बध बध होगी घेर घुमेर

छाया फैली च्यारूँ मेर

आई ऊमर कै औसाण

दूध्यां नीमड़ी

खुद का जोबण सूँ अणजाण

दूध्याँ नीमड़ी।

नणदी देखै नीमड़ी तो माँगै म्हासूँ स्याळू रे

काची निंबोली पै रीझ्या देवर रंग रसाळू रे

म्हूँ जद देखूँ नीमड़ी, पिउ की पगडंडी न्हाळूं रे

जेठसा जिठाणीं सा का निरखै

डील’र, डाण

हरियल निमड़ी।

सावण सुरंगी हरी नीमड़ी चेत बैसाखाँ पीळी रे

फूटण मै जाँणै तो पड़गी थाँकी ओळ्यूँ लीली रे

जस्यां-जस्यां होई नीमड़ी उस्यां-उस्यां जीली रे

दुख मँ रहगी डाळ डाळ

सुख मँ फूट्याई सौ सौ पान

नरमल नीमड़ी।

असी मोखळी छाया पाई कूँख मळ्यो फल को परताप

कुण को लाग्यो सराप जे तू झेल रई छै अस्यो सताप

कै दुनियाँ को जहर झाड़ताँ कड़वी होगी थारी खाँप

काँई की छै दाँण

घलमल नीमड़ी।

ताँवड़ियै सूना रूपाँ की चाँदणिये चाँदी की ढाळी

करै बींदणी दाँतण हेलो ससुर सपूताँ मैफल घाली

आधी का मझला मै जद म्हूँ ढोला कै ढोलणिये चाली

तो म्हाँ पै कान धरै नादान

कड़वाँ नीमड़ी।

स्रोत
  • पोथी : पाणी मै चाँद घुळै छै ,
  • सिरजक : दुर्गादान सिंह गौड़ ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन