म्हारौ परिचय बस अतनौ, म्हूं भारत की तसबीर छूँ,

जनम भौम पै मरबा हाळा मतवालां की पीर छूं।

वां वीरां की बेटी छूं जे हंस फांसी झूल गया,

वां नाह्रां की मायड़ छूं जे रण आंगण में जूझ गया,

म्हूं जीजा की अमर भाअेली, पन्ना धाय कौ जज्बो छूं,

हाड़ी की छूं सैनाणी, जसवंत कौ जीबौ-मरबौ छूं,

कृष्ण की कुल की मर्यादा, लक्ष्मी शमशीर छूं।

हल्दीघाटी की रज को हिगळू नत माथै लूं छूं,

बैरी का लोही सूं दोन्यूं पांव रचाती डोलूं छूं,

पद्मावत छूं रतनसिंह की चूड़ावत की सैनाणी,

म्हूं जौहर की बळती लाई, रणचण्डी छूं क्षत्राणी,

मां की ममता, हेत बहन कौ जोड़ायत को धीर छूं।

राजस्थानी रखड़ी म्हारी, कंचन काया कश्मीरी,

भुजवंद म्हारौ बंगदेश छै, पग में पायल मैसूरी,

दिल्ली म्हारी चूनड़ी, पंजाब हिया कौ हार छै,

माथा पै छै मुकुट हिमालय, यै म्हारा सिणगार छै,

काळजयी पावनता जीं की, ऊं गंगा कौ नीर छूं।

कालीदास की मेघदूत छूं, म्हूं तुलसी की रामायण,

अमरतवाणी छूं गीता की, घर-घर होतौ पारायण,

म्हूं भूषण की शिवा बावनी, आल्हा कौ हुंकारौ छूं,

सूरदास कौ भ्रमरगीत म्हूं, मीरां कौ इकतारौ छूं,

वरदायी की गौरव गाथा, रण गरजन-गंभीर छूं।

स्रोत
  • पोथी : आंगणै सूं आभौ ,
  • सिरजक : प्रेमलता जैन ,
  • संपादक : शारदा कृष्ण ,
  • प्रकाशक : उषा पब्लिशिंग हाउस ,
  • संस्करण : प्रथम