नांव सुमरणौ भूल्यौ, निरखण लाग्यौ मिणियां-माळा रे!

जाणै, खुलसी कियां, भरम रा सजड़-जड़योड़ा ताळा रे!

कितरी लाम्बी माळा, वेळा, मिणियां दिन ज्यूं छोटा है!

ऊभौ डूंगर-जिस्यौ सुमेरू, भरम बिड़योड़ा टा है!

ऊल-तूळ जंजाळ नैण में, मन में दोधाचींती है!

पड़दायत-सी उमर रावळै, बैठी सरब नचीती है

डिगणा है आळोच-भरोसा, नित-नित लेवै टाळा रे!

जाणै, खुलसी कियां, भरम रा सजड़-जड़योड़ा ताळा रे!

ग्यान'र गुण चमगूंगा दोनू, सैनां में समझावै है!

भेख धर्यां जोगण रौ जूणी, भणती भजन रिझावै है!

समदर कांठै खड़ी कामना, लहर-हबोळा जोवै है!

आळाभोळा रूप रळै है, निजर्यां नै छळ मोवै है!

दारू पीय बहकता हांडै, के ठा कठै रुखाळा रे!

जाणै, खुलसी कियां, भरम रा सजड़-जड़योड़ा ताळा रे!

चंचळाट चित-विरती, धोकै, परब, देवरा गरबीजै!

चन्नण चिरच, पीय चरणाम्रित, परलोकां में पुन बीजै!

पल-पल रूप मूरतां बदळै, उणियारा ढळता जावै!

बरफ-स्यारखा देइ-देवता, हिरदै में गळता जावै!

वय रा तीनूं-काळ बण्योड़ा, छैलभंवर नखराळा रै!

जाणै, खुलसी कियां, भरम रा सजड़-जड़योड़ा ताळा रे!

ओर-छोर नी, अन्त-पार नी, कथै अकथ नै के वाणी!

रसणा री लाचारी कथणा, रचणावां है अणजाणी!

बुद्ध बापड़ी परबस बन्दी, कुबध कळै रो राज करै!

अजब अेक चुप्पी, कुण बोलौ, राजा नै नाराज करें!

नांवे रै धर नांव अडाणै, बिगड़योड़ा ढंग-ढाळा रे!

जाणै, खुलसी कियां, भरम रा सजड़-जड़योड़ा ताळा रे!

स्रोत
  • पोथी : अंवेर ,
  • सिरजक : किशोर कल्पनाकान्त ,
  • संपादक : पारस अरोड़ा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण