरै, वणियौ व्है ज्यूं व्याव॥
गीत पालवणी
चुणाव ज्यूं थळ में चत्रमासौ।
रेलमपेल मंडै रंग रासौ।
पारटियां रौ चौपड़ पासौ।
वळोवळी लिछमी रौ वासौ॥
बोटां तणी जोवता बाटां।
हुवै हथायां मंडगी हाटां।
लेवै जिण तक खळाक लाटां।
करै वसूल ब्याज मिळ काटां॥
दिन अर रात मोटरां दौड़ै।
चापळिया नर आवै चौड़ै।
झगड़ै ऊभा केई झौड़ै।
जीतण हित बेहूं कर जोड़ै॥
मुखिया रूठां जाय मनावै।
खरापणै री सौगन खावै।
केई अटक्या कांम करावै।
जुगाड़ बोट गोठ जीमावै॥
रोज चीकणा खावै रोटा।
मौज करै बंधांणी मोटा।
छड़ा किणी रै टाबर छोटा।
खास बणै पण मन में खोटा॥
पुरसीजै लाडू अर पैड़ा।
किरड़ै ज्यूं बदळै रंग कैड़ा।
बाजी जिके बोलता बैड़ा।
(वे) नेताजी रै चिपिया नैड़ा॥
धोरा-धरती धूम धड़ाका।
ह्वै माइक सूं प्रचार हाका।
फुलझड़ियां छूटंत फटाका।
बोटर अजांण फाड़ै बाका॥
खंडण-मंडण हुवै खरीकौ।
फाऊ खड़ा जिकां मुख फीकौ।
टणकां रै कूंकूं रौ टीकौ।
हुवै विधायक जांण हथीकौ॥