इण मुरधर री माटी नैं हंस कुण बतळावै जी।

मूंढै रै ताळो जड़ियोड़ो कुण खुलवावै जी।।

घरजायोड़ा भणै विदेसी

कुण मायड़ री बात करै

घर आंगणियै हुई पराई

दूजी भासा राज करै

कण-कण माटी रो मायड़ रै हित कुरळावै जी।

मूंढै रै ताळो जड़ियोड़ो कुण खुलवावै जी।।

जिण भासा मेड़तणी गाई

गिरधर घणो रिझायो हो

पाबू रा परवाड़ा जिणमें

जाम्भै रूंख बचायो हो

गिरधर पाबू जाम्भै नैं कुण याद करावै जी।

मूंढै रै ताळो जड़ियोड़ो कुण खुलवावै जी।।

चेतक री टापां सुणियोड़ी

राणा री आतम सांसां

पीथळ री पाती रा आखर

ऊंचा धोरां आकासां

मायड़ री हालत देखां तो मन तरसावै जी।

मूंढै रै ताळो जड़ियोड़ो कुण खुलवावै जी।।

मायड़ रा बेटा हर खूणै

देस विदेसां वासी है

घर धणियाणी घर रै मां ईं

आज होयगी दासी है

पुरखां री थरप्योड़ी थाती माण गमावै जी।

मूंढै रै ताळो जड़ियोड़ो कुण खुलवावै जी।।

क्रोड़ क्रोड़ कंठां री वाणी

इतियासां री जामण ही

ऊंढै कोसां नीर पीवती

फोड़ पताळां कामण ही

ढोला मरवण मूमल गीतां नैं कुण गावै जी।

मूंढै रै ताळो जड़ियोड़ो कुण खुलवावै जी।।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुनियोड़ी ,
  • सिरजक : छैलू चारण ''छैल''
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