मौत तणी गोदी में खेलै, नैनी-सी जिनगानी।।

ममता री मूरत सूं डरपै, मौत भवानी-माता।

लाड-लडावै, पाळे-पोखै, सब री भाग्य-विधाता।

जूण गीगली-जिलफ, उणी रै आंचळ दूधो चूंघै।

कर्मगीत री लोरी गा-गा, सदै ताळवो सूंघै

जिणनै कैवै जूण-खोसणी, बा है अवढर-दानी

मौत तणी गोदी में खेलै, नैनी-सी जिनगानी।।

भोळी जिनगानी के जाणै, डूंगी घणी पहेली।

इचरज करती फिरै जगत में, गूंगी ग्यान-सहेली।

पतियारै-पितवाणै, जाणै, भेद-भरम री भासा

पूरणतायी में परखीजै, परमतत्व, परिभासा।

जलम-मरण रै बीच ठौड जो, बा प्रभु री मिजमानी।

मौत तणी गोदी में खेलै, नैनी-सी जिनगानी।।

कचकोळ्यां, गळगचिया भेळा करै, गुढ्याळो खेलै।

नैणमोवणा रूप-रंग नै, ल्हुको-ल्हुकोनै मेलै।

बोछरड़ी है घणी टींगरी, मेळां में गम जावै।

साथण-सायेन्यां में बैठ'र रोळां में रम गावै।

सासरियै जांवतड़ां होवै, स्याणी, झट नादानी।

मौत तणी गोदी में खेलै, नैनी-सी जिनगानी।।

आळीभोळी अजब टींगरी, जाणै निज नै स्याणी

पाणी रा बुद्बुद् में, जिनगानी री राम-कहाणी।

हर पल मौत रुखाळै, माता री ममता बुचकारै।

जाण-बूझ अणजाण बणी, जिनगानी नाय बिचारै

वेद-सासतर कथग्या सारा, पण ना कोई मानी।

मौत तणी गोदी में खेलै, नैनी-सी जिनगानी।।

स्रोत
  • पोथी : देखै जिसी चितारै ,
  • सिरजक : किशोर कल्पनाकांत ,
  • प्रकाशक : कल्पना लोक प्रकाशन, रतनगढ़ ,
  • संस्करण : pratham
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