वीर-भू री वीर वाणी!

अमर वाणी राजस्थानी!!

कोटी कोटी कंठ-स्वर सूं

गरजती जै जै भवानी!

अमर साहित री धिराणी

राज-भाषा लोक-वाणी

धाक थारी विश्व मानी!

वीर-भू री वीर वाणी!

अमर वाणी राजस्थानी!!

अंब! भूल्या बंधवां नै

आज फेरूं सजग कर दे

ज्ञान भर विज्ञान भर मां!

प्राण में तूं प्राण भर दे

विश्व में गूँजे सदा ही

अमर भू री अमर का’णी!

गीरवाणी जै भवानी!

वीर-भू री वीर वाणी!

अमर वाणी राजस्थानी!!

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत 2006 ,
  • सिरजक : ठाकुर रामसिंह ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर
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